Fact Check : क्या टाटा समूह ने नए संसद भवन का निर्माण सिर्फ 1 रुपये में किया, जानिए वायरल दावे का सच

सोशल मीडिया पर एक दावा वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि टाटा समूह ने नए संसद भवन का निर्माण करने के लिए सिर्फ एक रुपये का भुगतान लिया है।;

Update: 2023-04-11 08:43 GMT

Fact Check : हमारा नया संसद भवन लगभग पूरा तैयार हो चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के नए संसद भवन का निरीक्षण किया। इसके बाद अब सोशल मीडिया पर ग्राफिक्स के जरिए यह दावा किया जा रहा है कि नए संसद भवन के निर्माण के लिए टाटा समूह ने सरकार ने सिर्फ एक रुपये का भुगतान लिया है। इसके साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि इस संसद भवन को रिकॉर्ड 17 महीनों में तैयार कर लिया गया। क्या सच में ऐसा हुआ है या वायरल हो रहे ये दावे बेबुनियाद हैं।

क्या है वायरल दावा

सोशल मीडिया के बहुत से प्लेटफॉर्म पर यह दावा किया जा रहा है कि नए संसद भवन का निर्माण सिर्फ 17 महीने में पूरा कर लिया गया और साथ ही टाटा ने इस भवन को बनाने के लिए सरकार से मात्र एक रुपये का भुगतान ही लिया है। यहां तक कि ट्विटर पर भी इससे मिलते-जुलते दावे लोगों को शेयर करते हुए देखा गया।

पड़ताल

जब यह दावा इतनी तेजी से वायरल हो रहा था, तो ऐसे में इसकी सच्चाई पता करना भी बनता है। जब इस बारे में सर्च किया गया तो बहुत सी पुरानी रिपोर्ट्स मिली। इनमें पता चला कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत भारत के नए संसद भवन को बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स को मिला। टाटा कंपनी ने इसके लिए 861.9 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। यहां तक कि कई अन्य रिपोर्ट्स में भी आपको इसका जिक्र देखने को मिल जाएगा। ऐसे में यह साफ है कि वायरल हो रहा एक दावा तो झूठा है।

इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि संसद भवन के निर्माण का कार्य 17 महीनों के भीतर पूरा किया जा गया है। हमारी पड़ताल में यह दावा भी गलत निकला। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक नए संसद भवन का निर्माण का कार्य दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था, जबकि सेंट्रल विस्टा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, सिर्फ कर्तव्य पथ प्रोजेक्ट का काम अभी पूरा हुआ है, जबकि नए संसद भवन, कॉमन सेंट्रल सचिवालय और एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव जैसे प्रोजेक्ट पर अभी भी काम चल रहा है। इसका प्रोग्रेस वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

निष्कर्ष

सोशल मीडिया पर संसद भवन के निर्माण को लेकर किया जा रहे दोनों दावे बेबुनियाद और तथ्यहीन है। न ही टाटा समूह ने इसका सिर्फ 1 रुपये की प्रतीकात्मक रकम में निर्माण किया है और न ही इस भवन का निर्माण सिर्फ 17 महीने में पूरा किया जा चुका है। 

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