Independence Day 2023: वाराणसी की इस बर्फी ने उड़ा दी थी अंग्रेजों की नींद, आजादी की लड़ाई में निभाई थी अहम भूमिका

वाराणसी की इस मिठाई का नाम तिरंगी मिठाई (tricolor barfi) है। यही नहीं तिरंगी मिठाई का स्वाद चखने के लिए खुद भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी दुकान पर पहुंची थी। आइए जानते हैं इस तिरंगी मिठाई (Varanasi tricolor barfi) के बारे में।;

Update: 2023-08-15 04:00 GMT

Independence Day 2023 : आज भारत को आजाद हुए 76 साल हो गए हैं। स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर हम आपको काशी की एक मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। इस मिठाई ने आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों को जागरुक किया था। वाराणसी की इस मिठाई का नाम तिरंगी मिठाई (tricolor barfi) है। यही नहीं तिरंगी मिठाई का स्वाद चखने के लिए खुद भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी दुकान पर पहुंची थी। आइए जानते हैं इस तिरंगी मिठाई (Varanasi tricolor barfi) के बारे में। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने देश भर में तिरंगा फहराने पर रोक लगा दी थी। कहा जाता है कि तिरंगे के रंग के कपड़े देखते ही अंग्रेज लोगों को हिरासत में लेते थे। अंग्रेजों के इस व्यवहार से बचने और लोगों को आजादी के प्रति जागरुक करने के लिए काशी में श्री राम मिष्ठान भंडार के मालिक ने एक नया आइडिया निकाल दिया। उन्होंने मिठाई को ही तिरंगे के रंग से रंग दिया। कहा जाता है कि सबसे पहले मदन गोपाल गुप्ता और रघुनाथ दास गुप्ता ने तिरंगी बर्फी बनाई थी। इस मिठाई को इस मिष्ठान भंडार पर बेचा जा रहा है। जिसे खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। 

ऐसे उड़ाई थी अंग्रेजों की नींद 

कहा जाता है कि श्री राम मिष्ठान भंडार के मालिकों में तिरंगी मिठाई तो बनाई ही। उसके साथ ही उनके नाम भी महापुरुषों के नामों पर रख दिए। इस तिरंगी बर्फी ने हर घर में आजादी के अलख को जागने का काम किया था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान तिरंगी मिठाई के डिब्बे के जरिए क्रांतिकारियों के संदेश भेजने का क्रम शुरू हुआ। इसकी लोकप्रियता देख अंग्रेजों की नींद उड़ गई और उन्होंने दुकान तक पहरेदारी शुरू कर दी थी। काशी की 'तिरंगी बर्फी' आजादी के आंदोलन की धार बन गई। इस मिठाई के जरिए क्रांतिकारियों ने अनोखी पहल करके अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ा दी थी। 

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी चखा था मिठाई का स्वाद 

खबरों की मानें तो जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस तिरंगी बर्फी का जिक्र सुना, तो वह इसका स्वाद चखने के लिए श्रीराममिष्ठान भंडार पर गई थीं। उन्होंने बर्फी खाने के बाद इसे बनाने वाले मदन गोपाल और रघुनाथ दास की काफी तारीफ की। 


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