पटना में धरना देंगे तेजस्वी यादव, उससे पहले सुशील मोदी ने महागठबंधन को दिखाया आईना
Farmer protests: पटना में कल तेजस्वी यादव द्वारा किसानों के समर्थन में धरना दिये जाने का ऐलान किया गया है। जिस पर भाजपा नेता सुशील मोदी पलटवार करते हुये तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन पर करारा हमला बोला है। सुशील मोदी ने कहा कि राजद, कांग्रेस व वामदल कृषि कानून पर भ्रम फैला रहे हैं। उनका झूठ फिर बेनकाब होगा।;
Farmer Protest: नये कृषि कानूनों पर भाजपा और विपक्षी लगातार एक - दूसरे के खिलाफ हमले बोल रहे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने आज पटना में ऐलान किया कि कल महागठबंधन गांधी की प्रतिमा के पास बैठकर किसानों के समर्थन में धरना देगा। इसको लेकर तेजस्वी यादव ने बिहार के सभी किसानों और किसान संगठनों से समर्थन मांगा है।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम एवं भाजपा नेता ने कृषि कानूनों के मामले पर महागठबंधन को एक के बार एक ट्वीट कर आड़े हाथ लिया है। सुशील मोदी ने कहा कि अब राजद, कांग्रेस व वामदल कृषि कानून पर भ्रम फैला रहे हैं। एनडीए सरकार ने कुछ फसलों की एमएसपी ढाई गुना तक बढाकर इस व्यवस्था को मजबूत किया है। सुशील मोदी ने कहा कि जबकि विपक्ष इसके खत्म होने का झूठ प्रचारित कर रहा है। उनका झूठ फिर बेनकाब होगा।
सुशील मोदी ने ट्वीट के जरिये बिहार के पूर्व सीएम एवं राजद प्रमुख लालू यादव पर भी प्रहार किया है। सुशील मादी ने कहा कि लालू यादव ने नोटबंदी व जीएसटी का विरोध किया। लेकिन संसदीय चुनाव में गरीबों ने उन्हें खारिज कर दिया। उनकी पार्टी ने वोट बैंक की राजनीति के चलते नागरिकता कानून के खिलाफ भ्रम फैलाने वालों का भी साथ दिया। इसके बावजूद सीमांचल में उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
सुशील मोदी ने राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ भी निशाना साधा है। सुशील मोदी ने कहा कि आज जिनके मन में पटना के गांधी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देने का विचार आ रहा है। वे सत्ता में रहते हुए महात्मा गांधी को बहुत पहले भूल चुके हैं। गांधीवाद से उन्हें यदि सचमुच कोई लगाव होता तो माओ-लेनिन के हिंसक सिद्धातों में भरोसा रखने वाले वामदलों से गठबंधन नहीं करते। सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि लालू- राबड़ी राज में गांधी ही नहीं, जेपी, लोहिया, कर्पूरी ठाकुर तक अनेक महापुरुषों के आदर्शों को रौंद कर सम्पत्ति बनायी गई और वंशवादी राजनीति को मजबूत किया गया।
भाजपा नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि राजद के 15 साल के राज में दलितों के सामूहिक संहार, फिरौती के लिए 17000 लोगों का अपहरण और पंचायत से संसद तक के लिए हुए कुल नौ चुनावों में 641 हत्याएं हुईं। लेकिन तब उन्हें महात्मा गांधी के सिद्धांत की याद नहीं आयी।