बिना शादी दूल्हे के साथ विदा कर दी गई दुल्हन, प्रधान जी पहुंच गए थे जेल, जानें पूरा मामला
बिहार के बांका जिले से एक बड़ा ही अजब-गजब मामला सामने आया है। यहां एक दुल्हन को बिना शादी के ही उसकी ससुराल विदा कर दिया गया। ऐसा कानूनी मजबूरी और परंपरा के प्रति प्रतिबद्धता के चलते करना पड़ा।;
बिहार (Bihar) के बांका (Banka) जिले के लौगांय पंचायत के कुशवाहा गांव में बुधवार को आदिवासी समाज की शादी (Wedding of tribal society) के दौरान एक अजब-गजब वाक्या (Strange phrase) घट गया। क्योंकि यहां एक दुल्हन (Bride) बिना शादी संपन्न कराए ही उसकी ससुराल विदा कर दिया गया। गांव वालों को यह सब कानूनी मजबूरी और रिति-रिवाजों के चलते करना पड़ा। क्योंकि इनके समाज के प्रधान जी शराब बदामदगी (Alcohol fudge) के मामले में जेल पहुंच गए। अब इन दोनों के बीच शादी तब होगी, जब इनके समाज के प्रधान जी जेल से निकलकर बाहर आ जाएंगे। अब दुल्हन प्रधान जेल से आने तक बिना शादी के ही अपने होने वाले पति के साथ ससुराल (Laws house) में ही निवास करेगी। यब सब कुछ लिव-इन-रिलेशनशिप (live-in relationship) की तरह ही होगा।
जानकारी के अनुसार बिहार के बांका जिले के लौगांय पंचायत के कुशवाहा गांव में बुधवार को आदिवासी समाज की पंचायत के बाद निर्णय लिया गया कि बिना शादी के ही दुल्हन की विदाई कर दी जाए। उक्त दुल्हन का नाम बासमती मुर्मू है। दुल्हन के भाई दिनेश मुर्मू ने बताया कि प्रधान को मुक्त कर देने की गुहार प्रशासन से लगाई थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। प्रधान की अनुउपस्थिति में निर्णय लिया गया कि आदिवासी परंपरा के तहत उक्त फैसला लेना पड़ा। मामले पर बीडीओ अभिनव भारती का कहना है कि प्रधान को रिहा करवाने के संबंध में आवेदन मिला था। लेकिन प्रधान को शराब बरामदगी मामले में जेल भेजा गया है। इसलिए प्रधान की बेल अदालत से ही होगी।
बताया जा रहा है कि कुशाहा गांव निवासी रसिकलाल मुर्मू की बेटी बासमती मुर्मू की शादी बौसी थाना क्षेत्र स्थित शोभा गांव के रहने वाले अरविंद मंडल के साथ तय हुई थी। शादी की डेट 5 अप्रैल तय हुई। बारात भी निर्धारित तिथि पर पहुंच गई। आदिवासी समाज के रिवाजों के मुताबकि गांव के प्रधान गोपाल सोरेन द्वारा शादी-विवाह की सारी रस्में पूरी की जानी थी। क्योंकि बिना प्रधान के आदिवासी समुदाय में शादी संपन्न नहीं होती है। इस दौरान वहां पर पुलिस पहुंच गई। वहीं घर से शराब बरामद हो गई। जिसपर पुलिस ने प्रधान गोपाल सोरेन को गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ ले गई। प्रधान की अनुउपस्थिति में शादी की रश्में टल गईं, शादी रुक गई। इस बीच प्रधान जी के वापस आने की उम्मीदों को लेकर बारात गांव में ही रुकी रही। आदिवासी समुदाय की परंपरा के मुताबिक यदि दूल्हा बिना शादी के लौट जाता तो दुल्हन को विधवा घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद उस युवती की फिर किसी दूसरी जगह शादी नहीं होती है।
देवी-देवताओं पर चढ़ाने के लिए रखी थी दारू
ग्रामीणों के अनुसार आदिवासी समाज की परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं को चढ़ावा में दारू यानी कि देसी शराब दिया जाता है। इस कार्य के संपन्न कराए जाने के लिए घर में डेढ़ से दो लीटर शराब रखी थी। पुलिस की ओर से आरोप लगाया गया है कि उक्त जगह से 15 लीटर शराब बरामद हुई है। पुलिस गिरफ्त में आए प्रधान को रिहा करवाने के लिए ग्रामीण प्रशासन के दर तक गए। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस दौरान बारात भी गांव में दो दिनों तक रुकी रही। प्रधान की अनुउपस्थिति में लड़की और लड़का दोनों पक्षों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर यह विकल्प तैयार किया गया। जब प्रधान जेल से बाहर आ जाएंगे तो एक बार फिर से शादी की रस्में पूरी होगी।