Cabinet Expansion 2021: केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने वाले पशुपति पारस 5 बार रहे चुके हैं विधायक, ऐसा है सियासी और पारिवारिक बैकग्राउंड
पशुपति कुमार पारस का बिहार से दिल्ली के लुटियंस जोन तक पहुंचने एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने का सफर आसान नहीं रहा है। पारस पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई हैं।;
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (Prime Minister Narendra Modi) अपने दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार (Modi Cabinet Expansion) बुधवार को कर दिया। बिहार से दो लोगों को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिली। उनमें एक नाम जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह (RCP Singh) का है। जिन्होंने आज केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार (Union Cabinet Expansion) के दौरान शपथ ली। वहीं बिहार से दूसरा नाम पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) का है। जो हालिया दिनों में अपने भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के खिलाफ बगावत करके खुद लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के अध्यक्ष बने थे। पारस ने चिराग पासवान को छोड़कर पार्टी के सभी सांसदों को अपनी तरफ कर लिया था। वहीं अब पारस को इसका इनाम भी मिल गया है। जोकि अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पा चुके हैं। अब हर शख्स यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आखिर ये कौन हैं, क्या इनका राजनीतिक (Pashupati Kumar Paras political background) और पारिवारिक बैकग्राउंड (Pashupati Kumar Paras family background) है। जोकि इनको मोदी मंत्रिमंडल में इतनी आसानी से जगह मिल गई।
आपको बता दें पशुपति कुमार पारस कुछ दिनों पहले ही बिहार की सियासत में रातों-रात सुर्खियों में छा गए थे। क्योंकि उन्होंने अपने भतीजे चिराग पासवान को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाकर एलजेपी में तख्तापलट कर दिया। इसके बाद पारस स्वयं ही एलजेपी के अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता बन गए थे।
राम विलास पासवान के परिवार से संबंध रखते हैं पारस
जानकारी के अनुसार पशुपति पारस एलजेपी संस्थापक एवं पूर्व पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष दिवंगत रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई हैं। ये तीन भाई थे। जिनमें से दो भाइयों राम विलास पासवान और रामचंद्र पासवान का निधन हो चुका है। सांसद बनने से पहले पशुपति कुमार पारस बिहार की नीतीश सरकार में मंत्री पद का जिम्मा भी संभाल चुके हैं। पशुपति कुमार पारस अलौली विधानसभा सीट से पांच बार एमएलए रह चुके हैं। वर्ष 1977 में पशुपति कुमार पारस ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था।
भाई के साथ साए की तरह रहते थे पारस
बताया जाता है कि पशुपति कुमार पारस अपने बड़े भाई रामविलास पासवान के साथ साए की तरह रहते थे। पशुपति कुमार पारस वर्ष 1977 से ही भिन्न-भिन्न सियासी पार्टियों में रहने के बाद एलजेपी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ते रहे। पशुपति कुमार पारस की गिनती बिहार की सियासत में दलित नेता के तौर पर होती है। वर्ष 2019 में पारस ने एलजेपी के टिकट पर हाजीपुर से संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़कर जीत हासिल की। साथ ही लोकसभा पहुंचे।
ये है पशुपति कुमार पारस का सियासी सफर
पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री बनने से पहले बिहार में अलौली विधानसभा सीट से 5 बार एलएलए रह चुके हैं। पारस ने जेएनपी प्रत्याशी के तौर पर साल 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद से ही पारस जेपी, एलकेडी व एलजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ते रहे हैं। पारस ने पूर्व में नीतीश सरकार में पशु एवं मछली संसाधन विभाग का मंत्री पद संभाला था। पशुपति कुमार पारस साल 2019 में हाजीपुर लोकसभा सीट से एलजेपी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। साथ ही उन्हें इस चुनाव में जीत हालिस हुई और ये संसद के सदस्य बन गए। पशुपति कुमार पारस का बिहार से दिल्ली के लुटियंस जोन तक पहुंचने एवं मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने का सफर कुछ इस तरह रहा।