बिहार में जातीय जनगणना की कवायद शुरू, तेजस्वी ने बताया ऐतिहासिक कदम
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य के सभी जिलों में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित गणना की कवायद को 'ऐतिहासिक' कदम करार दिया।;
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य के सभी जिलों में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित गणना की कवायद को 'ऐतिहासिक' कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना की यह कवायद सरकार को समाज के कमजोर वर्गों के लाभ की दिशा में काम करने के लिए वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध कराएगी। राजधानी पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि आज से राज्य में जाति आधारित गणना की कवायद शुरू हो गई है। यह प्रदेश में महागठबंधन सरकार द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। एक बार यह अभ्यास पूरा हो जाने के बाद यह अनुसूचित जाति सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लाभ के लिए कार्य करने की दिशा में प्रदेश सरकार को वैज्ञानिक डेटा प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा को छोड़कर, महागठबंधन सरकार के सभी घटक दल इस कवायद के पक्ष में थे। भाजपा, जो एक गरीब विरोधी पार्टी है, हमेशा इस कवायद की आलोचना करने वाली थी। यही कारण है कि वह शुरुआत से ही जातीय आधारित गणना का विरोध करती आई है। तेजस्वी यादव का यह बयान बिहार के सीएम नीतीश कुमार के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति आधारित गणना सभी के लिए फायदेमंद हो सकती है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में जाति के आधार पर गणना करना एक प्रमुख मुद्दा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी घटक दल लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह मांगे जल्द से जल्द शुरू की जाए।
केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को सरकार ने 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर यह अभ्यास करने की सहमति जताई थी, लेकिन जनगणना के दौरान इकट्ठा किए गए डेटा को कभी तैयार नहीं किया गया। केंद्र में मौजूदा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने को देखते हुए बिहार सरकार ने यह कवायद शुरू की है। पटना में पूरा अभ्यास दो चरणों में किया जाएगा। प्रथम चरण 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, और जिले के प्रत्येक घरों की संख्या की गणना की जाएगी। दूसरे चरण में मार्च से सभी उप-जातियों, जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा तैयार किया जाएगा।
पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि गणना करने वाले कर्मी सभी लोगों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दर्ज करेंगे। उन्होंने कहा कि आज सुबह पटना में बैंक रोड क्षेत्र में राज्य सरकार के कर्मियों द्वारा चलाए जा रहे अभ्यास भी किया। उन्होंने कहा कि यह प्रयास बहुत ही सुचारू रूप से किया जा रहा है। जहां पटना जिले के 12,696 प्रखंडों में इस निरीक्षण का अंजाम दिया जा रहा है। राजधानी में जातीय आधारित जनगणना को मई 2023 तक पूरा करने का निर्धारित किया गया है। पहले, यह अभ्यास फरवरी 2023 तक पूरा किया जाना था। बिहार सरकार इस निरीक्षण के लिए अपने राज्य कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी।