नीतीश कुमार का निर्णय - अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति परिवार में हत्या हुई तो एक पीड़ित सदस्य को नौकरी देने के लिये बनेगा नियम

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति परिवार में किसी की भी हत्या हो जाने पर पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिए नियम बनाने के निर्देश दिए हैं। जदयू ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। वहीं राजद ने फैसले पर सवाल उठाये हैं।;

Update: 2020-09-05 08:01 GMT

बिहार मे सत्ताधारी पार्टी जदयू के आधिकारिक ट्वीटर अकांउट से शनिवार को ट्वीट कर बताया गया कि नीतीश कुमार सरकार समाज के हर व्यक्ति एवं हर वर्ग की सुरक्षा, समृद्धि और सम्मान के लिये प्रतिबद्ध है। जदयू ने बताया कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के परिवार में किसी सदस्य की हत्या हो जाने पर पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देनें के प्रावधान के लिए तत्काल नियम बनाने के निर्देश दिए हैं। जदयू ने बिहार सरकार द्वारा लिये गये इस फैसले ऐतिहासिक निर्णय करार दिया है। याद रहे सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार की देर शाम सचिवालय स्थित संवाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1995 (समय समय पर यथा संशोधित) के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक की।



बिहार सरकार दमन पर लगाम नहीं लगा सकती, सिर्फ हर्जाना दे सकती है: राजद

राजद के आधिकारिक ट्विटर अकांउट से शनिवार को ट्वीट कर सीएम नीतीश कुमार द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति परिवार को लेकर लिये गये निर्णय पर तंज कसा है। राजद ने कहा कि नीतीश सरकार ने आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया है कि उनके शासन में दलितों की सबसे अधिक हत्याएं होती हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी स्वीकार कर लिया है कि दलितों के दमन, उनकी हत्याओं को रोकने के लिए वह कुछ नहीं कर सकती है। बिहार सरकार दोषियों को सजा भी नहीं दे सकती है। राजद ने कहा कि बस पीड़ितों को बिहार सरकार हर्जाना दे सकती है। 




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