पीरियड्स के वक्त कोरोना ड्यूटी पर डॉक्टर और नर्सों को होती है बहुत पीड़ा, खबर पढ़कर जानें सभी बातें
कोरोना संक्रमण के दौर में आम आदमी क्या, स्वास्थ्य कर्मी तक बुरी तरह से परेशान हैं। ये बात सामने आई है कि कोरोना ड्यूटी पर रहते हुए महिला डॉक्टर व नर्सों को पीरियड्स के दौरान काफी पीड़ा का सामना करना पड़ता है। बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने यह खुलासा किया है।;
कोरोना (Corona) काल में बिहार (Bihar) क्या देश और दुनिया सभी जगहों पर मानव परेशान है। कोरोना महामारी से इलाज करने वाले डॉक्टर भी पूरी तरह दुखी हैं। कोरोना ड्यूटी (Corona duty) करते वक्त महिला स्वास्थ्य कर्मियों (Female health workers) को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता उनको सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
जानकारी के अनुसार पीपीई किट (PPE Kit) धारण करने का मतलब है कि आप बाथरूम तक भी नहीं जा सकते हैं। वहीं महिला डॉक्टर और नर्स पीरियड्स (periods) जैसे कठिन समय में भी दर्द, घुटन व इंफेक्शन के डर साये में कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा (Corona infected patients served) में लगी रहती हैं। उनकी दिक्कतों को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। क्योंकि कोरोना संक्रमण की वजह से इनकी सारी छुट्टियां रद्द हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की देखभाल 24 घंटे करनी पड़ती है। कोरोना ड्यूटी पर रहते हुए डॉक्टर और नर्सों को पीरियड्स के दौरान बिना पैड बदले छह घंटे तक कोरोना मरीजों की सेवा लगे रहना पड़ता है।
पटना (Patna) के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) की नर्स रीना के अनुसार पीरियड के पहले और दूसरे दिन बहुत दिक्कतें होती हैं। उनके साथ कार्य करने वाली कई नर्सों को पीरियड्स के दौरान छुट्टी लेकर जाना पड़ा। एनएमसीएच की नर्स रीना बताया कि क्योंकि पीपीई किट को पहनने से ज्यादा समस्याएं खोलने में आती हैं। हालत ये होती है कि बाथरूम में जाकर भी पीपीई किट नहीं बदल सकती हैं।
वहीं डॉ. ऋचा कहती हैं कि पीरियड्स के दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है। पीपीई किट प्लास्टिक से बने होने की वजह से घुटन सी महसूस होती है। ऐसे में संक्रमण का भय ज्यादा बढ़ जाता है। यदि कोई गंभीर मरीज आ जाता है तो कई घंटे डॉक्टर और नर्स को पीपीई किट पहनकर ही रहना पड़ जाता है। आईसीयू में कार्यरत कई नर्सों का कहना है कि माहवारी के दौरान कई तरह की दिक्कतें होती हैं। लेकिन वो इन दिक्कतों को किसी से कह नहीं पातीं। वो मरते हुए मरीज को बचाए कि खुद के बारे में सोचे। कई नर्स माहवारी के दौरान ज्यादा समय तक कार्य करते रहने की वजह से बीमार भी पड़ गई हैं।