कोरोना मरीज की मौत, नहीं दी गई पीपीई किट व एंबुलेस, परिजनों को ठेले पर लादकर ले जाना पड़ा शव

कोरोना संकट के बीच बिहार के जमुई से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां निजी अस्पताल में एक व्यक्ति की कोरोना की वजह से मौत हो गई। उसके बाद शव को ले जाने के लिए किसी ने भी परिजनों की मदद नहीं की। हद तो तब हुई कि जब गांव में ग्रामीणों ने भी इनका सहयोग नहीं किया।;

Update: 2021-05-02 10:38 GMT

बिहार (Bihar) में एक ओर तो कोरोना संक्रमण (Corona infection) ने कोहराम मचा रखा है। दूसरी ओर प्रदेश में रोजाना कोरोना (Corona) से कई लोगों की मौतें हो रही हैं। कोरोना फैलने के डर से मानवता भी शर्मसार हो रही है। ऐसा एक केस जमुई (Jamui) जिला स्थित चकाई (Chakai) क्षेत्र से सामने आया है। यहां कोरोना संक्रमित मरीज की मौत (Corona infected patient dies) के बाद निजी अस्पताल वालों ने शव (Dead body) को बाहर निकाल दिया। इसके बाद परिजनों ने रात भर एंबुलेंस (Ambulances) और पीपीई किट (PPE Kit) की मांग उठाई। पर निजी अस्पताल वालों ने इनकी किसी भी बात को नहीं सुना। इसके बाद किसी तरह परिजन शव को लेकर अपने घर पहुंचे। जहां पर किसी भी ग्रामीण ने कोरोना संक्रमण फैलने के डर से उनका साथ नहीं दिया। थक हारकर मृतक का बुजुर्ग पिता और छोटा भाई शव को एक ठेले पर लादकर अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर गए।

जानकारी अनुसार जमुई जिले के सदर अनुमंडल के चकाई ब्लॉक स्थित नगरी गांव निवासी कारू वर्मा कि तबीयत तीन दिन पहले खराब हो गई थी। वो राजमिस्त्री थे। कारू वर्मा ने एक हफ्ते पहले कोरोना जांच कराई थी। जिसमें वो संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद से ही वो होम आइसोलेशन में थे। शुक्रवार को होम आइसोलेशन में उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई। फिर परिजनों ने उनको चकाई स्थित एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया था। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

पिता बेलो महतो ने कहा कि पुत्र की तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने उसे चकाई के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया था। जहां शनिवार की रात को उनकी मौत हो गई। फिर निजी अस्पताल वालों ने शव को बाहर निकाल दिया। शव को ढंकने के लिए ना तो पीपीई किट या प्लास्टिक दी गई और ना ही घर शव ले जाने के लिए कोई वाहन दिया गया। किसी तरह वो वहां से खाट पर रखकर शव को लेकर घर पहुंचे। खुले शव लेकर जाने की वजह से ग्रामीणों ने भी उनका साथ नहीं दिया। उनका कोरोना संक्रमण फैलने का भय था। इन हालातों के बीच उनको अंतिम संस्कार के लिए शव ठेले पर ही लादकर श्मशान तक ले जाना पड़ा।

मामले पर चकाई रेफरल अस्पताल प्रभारी डॉ सुशील कुमार (Chakai Referral Hospital Incharge Dr. Sushil Kumar) का कहना है कि उनको ना तो निजी अस्पताल और ना परिजनों ने इस बारे में सूचना दी थी कि किसी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हुई है। सूचना मिलती तो शव ले जाने के लिए परिवार वालों को पीपीई किट मुहैया कराया जाता। खुले में शव ले जाने पर कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना ज्यादा रहती है।

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