कोरोना से जान गंवाने वालों के बच्चों की फीस प्राइवेट स्कूलों को भी करनी होगी माफ, निर्देश जारी

मार्च 2020 के बाद कोरोना ने जिन बच्चों के मां या पिता में से किसी एक की भी जान ले ली है तो ऐसे बच्चों को राहत मिलेगी। इन बच्चों की सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों को पूरे एकेडमिक वर्ष की फीस माफ करनी होगी। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने बिहार में सभी डीईओ को निर्देश जारी कर दिए हैं।;

Update: 2021-09-29 15:25 GMT

मार्च 2020 के बाद कोरोना महामारी (orona pandemic) से जान गंवाने वाले परिजनों के बच्चों से स्कूल (school kids) पूरे एकेडमिक वर्ष की फीस नहीं लेगी (Fee waived for whole academic year)। उच्चतम न्यायालय के आदेश (Supreme Court orders) के मद्देनजर प्राथमिक शिक्षा निदेशक (director of primary education) द्वारा मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) समेत तमाम डीईओ को इस बारे में निर्देश जारी कर दिया गया है। साथ ही यह निर्देश सरकारी स्कूलों और प्राइवेट दोनों तरह के स्कूलों (private schools) पर लागू होगा।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक अमरेन्द्र प्रसाद सिंह ने निर्देश जारी किया है कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से 26 सितंबर को इस बारे में भिन्न - भिन्न विभाग को निर्देश दिए गए हैं। जिसमें शिक्षा विभाग को निर्देश मिला है कि इस तरह के बच्चे जो मार्च 2020 के बाद अपने माता या पिता या फिर दोनों को खो चुके हैं। ऐसे बच्चों से प्राइवेट स्कूल वर्तमान शैक्षणिक सत्र का किसी भी प्रकार की फीस नहीं लेंगे। मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों में इसके पालन का आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया है। वहीं प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा सभी डीईओ को इस आदेश के तहत एक्शन करते हुए पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।

इसको लेकर 7 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में रिपोर्ट पेश करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट इसी तारीख को मामले की सुनवाई होनी है। इस स्थिति में जिले से 30 सितंबर तक पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। दूसरी ओर समाज कल्याण निदेशक ने भी सभी जिलाधिकारियों से पीएम केयर फंड योजना के तहत बच्चों को दिए गए लाभ पर भी 30 सितंबर तक ही रिपोर्ट मांगी है।

मुजफ्फरपुर के डीईओ अब्दुस्सलाम अंसारी का कहना है कि शिक्षा निदेशक का पत्र उन्हें सोमवार की देर शाम में मिला। जिसके आलोक में तमाम प्राइवेट स्कूल को निर्देश दिया जा रहा है। जिन बच्चों के भी परिजन या कोई एक भी मार्च 2020 के बाद काल की गाल में समा गए हैं तो बच्चों से शुल्क ना लिया जाए। यदि स्कूल ऐसा ना करें तो तुरंत सूचना दी जाए। मामले पर एक्शन लिया जाएगा। तमाम स्कूलों से यह रिपोर्ट मांगी जा रही है कि उनके यहां ऐसे बच्चों की संख्सा कितनी बच्चे है?

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