बिहार: एक ऐसा गांव जहां एक या दो नहीं बल्कि हर साल 4 महीने के लिए लगता है लॉकडाउन, जानें क्यों

बिहार में मधुबनी जिले के एक गांव से बड़ी ही रोचक खबर सामने आई है। यहां पर ग्रामीणों के साल में आठ महीने तो मौज-मस्ती के साथ यानि कि खुशहाल रहते हुए कट जाते हैं। लेकिन जब बारिश के मौसम की शुरुआत होती है तो इनके कष्ट वाले दिन शुरू हो जाते हैं व ये सिलसिला करीब चार महीनों तक चलता है। यानि की गांव वालों को एक तरह से करीब चार महीनों का हर साल लॉकडाउन झेलना पड़ता है।;

Update: 2021-06-03 11:06 GMT

बिहार (Bihar) के मधुबनी (Madhubani) जिले में बारिश के मौसम (rainy season) की शुरुआत होते ही कई क्षेत्रों में जल जमाव और बाढ़ जैसे हालात से लोगों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। कुछ क्षेत्रो में तो ये समस्याएं कुछ दिनों या हफ्तों के लिए होती है। वहीं मधुबनी जिले के मधवापुर प्रखंड (Madhwapur Block) में एक ऐसा गांव भी है। जहां पर वर्षा का पूरा मौसम यानी वर्ष के करीब 4 महीने तक यहां के गावं वाले का ग्राम से बाहर निकलना भी दूभर हो जाता है। इस गांव के लोग 4 महीनों तक गांव से निकल ही नहीं पाते है। यानी की इस गांव के लोगों को हर साल में चार महीनों के लॉकडाउन (four months lockdown) का सामना करना ही पड़ता है।

जानकारी के अनुसार, इस अजब-गजब गांव का नाम अकरहाराघाट (Akarharaghat) है। गांव के उत्तरी छोर पर नेपाल देश है। पर्व, पश्चिम व दक्षिण की तरफ से यह गांव नेपाल से आने वाली अधवारा समूह की नदियों व कुछ बरसाती नदियों से घिरा हुआ है। दक्षिण की तरफ से गांव में आने-जाने के लिए सिर्फ एक सड़क है।

हैरान कर देने वाली बात से है कि इस सड़क में भी नदी पर जो पुल बना हुआ है वो भी अंग्रेजी जमाने में ही लकड़ी द्वारा बनाया गया था। इन दिनों वो पुल भी कतई जर्जर स्थिति में पहुंच गया है। बरसात को छोड़कर अन्य मौसम में तो नदियों में पानी नहीं रहने की वजह से पुल के नीचे से या किसी भी प्रकार से गांव वालों की आवाजाही हो जाती है। पर वर्षा के दिनों में अंग्रेजी जमाने का ये जर्जर पुल ही गांव वालों का एकमात्र सहारा है।

बताया जाता है यहां के निवासी हर साल बारिश के मौसम में स्वयं ही बांस-बल्ला लगाकर पुल की मरम्मत करते हैं। पर पानी की तेज धार में गांव वालों की मेहनत पर पानी फिरते देर नहीं लगती है। यानि कि ग्रामीणों का यह पुल बरसात के मौसम मे पानी की तेज धारा में बह ही जाता है। ग्रामीणों ने का कहना है कि बारिश के दिनों में आवश्यक चीजों के भी गांव से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। यदि गांव में इन दिनों में कोई बीमार हो जाए तो वो सिर्फ राम भरोसे पर ही है।

स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि जब चुनाव आते हैं तो यहां के निवासियों को पक्का पुल बनवाने का आश्वासन जाता है। पर देश को स्‍वतंत्र हुए 74 साल बीत गए हैं। बावजूद इसके अकरहाराघाट गांव की तस्वीर आज भी जस की तस बनी हुई है।

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