Sunday Special: बोधगया में लंबे वक्त बाद बड़ी संख्या में पहुंचे सैलानी, पर्यटन कारोबारियों को भी आर्थिक तंगी दूर होने की जागी उम्मीद

बिहार में कोरोना से स्थिति समान्य होने पर सरकार द्वारा पाबंदियों में छूट दी गई है। उसी का परिणाम है कि विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला बोधगया पिंडदानियों और पर्यटकों से गुलजार हो गया। यहां की बदली परिस्थितियों से पर्यटन कारोबारी भी प्रसन्न दिखाई दे हैं।;

Update: 2021-09-26 04:36 GMT

कोरोना वायरस (corona virus) को लेकर लगाई गई पाबंदियों में एक ओर तो सरकार (Bihar Government) ने छूट दी हैं। वहीं दूसरी ओर विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला बोधगया (International Pitru Paksha Fair) भी तीर्थ यात्रियों से पूरी तरह गुलजार (Fully buzzing with pilgrims) हो गया। स्थिति ये है कि इंटरनेशनल बौद्ध पर्यटन स्थल बोधगया भी पिंडदानियों से पूरी तरह से फुल नजर आ रहा है। गया के पितृपक्ष मेले में पहुंचे पिंडदानियों की वजह से यहां की फिजा पूरी तरह से चेंज हो गई है। कोरोना संकट के दौर के बाद दो पर्यटन सीजन ऐसे ही निकल जाने के बाद पहली बार तीत्र यात्रियों से भगवान बुद्ध की भूमि गुलजार नजर आ रही है। बोधगया (Bodhgaya) की चेंज हुई हवाओं से यहां के पर्यटन कारोबारी भी प्रसन्न (tourism businessman happy) दिखाई दे रहे हैं। साथ इन कारोबारियों को उम्मीदें जागी हैं कि अब तंगी के दिन छट जाएंगे।

देश के कई राज्यों से गयाजी पहुंचे पिंडदानियों की वजह से यहां के पर्यटन कारोबारियों को एक नई शक्ति मिल गई है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 के बाद पहली बार गयाजी में इतनी बड़ी तादात में पर्यटक या सैलानी आए हैं। उम्मीदें हैं कि इससे यहां के पर्यटन कारोबारियों को आर्थिक तंगी से अब निजात मिल जाएगी। यहां पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों से ज्यादातर गेस्ट हाउस व होटल भर गए हैं। महाबोधि मंदिर के साथ-साथ यहां का पर्यटन बाजार भी चहल पहल नजर आ रही है।

भगवान बुद्ध के दर्शन भी कर रहे हैं श्रद्धालु

पिंडदान करने के बाद श्रद्धालु भगवान बुद्ध के दर्शन भी कर रहे हैं। बोधगया में इन दिनों में आस्थावानों की भीड़ उमड़ सी पड़ी है। पितृपक्ष मेले के दौरान गयाजी के अलावा बोधगया स्थित धर्मारण्य, मातंगवापी में पिंडदान व सरस्वती नदी तर्पण करने के लिए पिंडदानी पहुंच रहे हैं। महाबोधि मंदिर परिसर में भी इन दिनों मे पिंडदानियों व तीत्र यात्रियों का जमघट लगा हुआ है। मुचलिंद सरोवर के निकट पिंडदान के लिए समिति की ओर से स्थान तय किया गया है। महाबोधि मंदिर में भी पिंडदान किया जाता है। जो पिंडदानी धर्मारण्य, मातंगवापी व सरस्वती वेदी तक नहीं पहुंच पाते हैं, वे महाबोधि मंदिर में कर्मकांड को संपन्न करा लेते हैं। अचानक बढ़ी तीत्र यात्रियों एवं पर्यटकों की भीड़ की वजह से बोधगया में जाम की भयानक हालात उत्पन्न हो गए हैं।

यहां लोगों द्वारा मिनटों की यात्रा घंटों में तय की जा रही है। बावजूद इसके यहां पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोग काफी प्रसन्न हैं। आपको बतां दे बोधगया का कारोबार पर्यटकों एवं तीत्र यात्रियों पर ही टिकी होता है। कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो वर्ष से बोधगया में सन्नाटा पसरा हुअर था। विदेशी पर्यटकों एवं सैलानी की बात तो छोड़ ही दी जाए, बल्कि कोरोना के चलते लगी पाबंदियों की वजह से देसी सैलानी भी यहां नहीं आ रहे थे। जिसकी वजह से बोधगया में पर्यटन कारोबारियों को आर्थिक तंगी और मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा था। पितृपक्ष मेला में पहुंचे श्रद्धालुओं की वजह से यहां के कारोबारियों के चेहरे पर थोड़ी रंगत लौट आई है।

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