अयोध्या मामले में 92 वर्षीय के परासरन कर रहे हैं रामलला की पैरवी, राम जन्मभूमि का फैसला सुनना उनकी अंतिम इच्छा

अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले में अहम किरदार निभाने वाले के. परासरन ( K. Parasaran) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रामलला का पक्ष रखा। हिंदू धर्मग्रंथों पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।;

Update: 2019-10-17 12:42 GMT

राम जन्मभूमि को लेकर अयोध्या केस में सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। अब सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। शीर्ष अदालत में 40 दिनों तक सुनवाई चली। बहस के दौरान सभी पक्षों ने सैकड़ों साल पुराने इतिहास का जिक्र किया। बहस में आस्था और कानून दोनों का सहारा लिया गया। ऐसे में जानने का मौका है उस 92 साल के दिग्गज वकील के बारे में जिसने पूरे केस की सुनवाई के दौरान रामलला का पक्ष रखा।

मिल चुका है पद्मविभूषण

92 साल के परासरन की हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। कि वह हाल ही में देश में धर्म से जुड़े दो सबसे बड़े केस लड़ चुके हैं। अयोध्या मामले के अलावा वह सबरीमाला केस में वकील के तौर पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह इंदिरा गांधी सरकार में अटार्नी जनरल भी रहे हैं। परासरन को भारत सरकार द्वारा अपनी सेवा देने के लिए 2003 में पद्मभूषण और 2011 में पद्मविभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा 2012 में उनको राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा के लिए नामित किया गया। मनमोहन सरकार के कार्यकाल में वह कुछ समय के लिए सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं।

हिन्दू धर्मग्रंथों पर है अच्छी पकड़

परासरन ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। आपातकाल के दौरान, वह तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे। सत्तर के दशक से ही परासरन लोकप्रिय रहे हैं। हिंदू धर्मग्रंथों पर उनकी अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। उनका जन्म तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ। उनके पिता केसवा अयंगर मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील थे। परासरन के तीनों बेटे भी वकील हैं।

जब चीफ जस्टिस ने बैठ कर बहस करने को कहा

उनके विषय में हाल ही में एक दिलचस्प किस्सा सामने आया था। जब सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान रामलला की तरफ से परासरन अपना पक्ष रखने के लिए खड़े हुए। 92 साल के वरिष्ठ वकील परासरन को खड़े देखकर चीफ जस्टिस रंजन गोगई ने उनसे पूछा, ''क्या आप बैठ कर बहस करना चाहेंगे? इस पर उन्होंने कहा कोई बात नहीं। 'खड़े होकर बहस करने की परंपरा रही है। मैं इसे तोड़ना नहीं चाहता हूं'। 

अयोध्या केस खत्म करना अंतिम इच्छा

सुप्रीम कोर्ट में जब एक बार बहस के दौरान बाबरी पक्ष के वकील राजीव धवन ने हर रोज मामले की सुनवाई से आपत्ति जताई थी। तब परासरन ने उनसे कहा था मरने से पहले मैं इस केस को पूरा करना चाहता हूं। यही मेरी अंतिम इच्छा है। 

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