Tilak Mehta:13 साल के लड़के ने खड़ी की 100 करोड़ की कंपनी... अब 200 लोगों को दे रहा रोजगार, जानिए Success Story

13 साल की उम्र में एक कंपनी का मालिक है मुंबई का यह लड़का, सक्सेस स्टोरी (Success Story Of Tilak Mehta) जान रह जाएंगे हैरान;

Update: 2022-09-06 09:11 GMT

Tilak Mehta Success Story: आपने 13 साल के बच्चों को स्कूल जाते, पढ़ाई करते और खेलते खुदते तो बहुत देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी किसी 13 साल के बच्चे को अपनी खुद की कंपनी चलते नहीं देखा होगा। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मुंबई का एक लड़का जिसका नाम तिलक मेहता है, वह महज 13 साल की उम्र में एक कंपनी का मालिक है साथ ही उसने 200 लोगों को अपनी कंपनी में रोजगार भी दिया है। इस सफल व्यवसायी को अपनी खुद की कंपनी खड़ी करने का यह आईडिया आपने पापा की थकान को देख कर आया, पहले तिलक मेहता भी आम बच्चों की ही तरह पने स्कूल के कामों में व्यस्त रहते थे। फिर एक दिन शाम के वक्त तिलक अपने पिता विशाल मेहता का ऑफिस से घर वापस आने का इंतजार कर रहे थे, ताकि उनके साथ बाजार से स्कूल की कुछ जरुरी चीजें लेकर आ पाएं। तिलक के पिता रोज की तरह ऑफिस में मेहनत करके थके हारे घर पहुंचे, उनकी यह हालत देखकर तिलक की उन्हें फिर से बहार ले जाने की हिम्मत ही नहीं हुई। आपने अक्सर देखा होगा कि घर के बच्चे और महिलाएं पुरुषों के काम से वापस लौटने का इंतजार करते हैं, जिससे वह अपना बाहर का जरुरी काम पूरा कर सकें।

पिता की थकान को देखकर आया तिलक मेहता को शानदार आईडिया

जब पुरुष अपने काम से वापस लौटते हैं तो उनकी थकी हुई हालत देखकर उनसे दुबारा बाहर जाने की बात कहने की हिम्मत ही नहीं होती है। बहरहाल उस शाम तिलक मेहता अपने स्कूल का समान नहीं ला पाए, लेकिन पिता को देखर उन्हें एक बहुत ही शानदार आईडिया (Career Idea) जरूर आ गया था। ये बिजनेस था कोरियर का, अब आप सोचेंगे कि इसमें नया क्या है? दरअसल, तिलक ने कोई ऐसी-वैसी कोरियर सर्विस के बारे में नहीं सोचा था। बल्कि सबसे फास्ट यानि केवल 24 घंटे के भीतर डिलेवरी देने वाली सर्विस शुरू करने की बात सोची थी, ये सर्विस खासतौर पर बच्चों और घर की महिलाओं के लिए बनाई गई थी। तिलक मेहता ने अपने इस आईडिया को सबसे पहले अपने पिता को बताया था, अपने बेटे के आईडिया को टालने की जगह तिलक पर गर्व करते हुए विशाल मेहता ने उनका साथ दिया। इस आईडिया को बिजनेस बनाने के लिए वह बैंक पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख से हुई।

जानिए कैसे हुई कंपनी की शुरुआत

बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख को उनका यह आईडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी जॉब छोड़कर तिलक कि कंपनी को ज्वाइन कर लिया, फिर बारी आई कंपनी का पंजीकरण करवाने की तो उसका नाम पेपर एंड पेन्सिल रखा गया। जिससे इस कंपनी के बनने की मूल वजह जुड़ी हुई थी, बाद में तिलक मेहता बने कंपनी में मालिक और घनश्याम पारेख बने कंपनी के सीईओ। शुरुआत बहुत छोटी हुई, शुरुआत में बिना ज्यादा खर्च के केवल बुटीक, स्टेशनरी शॉप वालों से बात की गई। डिलेवरी के लिए अलग से स्टाफ नहीं रखा बल्कि मुंबई के डिब्बासर्विस वालों से मदद ली गई। तिलक मेहता ने अपने एक इंटरव्यूज में बताया कि डिब्बासर्विस वालों ने मुझे एक छोटा बच्चा समझकर खुशी-खुशी मेरी मदद कर दी थी। शुरुआत में उन्होंने पैसे कि डिमांड भी नहीं की थी, स्टार्टिंग में स्कूल, टियूशन सेंटर और बच्चों के घरों पर स्टेशनरी का समान भिजवाया जाता था। अच्छा रिस्पांस मिलने पर बाद में बुटीक, पैथलॉजी लैब और ब्रोकरेज कंपनियों से बात की गई।

100 करोड़ है तिलक मेहता की कंपनी का टर्नओवर

बता दें कि तिलक मेहता कि इस कंपनी पेपर एंड पेंसिल में अब 200 से ज्यादा लोग काम करते हैं, इसके अलावा मुंबई के 300 डिब्बेवाले भी इस कंपनी का हिस्सा है। इन डिब्बेवालों को 40 से 180 रुपए तक प्रति डाक मेहनताना दिया जाता है, इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है। कंपनी हर रोज करीब 1 हजार ऑर्डर पूरे कर रही है, तिलक की योजना है कि अब वह जल्दी ही स्विगी और जोमेटो जैसी कंपनियों के साथ भी बिजनेस शुरू करेंगे। मुंबई में एक छोर से दूसरे छोर तक कम समय में जरूरत की चीजें पहुंचाने का यह आइडिया अपने आप में अनोखा और इकलौता है। 

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