World Alzheimer Day 2021 : कोरोना की वजह से बढ़ रही अल्जाइमर की बीमारी, एक्सपर्ट से जानें किन बातों का रखना चाहिए ध्यान
ओल्डएज लोगों में होने वाली कॉमन न्यूरोलॉजिकल डिजीज है-अल्जाइमर। इसके पेशेंट्स में मेमोरी लॉस के साथ तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ेपन के लक्षण दिखते हैं। देखा गया है कि कोविड संक्रमण ने अल्जाइमर पेशेंट्स की समस्या को और बढ़ा दिया है। ऐसे में उनकी प्रॉपर केयर के साथ एक्सट्रा प्रिकॉशन बरतने की जरूरत है।;
Health Tips : ओल्डएज लोगों में होने वाली कॉमन न्यूरोलॉजिकल डिजीज है-अल्जाइमर। इसके पेशेंट्स में मेमोरी लॉस के साथ तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ेपन के लक्षण दिखते हैं। देखा गया है कि कोविड (Covid 19) संक्रमण ने अल्जाइमर (Alzheimer) पेशेंट्स की समस्या को और बढ़ा दिया है। ऐसे में उनकी प्रॉपर केयर के साथ एक्सट्रा प्रिकॉशन बरतने की जरूरत है। World Alzheimer Day 2021 हर साल 22 सितंबर को मनाया जाता है।
अल्जाइमर पर कोविड का प्रभाव
अल्जाइमर पर कोविड के पड़ने वाले प्रभाव के बारे में न्यूरोलॉजी डॉक्टर साहिल कोहली बताते हैं कि अल्जाइमर का सीधा संबंध व्यक्ति की याद्दाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और व्यवहार से होता है। शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण मामूली नजर आ सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी मस्तिष्क में क्षति पहुंचाना शुरू करती है, लक्षण गंभीर होते जाते हैं। रोग के गंभीर होने की गति हरेक व्यक्ति में अलग हो सकती है। लेकिन आमतौर पर अल्जाइमर के लक्षण दिखने के बाद लोग 8 साल बाद तक जीवित रह सकते हैं, और यह सीमा 20 वर्ष तक भी जा सकती है। भारत में 4 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया से जूझ रहे हैं। विश्व में ऐसे मरीजों की संख्या 44 मिलियन है, वैश्विक रूप से यह बीमारी एक ग्लोबल हेल्थ क्राइसिस के रूप में सामने आ रही है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
प्रमुख लक्षण ( Alzheimer Symptoms)
-याद्दाश्त का कमजोर होना, जिसके कारण दैनिक जीवन बहुत प्रभावित होता है, महत्वपूर्ण तारीखें भूलने से लेकर एक ही जानकारी बार-बार मांगना।
-एकाग्रता में कमी और पहले के मुकाबले कामों को करने में देर लगाना।
-योजनाएं बनाने, आंकड़ों आदि के साथ काम करने में बहुत ज्यादा समस्या का सामना करना।
-घर के सामान्य कामों को भी करने में समस्या का सामना करना, घर के आस-पास के भी रास्ते याद ना रहना।
-पढ़ने, आकलन करने, दूरी मापने, रंगों की अलग पहचान करने आदि में समस्या आना।
-बोलने, लिखने, बातचीत में हिस्सा लेने के लिए शब्दों के चयन में दिक्कत आना।
-चीजें रखकर भूलना या ढूंढ़ ना पाना।
-सामाजिक गतिविधियों से दूरी बना लेना। ऐसे लोग अपने शौक, खेल, पारिवारिक आयोजनों आदि से भी दूरी बना लेते हैं।
-मूड, व्यक्तित्व में बदलाव आना। कंफ्यूज्ड, शक्की स्वभाव, तनाव में या डरे हुए रहना।
कारगर उपाय
-बिना देर किए डायग्नोसिस और उपचार।
-रुचिकर क्रिया-कलापों में मन लगाना।
-व्यवहार और लक्षणों के अनुसार ट्रीटमेंट।
-साथ में रहें केयर टेकर।
वर्तमान दौर में अल्जाइमर
सीनियर कंसल्टेंट-न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर राजुल अग्रवाल का कहना है कि हमें ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा उम्र की ढलान की ओर जा रहा है। यानी वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में इजाफा हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादा लोगों के अल्जाइमर के जोखिम में आने की संभावना है। साथ ही एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कोविड संक्रमण के आने के बाद से अल्जाइमर के बहुत से मरीजों में याद्दाश्त जाने की प्रक्रिया तेज होती देखी जा रही है, क्योंकि कोविड का संक्रमण न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को व्यापक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में अल्जाइमर के मरीजों की संख्या व्यापक रूप से बढ़ने की संभावना है। अल्जाइमर के मरीज को निमोनिया जैसे संक्रमण का अतिरिक्त रूप से जोखिम होता है। ऐसे में कोविड का संक्रमण इनके लिए ज्यादा घातक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि लगातार इलाज के साथ-साथ इन मरीजों का अतिरिक्त सावधानी के साथ कोविड के संक्रमण से बचाव किया जाए।