Bio-Remodelling: 50 की उम्र में पाएं 25 वाली ग्लोइंग स्किन, पढ़िये बायो रिमॉडलिंग ट्रीटमेंट से जुड़ी जानकारियां

Bio-Remodelling Treatment: अगर आप अपनी त्वचा को जवां देखना चाहते हैं, तो बायो रिमॉडलिंग ट्रीटमेंट ले सकते हैंं। यहां पढ़िए इस एंटी एजिंग ट्रीटमेंट से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां।;

Update: 2022-11-24 10:00 GMT

What Is Bio-Remodelling Treatment: आजकल के समय में हर कोई खुद को जवान दिखाना चाहता है। इसके लिए मार्केट में बहुत से एंटी एजिंग प्रोडक्ट्स और ट्रीटमेंट भी मौजूद हैं। इन्हीं में से एक ट्रीटमेंट बायो रिमॉडलिंग (Bio-Remodelling Treatment) भी है, जो सोशल मीडिया पर काफी चलन में है। अब सवाल उठता है कि बायो रिमॉडलिंग है क्या चीज? दरअसल, बायो रिमॉडलिंग की मदद से चेहरे को जवान बनाया जाता है। यह एक प्रकार का ट्रीटमेंट है, जो स्किन को फ्रेश और जवां बनाता है। बायो-रीमॉडेलिंग का उपयोग न केवल चेहरे की रेखाओं और झुर्रियों को भरने के लिए किया जाता है बल्कि इस ट्रीटमेंट से स्किन को मजबूत, हाइड्रेट और फर्म रखा जाता है।

क्या होता है बायो रिमॉडलिंग ट्रीटमेंट?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बायो रिमॉडलिंग एक इंजेक्टेबल ट्रीटमेंट है, जिसमें इंजेक्शन के माध्यम से हाइल्यूरोनिक एसिड (hyaluronic acid) को स्किन के अंदर पहुंचाया जाता है। हालांकि यह प्रक्रिया टिपिकल डर्मल फिलर से बहुत अलग होती है। टिपिकल डर्मल फिलर में आर्टिफिशियल केमिकल होता है, लेकिन हाइल्यूरोनिक एसिड एक चिपचिपा लिक्विड जैसा है, जो शरीर में नैचुरली बनता है। जब स्किन में इस एसिड की कमी होने लगती है तो त्वचा मुरझाने लगती है।

क्यों करवाया जाता है बायो रिमॉडलिंग ट्रीटमेंट?

बायो रीमॉडलिंग ट्रीटमेंट द्वारा आपकी बॉडी को हाइल्यूरोनिक एसिड की सही खुराक दी जाती है। जब इसे एसिड को इंजेक्शन की मदद से स्किन के नीचे पहुंचाया जाता है तो यह शहद की तरह फैल जाता है। इस कारण स्किन के नीचे कई टिशूज हाइड्रेट हो जाते हैं। इसके साथ ही यह एसिड स्किन में नमी और लचीलापन लाता है। बायो रिमॉडलिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे स्किन के नीचे कोलेजन और इलास्टिन का निर्माण होता है। इलास्टिन और कोलेजन एक तरह का फाइबर है, जो उम्र के साथ-साथ कम होने लगता है। इससे स्किन के मॉइश्चराइजर में कमी होने लगती है और आपकी त्वचा हार्ड होने लगती है।

क्या बायो रिमॉडलिंग ट्रीटमेंट सेफ है?

बता दें कि बायो रिमॉडलिंग प्रोसेस में सिर्फ हाइल्यूरोनिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है। हाइल्यूरोनिक एसिड एक तरह की नेचुरल शुगर है, जो हमारे टिशू, आंखें, ज्वाइंट और शरीर के कुछ अन्य पार्ट्स में मौजूद होती है। यही कारण है कि हाइल्यूरोनिक एसिड का साइड इफेक्ट बहुत ही रेयर मामलों में होता है क्योंकि यह बॉडी के लिए सुरक्षित है। यहां तक कि प्रेग्नेंट और नर्सिंग मदर को भी हाइल्यूरोनिक एसिड से कोई नुकसान नहीं होता है।

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