World Breastfeeding Week 2022: स्तनपान कराने से माता की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर पड़ता है पॉजिटिव इफेक्ट, जानें ढेरों लाभ

मां का दूध एक शिशु के लिए संपूर्ण आहार (Complete Food For An Infant) माना जाता है। जो शिशु को सभी पोषक प्रदान प्रदान कर उसका संपूर्ण विकास (Complete Growth) करने में अहम भूमिका निभाता है।;

Update: 2022-08-05 08:26 GMT

मां का दूध एक शिशु के लिए संपूर्ण आहार (Mother's milk is considered as complete food for an infant) माना जाता है। जो शिशु को सभी पोषक प्रदान प्रदान कर उसका संपूर्ण विकास करने में अहम भूमिका निभाता है। तभी तो वैद्य, डॉक्टर और वैज्ञानिक सभी एकमत होकर मां के दूध को शिशु के लिए अमृत समान मानते हैं। यही नहीं, यदि एक मां अपने शिशु को स्तनपान कराती है, तो मां पर भी इसके काफी सारे सकारात्मक प्रभाव पडते है। मां और शिशु के लिए स्तनपान की अहमियत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि विश्व में 1 से 7 अगस्त तक 'विश्व स्तनपान सप्ताह' (World Breastfeeding Week 2022) मनाया जाता है।

नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की सह. प्रोफेसर डॉ मोनिका सिंह के अनुसार स्तनपान (Breastfeeding) कराने से एक मां का शारीरक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता और और उस पर किसी भी तरह का नकरातमक प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए जिन महिलाओं को मां बनने के बाद स्तनों में दूध उतरता हो उन्हें बिना किसी हिचक के अपने शिशु को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं स्तनपान कराने से एक मां के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Physical And Mental Health) पर पड़ने वाले सकारातमक प्रभावों के बारे में।

स्तनपान कराने से मां को मिलने वाले लाभ (Benefits of breastfeeding to the mother)

नवजात के बाहरी दुनिया में आते ही मां शिशु को स्तनपान करवाकर अपने होने का अहसास करवाती है। क्योंकि जन्म लेने के बाद ही शिशु को भूख मिटाने के लिए सबसे पहले मां के दूध की आवश्यकता होती है और इसी के जरिए बाहरी दुनिया में शिशु की अपनी मां से जुड़ाव की सबसे पहली शुरुआत होती है। ये बात इस से संबंधित हुई रिसर्च में सही साबित हो चुकी है।

  • स्तनपान कराने से गर्भावस्था के कारण बढ़े हुए वजन को कम करने में मदद मिलती है। क्योंकि एक मां, जब अपने शिशु को स्तनपान कराती है तो, उसका शरीर लगभग 450 से 500 कैलोरी खर्च करता है, इससे प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने मे सहायता मिलती है।
  • स्तनपान कराने से लैकटेशैन हार्मोन ऑक्सीटोसीन बनता है जिसके चलते यूट्रस के साइज को गर्भावस्था से पहले के आकार में लाने में मदद मिलती है।
  • यह प्रसव के बाद मासिक धर्म के चक्र के फिर से शुरू होने में देर करता है। जिसके कारण महिला का जल्दी गर्भ ठहरने के चांस कम हो जाते हैं और दो शिशु के बीच उपयुक्त सालों का अंतर बना रहता है।
  • स्तनपान ब्रैस्ट और ओवेरियन कैंसर के खतरे को बहुत कम कर देता है।
  • स्तनपान कराने से प्रसव के बाद महिला को होने वाली ब्लीडिंग (होमोरेज) के खतरा कम हो जाता है और वो एनीमिक होने से बच जाती है।
  • अधिकतर महिलाओं में होने वाली बीमारी ओस्टियोपोरोसिस के जोखिम को बहुत कम कर देता है।
  • स्तनपान कराने से हार्मोन प्रोलेक्टिन का स्त्राव होता है, जिससे मां का रिलेक्स रहती और उसका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
  • शोधों में पाया गया है जो महिला अपने शिशु की स्तनपान कराती है उस महिला में तनाव ग्रसित होने की आशंका भी कम होती है।

स्तनपान कराने को लेकर मिथक (myths about breastfeeding)

स्तनपान कराने को लेकर समाज में कुछ मिथक प्रचलित हैं, खासकर महिलाओं में। जिसके चलते कुछ महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान कराने से कतराती हैं। जानते हैं स्तनपान से जुड़े मिथकों और तथ्य बारे में।

मिथक- स्तनपान कराने से शारीरिक बनावट खराब हो जाती है।

तथ्य- गर्भावस्था में दौरान वजन के साथ स्तनों का आकर बढ़ना प्राकृतिक हैं क्योंकि दूध नलिकाओं के कारण स्तन थोड़े बड़े जरूर हो जाते हैं किंतु कुछ समय बाद वो सामान्य आकार में आ जाते हैं। इसलिए स्तनपान करने से शारीरिक बनावट कहीं से खराब नहीं होती है। जिस तरह आपका शरीर आकर पहले था, वैसा ही रहता है।

मिथक- स्तनपान कराने वाली महिला का शरीर कमजोर हो जाता है।

तथ्य- स्तनपान कराने से किसी भी तरीके कमजोरी नहीं आती है बशर्ते स्तनपान कराने वाली महिला का खान-पान पोषक तत्वों से भरपूर रहना चाहिए।

मिथक- स्तनपान कराने से स्तन ढीले होकर लटक जाते हैं।

तथ्य- स्तनपान कराने से न ही स्तन लटकते हैं और न ही उनमें ढीलापन आता है। सही सपोर्ट की ब्रा पहनने और सही पोश्चर में रहकर दूध पिलाने से, स्तनपान करने वाली महिला को ऐसी कोई भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।

स्तनपान कराने को लेकर सलाह (advice on breastfeeding)

  • यदि स्तनपान से जुड़ी कोई भी समस्या है तो डॉक्टर से जाकर सलाह लें।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना स्तनपान कराना बंद न करें।
  • किसी की बात पर भरोसा कर दूध बढ़ाने के लिए कोई उपाय यूं ही न अपना लें।
  • स्तनपान कराने वाली मां को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए क्योंकि इस वक्त वह जो भी खाती हैं, उसका सीधा असर दूध के जरिए असर उसके बच्चे पर पड़ता है। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं है, जो विशेष रूप से दूध उत्पादन में वृद्धि करने में काफी मददगार होते हैं।
  • शिशु को 6 महीने तक केवल स्तनपान कराएं, पानी भी उसे पीने के लिए ना दें। 6 महीने से 2 साल का होने पर शिशु को मां के दूध के अलावा अन्य पूरक खाद्य पदार्थ का सेवन अवश्य करवाएं।
  • किसी स्त्री के मां बनते ही एक बच्चे की जिम्मेदारी केवल उस स्त्री पर ही ना लाद दें। बल्कि एक पिता और परिवार की बाकी महिलाओं की भी पूरी जिम्मेदारी बनती है कि अभी-अभी मां बनी उस स्त्री को मदद करें। उसे पूरा आराम और भावनात्मक सपोर्ट दें ताकि उस मां को स्तनपान करना थकावट भरा काम न लगे। 

गीता सिंह

Tags:    

Similar News