Family Day 2022: प्यार के धागे में संजो कर रखें तीनों पीढ़ी, संयुक्त परिवार में मधुर बनें रहेंगे आपसी रिश्ते

माता-पिता, दादा-दादी और बच्चे तीन पीढ़ियों के बीच रिश्ते मधुर रहें, यह कोई मुश्किल काम नहीं है। इसके लिए सबको मिलकर अपनी तरफ से कोशिश करनी चाहिए। सबसे पहले परिवार में बुजुर्गों को मान-सम्मान मिले। बुजुर्ग भी अपने बेटे-बहू और बच्चों को प्यार-स्नेह और सहयोग दें। जब बच्चे ये देखेंगे तो उन्हें भी अच्छी सीख मिलेगी, तो तीनों पीढ़ियों के बीच रिश्ते मधुर रहेंगे।;

Update: 2022-05-12 11:06 GMT

Family Day 2022: रिश्ते (Relationship) निभाना और उसे सहेजकर रखना, हम सबकी साझी जिम्मेदारी (Common Responsibilities) होती है। इसके लिए बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी को अपने दायित्वों के बारे में पता होना चाहिए और जरूरी प्रयास करने चाहिए। तभी तीनों पीढ़ियों (Three Generations) के बीच रिश्ते मधुर रहेंगे। मनोवैज्ञानिकों और व्यवहार विशेषज्ञों का मानना है कि दादा-दादी, बेटा-बहू और पौत्र-पौत्री के बीच अच्छी बॉन्डिंग रहती है, यह तीनों पक्षों के हित में होता है। मनोवैज्ञानिक डॉ. संजय गर्ग (Dr. Sanjay Garg) कहते हैं, 'इससे सभी संबंधित पक्षों में डिप्रेशन या एंग्जायटी की समस्या तो कम होती ही है, रिश्तों में मधुरता भी बढ़ती है और परिवार में खुशहाली का माहौल रहता है।'

घर का माहौल रखें पॉजिटिव

अकसर देखने में आता है कि जिन घरों में दादा-दादी, बेटा-बहू और पौत्र-पौत्री साथ रहते हैं, उन घरों में किसी ना किसी वजह से तनाव का माहौल रहता है। ऐसा माहौल बच्चों की परवरिश के लिए सही नहीं है। घर में प्यार-स्नेह का माहौल बनाना और बच्चों को खुशहाल रखना दादा-दादी और बेटा-बहू की साझी जिम्मेदारी है। इन लोगों का प्रयास यही रहे कि घर का माहौल हर स्थिति में पॉजिटिव रहे।

बच्चे को बहकाएं नहीं

देखा जाता है कि कई बार बच्चे को उनके मम्मी-पापा के डांटने पर दादा-दादी अकेले में बच्चे के सामने उनके पैरेंट्स की बुराई करते हैं। इसी प्रकार मम्मी-पापा भी कई बार दादा-दादी को ताना देते हुए बच्चों से कह देते हैं, 'दादा-दादी ने तुम्हें बिगाड़ रखा है।' इससे बच्चे असमंजस की स्थिति में फंस कर परेशान होते हैं कि कौन सही बोल रहा है? घर में ऐसा माहौल ना बनने दें ताकि आपके बच्चे बहके नहीं।

जिम्मेदारियां साझा करें

समय, परिस्थिति के अनुसार बेटे-बहू अपने माता-पिता को कुछ ऐसी जिम्मेदारियां सौंपें, जिससे उनका मन भी लगे और वे बच्चों को कुछ सिखा भी सकें, साथ ही घर के कई काम भी हो जाएं। इससे न सिर्फ आपकी जिम्मेदारियां कम होंगी बल्कि बच्चों और दादा-दादी के बीच बॉन्डिंग भी मजबूत होगी। सुबह या शाम बच्चों को दादा-दादी के साथ पार्क की सैर करने, साग-सब्जी, फल, घर का राशन या दवाएं आदि लेने भेज सकते हैं। इससे बच्चे काम करना सीखेंगे और दादा-दादी से उनकी नजदीकियां भी बढेंगी।

बड़ों से सलाह लें

इस नए दौर में घर के फैसलों में बूढ़े माता-पिता को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। इससे वे अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं। उनमें हीनभावना भरती है। घर में ऐसा माहौल ना रखें। ध्यान रखें कि बड़ों के अनुभव आपके काम आ सकते हैं। उनके अनुभव का फायदा उठाएं। बच्चों के सामने गंभीर पारिवारिक मसलों पर उनके दादा-दादी की राय लें। इससे न सिर्फ बूढ़े माता-पिता को अच्छा लगेगा बल्कि बच्चों के मन में भी अपने दादा-दादी के प्रति सम्मान के भाव जागेंगे।

दादा-दादी भी बनें प्रैक्टिकल

  • कई बार घर की अव्यवस्था देखकर बूढ़े माता-पिता चिढ़ जाते हैं और बेटे-बहू को अनाप-शनाप बोलते हैं। जबकि उन्हें अपने बेटे-बहू की व्यस्तता को समझते हुए घर के काम में सहयोग देना चाहिए।
  • अपनी बचत या पेंशन के पैसों से पोते-पोतियों के लिए कभी-कभी गिफ्ट, स्नैक्स, ड्रेस या उनकी पसंदीदा चीजें खरीद कर देनी चाहिए। बहू-बेटे को भी किसी खास मौक पर गिफ्ट देना चाहिए। इससे उन्हें एक खुशी मिलेगी।
  • हमेशा घर के बच्चों की मदद के लिए तत्पर रहना चाहिए।
  • बच्चों के मित्रों से स्नेहपूर्वक पेश आना चाहिए, उन्हें स्पेस भी देना चाहिए। आज की पीढ़ी को बीते जमाने की लंबी कहानियां सुनने में दिलचस्पी कम ही होती है। बच्चों से दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए।

लेखक- अंजु जैन (Anju Jain)

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