Fungal Infection: बरसात में बढ़ रहा फंगल इनफेक्शन, पढ़िये इसके फैलने से लेकर इलाज तक की पूरी जानकारी
फंगल इनफेक्शन एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। ये सामान्य भी होती है और जानलेवा भी। आज हम आपको बताएंगे कि फंगल इनफेक्शन क्या होता है। साथ ही, इसके प्रकार और लक्षणों से लेकर बचाव तक के तरीके बताएंगे।;
Treatment Of Fungal Infection: जब कई तरह के फंगस (fungus) की वजह से संक्रमण होने लगता है, तो उसे फंगल इन्फेक्शन (infection) कहा जाता है। यह संक्रमण आपकी इम्यूनिटी (immunity) को काफी कमजोर कर देता है। बता दें कि फंगल इन्फेक्शन एक छोटे से दाद (ringworm) और घाव (wound) से लेकर जानलेवा तक साबित हो सकता है, फंगल इंफेक्शन हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। केवल पानी की वजह से ही नहीं बल्कि हवा, मिट्टी और पौधे से भी फंगल संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। कई प्रकार के ऐसे भी फंगस होते हैं, जो हमारे शरीर में भी पाए जाते हैं। इनमें से कुछ हानिकारक (harmful) तो कुछ अच्छे (good) भी होते हैं। हानिकारक फंगस से बचना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि ये किसी भी परिस्थिति में जिंदा रह सकते हैं।
फंगल इनफेक्शन के प्रकार
जॉक इच (Jock itch)
जॉक इच एक ऐसी बीमारी है, जो डर्माफआइटिस (dermaphytosis) के कारण से होती है। इसकी वजह से त्वचा के चारों ओर की स्किन काफी प्रभावित हो जाती है। आमतौर पर यह कूल्हे (hip) और जांघ (thigh) पर ही होता है। जॉक इच के होने के आम लक्षणों में खुजली, चकत्ते और त्वचा पर लालिमा होना आदि शामिल है। इस प्रकार के फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए आप एंटी फंगल क्रीम, पाउडर और स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं। समस्या बढ़ने पर आप स्किन के डॉक्टर (doctor) को जरूर दिखा लें, इसके लिए आपको कुछ दवाएं (medicines) भी दे सकते हैं।
फंगल नेल इनफेक्शन (fungal nail infection)
आपको बता दें कि फंगल नेल इनफेक्शन अधिकतर पैर के अंगूठे के नाखून पर ही होता है, लेकिन कई बार हाथ के नाखुनों में भी हो सकता है। इसकी वजह से नाखून बहुत मोटा (thick) हो जाता है और आसानी से टूटने भी लगता है। यह थोड़ा गंभीर तो जरूर होता है, लेकिन इसमें आपको किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रकार के फंगल इनफेक्शन का इलाज थोड़ा मुश्किल होता है और यह एंटी फंगल ट्रीटमेंट (anti fungal treatment) से ही ठीक होता है। इसे सही करने के लिए आप एंटी फंगल दवाओं का ही सेवन करें।
दाद (Shingles)
दाद की समस्या से तो हम सभी परिचित है क्योंकि इसे सबसे ज्यादा आम बीमारियों में गिना जाता है। यह बीमारी व्यक्ति के गले (throat), सिर (head) और शरीर के ऐसे हिस्सों को अपना निशाना बनाता है, जहां त्वचा थोड़ी नम और पतली रहती है। ये शरीर के जिस अंग में पनपते हैं, वहां पर बहुत ज्यादा खुजली होती है। अगर दाद सिर पर हो जाता है, तो इसकी वजह से व्यक्ति गंजेपन (baldness) का शिकार हो सकता है। आमतौर पर बाजार में मिलने वाली दवाओं और क्रीम से इसे ठीक किया जा सकता है। समस्या सही न होने पर डॉक्टर को जरूर दिखा लें।
स्पोरोट्रिकोसिस (sporotrichosis)
स्पोरोट्रिकोसिस संक्रमण स्पोरोथ्रीकस नामक फंगस की वजह से होता है। यह मिट्टी और पौधों पर होता है और उसी के जरिए मनुष्यों में भी फैलता है। आमतौर पर यह कुछ अलग तरह से लोगों को ही अपना निशाना बनाता है। यह तीन प्रकार का होता है।
1. क्यूटेनियस स्किन: जब फंगस छोटे-छोटे टुकड़ों से और दरारों के जरिए हमारे स्किन में प्रवेश करते हैं, तो हमें क्यूटेनियस स्किन (coetaneous skin) हो जाता है। इसकी शरूआत हल्के दर्द (mild pain) के साथ शुरू होती है और इसे पूरी तरह से पनपने में लगभग 2 से 12 सप्ताह तक का समय लग जाता है।
2. फेफड़ों में फंगल संक्रमण: यह फंगल इनफेक्शन आपके फेफड़ों में होता है, जिसके होने पर आपको छाती में दर्द (chest pain), सांस फूलने की समस्या और खांसी (cough) जैसे कई लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
3. डिसेमिनेटेड स्पोरोट्रिकोसिस: यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। डिसेमिनेटेड स्पोरोट्रिकोसिस (disseminated sporotrichosis) के लक्षण से ही पता लगाया जा सकता है कि यह कहां पर हुआ है।
Note: आपको बता दें कि यह स्पोरोट्रिकोसिस (sporotrichosis) नामक यह फंगल संक्रमण जानलेवा नहीं होता है, लेकिन इसका इलाज थोड़ा लंबा जरूर चलता है, लेकिन यह कुछ महीनों की लगातार इलाज से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इस समस्या से जुड़ी दवाओं के लिए आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
यीस्ट इंफेक्शन (yeast infection)
यह फंगल इनफेक्शन (infection) किसी भी व्यक्ति को शरीर में कहीं भी हो सकता है। आपको बता दें कि यह इनफेक्शन आपको यीस्ट नामक फंगस के वजह से ही होती है, जिसे कैंडीडा (Candida) भी कहते हैं। यह मुंह (mouth), आंत (intestine), गले और योनि (vagina) कहीं पर भी हो सकता है। मुंह के अंदर होने वाला यीस्ट छाले की तरह ही होता है। इसे ऑरोफरीन्जियल कैंडिडिआसिस (oropharyngeal candidiasis) भी कहा जाता है। वहीं यह महिलाओं की योनि में भी हो सकता है, लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है।
एथलीट फुट (athlete's foot)
एथलीट फुट एक प्रकार का फंगल इनफेक्शन है, जो डर्मेटोफाइट्स (dermatophytes) के वजह से होने वाले फंगल संक्रमण का एक प्रकार है। यह फंगस का एक समूह है, जो गर्म वातावरण (warm environment) में ही पनपता है। यह आपके पैर, हाथों और नाखूनों की त्वचा पर हो सकता है। आपको बता दें कि इस प्रकार का फंगल इनफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्दी फैलता है, लेकिन इसका इलाज संभव है। इसके लिए आप डॉक्टर को दिखा कर एंटीफंगल (antifungal) दवाओं का सेवन कर सकते हैं।
Also Read: Knee Stiffness: चलने-फिरने में घुटने कर रहे परेशान, तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
फंगल इनफेक्शन होने का कारण
- इम्यूनिटी कमजोर होने के वजह से आपको फंगल इनफेक्शन हो सकता है।
- वातावरण के ज्यादा गर्म और ठंडा होने पर भी आपको फंगल इनफेक्शन हो सकता है।
- जेनेटिक कारणों के वजह से भी आपको फंगल इनफेक्शन हो सकता है।
- बरसात में बरसाती पानी के संपर्क में आने पर भी आपको फंगल इनफेक्शन हो सकता है।
- स्ट्रेस और टेंशन के वजह से भी आपको मुंह में फंगल इनफेक्शन हो सकता है।
- अगर किसी व्यक्ति को फंगल इनफेक्शन हुआ है, तो उसके संपर्क में आने से भी हो सकता है।
- साफ-सफाई में कमी होने पर भी आपको फंगल इनफेक्शन हो सकता है।
इन्हें होता है फंगल इनफेक्शन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फंगल इनफेक्शन हर किसी को हो सकता है। ये बच्चों से लेकर बुढ़े लोगों को हो सकता है, लेकिन 60 से 70 प्रतिशत मामलों में 19 से लेकर 50 वर्ष के लोगों को ज्यादा होता है।
फंगल इनफेक्शन से बचाव के लिए इन चीजों का करें सेवन
हल्दी
हल्दी में एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में संक्रमण को कम करने में भी मदद करता है। आप इसका सेवन दाल, दूध, सब्जी आदि में कर सकते हैं।
लहसुन
लहसुन में एलिसिन पाया जाता है, जो फंगस और बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। फंगल इनफेक्शन में लहसुन का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। आप खाली पेट और गुनगुने पानी के साथ 2 से 3 कलियों का सेवन कर सकते हैं।
अदरक
फंगल इनफेक्शन होने पर आप अदरक का सेवन कर सकते हैं। इसमें एंटीफंगल गुण पाया जाका हैं, जो फंगल इनफेक्शन को कम करने में मदद करता है।
नारियल का तेल
अगर आपको फंगल इनेफेक्शन की शिकायत हो रही है, तो आप अपने डाइट में नारियल तेल को जरूर शामिल कर लें। इसमें लॉरिक एसिड और कैप्रीलिक एसीड अच्छे मात्रा में पाया जाता है, जो फंगल इनफेक्शन को कम करने में मदद करता है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाओं की Haribhoomi.com पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।