स्टडी में हुआ खुलासा, शिशुओं के साथ कोरोना मरीजों को ठीक करने में भी काम आ सकता है मां का दूध

कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर नए-नए अध्ययन किए जा रहे हैं ताकि इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज मिल सके। हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया है कि ब्रेस्ट मिल्क (Breast Milk) बच्चों के अलावा बाकी लोगों में भी एंटीबॉडी (Antibodies) बनाने में मदद कर सकता है।;

Update: 2021-09-30 11:28 GMT

Breast milk Contains Antibodies : कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर नए-नए अध्ययन किए जा रहे हैं ताकि इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज मिल सके। हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया है कि ब्रेस्ट मिल्क (Breast Milk) बच्चों के अलावा बाकी लोगों में भी एंटीबॉडी (Antibodies) बनाने में मदद कर सकता है। दरअसल, अध्ययन में पाया गया है कि ब्रेस्ट फीडिंग (Breastfeeding) कराने वाली वो महिलाएं जो कोविड से संक्रमित होकर ठीक हो चुकी हैं, उनके दूध में 10 महीने तक एंटीबॉडी रहता है।  

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार,  महिलाओं के दूध से जो एंटीबॉडी मिलेगी, उससे शिशुओं को तो बीमारी से बचाने में तो मदद मिलेगी ही। इसके साथ ही इन एंटीबॉडी का उपयोग गंभीर कोविड वाले लोगों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी सेक्रेटरी इम्युनोग्लोबुलिन ए (IgA) होता है, जो शिशुओं के श्वसन और आंतों के मार्ग की परत से चिपक जाता है, जिससे वायरस और बैक्टीरिया उनकी बॉडी में नहीं जा पाते हैं। 

77 महिलाओं पर किया गया टेस्ट 

यह स्टडी माउंट सिनाई अस्पताल की डॉ रेबेका पॉवेल और उनकी टीम की ओर से की गई। इसमें कोविड से संक्रमित होकर ठीक हुई 75 महिलाओं की ब्रेस्ट के मिल्क के सैंपल का विश्लेषण किया गया। जिसमें पाया गया कि 88 प्रतिशत में IgA एंटीबॉडी थी। इस बारे में डॉक्टर पावेल कहती हैं कि इसका मतलब है कि यदि आप ब्रेस्ट फीडिंग जारी रखती हैं, तब भी आप अपने दूध में उन एंटीबॉडी को दे रहे हैं। यह एक इनक्रेडिबल थेरेपी (Incredible Therapy) हो सकती है। क्योंकि IgA इन म्यूकोसल एरिया (Mucosal Areas) में  होता है, जैसे कि श्वसन पथ की परत  (Respiratory Tract) और यह सर्वाइव करता है और वहां बहुत अच्छी तरह से काम करता है। आप कल्पना कर सकते हैं कि यह एक Nebuliser टाइप ट्रीटमेंट (Nebuliser Type Treatment) था, यह बहुत प्रभावी हो सकता है जब किसी व्यक्ति को इलाज की जरूरत हो। लेकिन ऐसी स्थिति में न पहुंचा हो, जहां उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरुरत हो। 

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