कोरोना वायरस संक्रमण के यह लक्षण दिखते ही तुरंत करवाएं टेस्ट

इन दिनों कोरोना के संक्रमण से हर कोई भयभीत है। हर किसी के मन में इसको लेकर बहुत सारे सवाल भी आते रहते हैं। ऐसे ही कुछ जरूरी सवालों के जवाब दे रही हैं डॉक्टर ज्योति मुट्टा, जो श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट-माइक्रोबायोलॉजी हैं।;

Update: 2020-06-18 13:40 GMT

कोरोना वायरस के संक्रमण से हर कोई भयभीत है। हर किसी के मन में इसको लेकर बहुत सारे सवाल भी आते रहते हैं। ऐसे ही कुछ जरूरी सवालों के जवाब दे रही हैं डॉक्टर ज्योति मुट्टा, जो श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट-माइक्रोबायोलॉजी हैं।

वे कौन से प्रारंभिक लक्षण हैं, जिनके दिखते ही कोरोना का टेस्ट हमें करवा लेना चाहिए?

ध्यान देने वाली बात यह है कि बहुत संभव है कोरोना के शुरुआती लक्षण दिखाई ही न दें, जो आगे बीमारी के साथ धीरे-धीरे बढ़ते हैं। इसलिए किसी भी ट्रैवल हिस्ट्री वाले व्यक्ति या कोरोना संदिग्ध के संपर्क में आने पर यानी संक्रमण की किसी भी संभावना पर जांच अवश्य करवाएं। दिखाई देने वाले लक्षणों में सूखी खांसी के साथ बुखार, सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। किसी भी प्रकार का संदेह होते ही खुद को क्वारंटीन कर लें, ताकि संक्रमण के आगे बढ़ने की चेन को रोका जा सके।

क्या कोरोना का संक्रमण मक्खी या मच्छर के ज़रिए भी फ़ैल सकता है?

इस बात के अभी तक कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं कि यह मक्खी या मच्छर के जरिए फैल सकता है।

कोरोना के संक्रमण का असर शरीर के किन अंगों पर सबसे अधिक पड़ता है?

कोरोना मूल रूप से फेफड़ों की बीमारी है इसलिए मूल रूप से फेफड़ों पर इसका प्रभाव पड़ता है और बीमारी की स्थिति के अनुसार आगे बाकी अंगों पर असर पड़ने की संभावना होती है, जैसे इसमें अकसर पेट में गड़बड़ी या लूज मोशन होना जैसे लक्षण भी होते हैं। इसलिए पाचन क्रिया प्रभावित होती है और साथ ही बीमारी के गंभीर होने पर आंशिक रूप से हृदय पर भी असर पड़ सकता है।

अगर हम अपनी नाक, मुंह और आंखों को बचाकर रखें, हाथ हमेशा साफ रखें तो क्या कोरोना के संक्रमण से बच सकते हैं?

बेशक, लेकिन सभी सावधानियों का मूल समझना सबसे पहले जरूरी है। हाथ धोते रहना जरूरी है क्योंकि हमारे हाथ बहुत सारे सरफेस को छूते हैं, जहां संक्रमण ठहरा हो सकता है। आंख, नाक, मुंह इसलिए बचाने जरूरी हैं क्योंकि वायरस यहां के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं। यानी मूल रूप से वायरस की चेन आगे बढ़ने से रोकना है और उसके लिए हाथ धोने, आंख, नाक, मुंह बचाए रखने के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग, और अभी के लॉकडाउन पीरियड को ध्यान में रखते हुए घरों में रहना भी संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है।

अगर हमारी इम्यूनिटी स्ट्रांग है तो क्या संभव है कि कोरोना का संक्रमण होने पर भी वह हमारे लिए जानलेवा साबित न हो?

जैसा बताया गया कि कई बार कोरोना के लक्षण दिखाई देने वाले भी नहीं होते, वे या तो धीरे-धीरे सामने आते हैं या आते ही नहीं। लेकिन संक्रमित व्यक्ति संक्रमण का संवाहक तो है ही। इसलिए सबसे पहले ऐसे व्यक्ति, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे लेकिन उनकी ट्रैवल हिस्ट्री रही है या जाने-अनजाने किसी संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अपनी जांच करवाएं और कोरोना मुक्त होने तक डॉक्टरों के निर्देशों पर क्वारंटीन में रहें, इलाज करवाएं, चाहे किसी प्रकार के लक्षण न दिखें। आपका दूसरों को संक्रमित करने के लिए कोरोना पॉजिटिव होना ही काफी है। इम्यूनिटी, रोग को उसके गंभीर रूप में आने से भले ही रोक सकती है फिर भी जब तक संक्रमण मुक्त न हो जाएं इलाज करवाएं क्वारंटीन में रहें। यह आपके अपने और समाज दोनों के लिए बेहद जरूरी है।

हाथों को संक्रमित होने से बचने के लिए क्या ग्लव्स पहनना कारगर है? इन्हें पहनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

अगर आप संक्रमण से बचने की सभी सावधानियां अपना रहे हैं तो ऐसे में अलग से ग्लव्स पहनने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि ग्लव्स पहनने के बाद भी आपको उन्हीं सावधानियों का पालन करना होगा। ग्लव्स पहनने से पहले और सावधानीपूर्वक उतारने के बाद भी हाथों को साबुन से धोना या सैनिटाइज़ करना जरूरी है। साथ ही ग्लव्स को धोना या सैनिटाइज़ करना या डिस्कार्ड करना ज़रूरी है, और डिस्कार्ड करने से पहले भी उनको सैनिटाइज़ करें या धोकर डिस्कार्ड करें।

कोरोना संक्रमण की जांच के लिए टेस्ट किस तरह से किया जाता है, क्या इसे किसी भी पैथ लैब में करवा सकते हैं?

इसकी जांच के लिए आमतौर पर नेजल स्वैब लिया जाता है या गले से भी स्वैब लिया जा सकता है, जिसे सावधानी पूर्वक वीटीएम यानी वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम में रखा जाता है और लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है। इसकी रिपोर्ट कुछ दिनों में आती है और तब तक सुरक्षा की दृष्टि से व्यक्ति को आइसोलेट होकर रहने की हिदायत होती है। इसकी जांच बीते समय सरकार द्वारा इस टेस्ट के लिए मान्यताप्राप्त लैब्स में ही होती है। 

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