Coronavirus: कोरोना वायरस के मिले तीन रूप, सिंगल म्यूटेशन में है भारत
Coronavirus: कोरोना वायरस पर कई देश रिर्सच भी कर रहे हैं। इसी बीच रिसर्चर्स ने खुलासा किया है कि कोरोना वायरस के तीन स्ट्रेन्स हैं। जिस कारण ये दुनिया के कई देशों में ये फैला है। तो चलिए जानते हैं कोरोना के तीन स्ट्रेन्स और इससे जुड़ी जानकारी के बारे में।;
Coronavirus: कोरोना वायरस को कोहराम लगातर बढ़ता ही जा रहा है। ये दिन प्रतिदिन खतरनाक रूप लेता ही जा रहा है। इसकी चपेट में आने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। चीन से शुरू हुआ ये खतरनाक वायरस दुनिया के ज्यादातर देश में फैलकर भयानक रूप ले चुका है।वहीं कोरोना वायरस पर कई देश रिर्सच भी कर रहे हैं। इसी बीच रिसर्चर्स ने खुलासा किया है कि कोरोना वायरस के तीन स्ट्रेन्स हैं। जिस कारण ये दुनिया के कई देशों में ये फैला है। तो चलिए जानते हैं कोरोना के तीन स्ट्रेन्स और इससे जुड़ी जानकारी के बारे में।
यह रिसर्च कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने की है। जिन्होंने कोरोनावायरस के तीन 3 स्ट्रेन्स के बारे में पता लगाया है। वहीं इन तीन स्ट्रेन्स को टाइप-ए, टाइप-बी, और टाइप-सी नाम दिए गए हैं। रिसर्चर्स ने स्टडी कोरोना वायरस से पीड़ित हुए इंसानों में से वायरस के 160 जीनोम सीक्वेंस पर रिसर्च की। जिससे सामने आया कि ये सीक्वेंस चीन के वुहान में फैले कोरोना वायरस से नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में फैले कोरोनावायरस से काफी मिलते थे। इसके साथ ही ये भी पता लगा कि ये वायरस चमगादड़ से फैले कोरोना वायरस से काफी मिलते थे।
कोरोनावायरस के 3 स्ट्रेन्स
टाइप-ए- यह कोरोना वायरस का जीनेम था, जो वुहान में फैल वायरस से मिलता था। इसका म्यूटेशेन हुआ और जो अमेरिकन वुहान में रह रहे थे ये उनमें पहुंच गया। जब ये लोग अपने देश वापस पहुंचे, तो ये वहां भी फैल गया।
टाइप-बी - यह स्ट्रेन पूर्वी एशियाई देशों में सबसे फैला है, लेकिन अभी ये एशिया से निकल बाहर देशों में ज्यादा नहीं पहुंचा है।
टाइप-सी- खासतौर पर ये स्ट्रेन यूरोपीय देशों में देखने को मिला है। शुरुआत में इसके मरीज इटली, स्वीडन, इंग्लैंड और फ्रांस में मिले थे। वहीं रिसर्चर्स का कहना है कि यह वायरस जर्मनी से इटली में पहुंचा और जर्मनी में सिंगापुर से फैला है।
क्या होता है म्यूटेशन
किसी जगह, वहां के वातावरण या किसी और वजह से वायरस की कोशिका, डीएनए और आरएनए में होने वाले बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। म्यूटेशन ने जीवों के विकास क्रम में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं कोरोना वायरस में 29,903 न्यूक्लियस बेस हैं, जिनका क्रमानुसार चीन के मुकाबले भारत और इटली में बदल गया है।
सिंगल म्यूटेशन में है भारत
रिसर्चर्स का कहना है कि भारत में कोरोना वायररस सिंगल म्यूटेशन में है। इससे पता लगता है कि ये अपना रूप नहीं बदल पा रहा है। अगर ये ऐसा ही रहता है, तो बहुत जल्द इस कोरोनावायरस का खात्मा किया जा सकता है। वहीं अगर इस वायरस का म्यूटेशन बदलता है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके म्यूटेशन में बदलने के बाद इसकी वैक्सीन ढूंढने में काफी दिक्कत होगी।
नेटवर्क एल्गोरिदिम का पहली बार यूज हुआ
रिसर्चर्स ने दावा किया है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब इंफेक्शन का पता लगाने के लिए मैथमेटिकल नेटवर्क एल्गोरिदिम का इस्तेमाल किया गया है। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि इसका इस्तेमाल हजारों साल पुरानी इंसान की प्रजाती का पता लगाने के लिए किया जाता है। वहीं इसमें डीएनए की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।