World Cancer Day: कैंसर मरीजों को डाइट में जरूर शामिल करनी चाहिए ये चीजें, जल्द हो जाएंगे ठीक

इनमें से कोई भी एक चीज गलत होने या कमी होने पर मरीज उक्त बीमारी के सामने कमजोर हो जाता है। ऐसे में मरीज के ट्रीटमेंट और उसकी रिकवरी में मेडिकल थेरेपी के साथ ही डाइट एक अहम रोल निभाती है।;

Update: 2022-02-03 08:51 GMT

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए मरीजों को दवाईयों के साथ ही उसकी डाइट (Cancer Patient Diet) भी उतनी ही मदद करती है। इनमें से कोई भी एक चीज गलत होने या कमी होने पर मरीज उक्त बीमारी के सामने कमजोर हो जाता है। ऐसे में मरीज के ट्रीटमेंट और उसकी रिकवरी में मेडिकल थेरेपी के साथ ही डाइट एक अहम रोल निभाती है। कोलकाता के सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विकास अग्रवाल बताते हैं कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहे मरीज को कैसी डाइट (Diet) लेनी चाहिए। जिसे वह जल्द स्वस्थ हो सकें।

ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट

कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी से कॉन्स्टिपेशन, डायरिया, थकान, ऊर्जा की कमी, स्वाद महसूस ना होना, जी मिचलाना, वमन, भूख ना लगना आदि समस्याएं होती हैं। कुछ तरह के कैंसर के इलाज में स्टेरॉयड दिए जाते हैं, जिनसे भूख बढ़ने, ब्लड शुगर लेवल बढ़ने, इंसुलिन रेजिस्टेंस और वेट गेन की समस्या हो सकती है। ब्रेस्ट कैंसर में हार्मोन थेरेपी की जरूरत पड़ती है, जिससे मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है और वेट गेन की समस्या हो सकती है।

इन सभी समस्याओं को डाइट से करें सकते हैं मैनेज

ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स (Treatment Side Effects) का असर कम करने के लिए इनके ट्रीटमेंट, एनर्जी मेंटेनेंस, इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने और इन्फ्लेमेशन कम करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए इलाज के साथ-साथ सही फूड लेना भी जरूरी होता है।

प्लांट बेस्ड प्रोटीन लें

प्लांट बेस्ड फूड में हाई प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स होते हैं। इसलिए बींस, दालें (विशेष रूप से मसूर की दाल) और सीड्स भरपूर मात्रा में लें। अगर एनिमल प्रोटीन लेते हैं तो चिकन और फिश ले सकते हैं।

हेल्दी फैट्स

एवोकैडो, ऑलिव ऑयल, अखरोट जैसे ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त, मोनोसैचुरेटेड पॉलीअनसैचुरेटेड फैट लें। ये इन्फ्लेमेशन कम करते हैं और कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ भी इंप्रूव करते हैं।

हेल्दी कार्ब्स लें

कार्बोहाइड्रेट का सेलेक्शन करते हुए ऐसे फूड्स चुनें, जो कम से कम प्रोसेस किए गए हों। जैसे साबुत अनाज ज्यादा खाएं। इनमें अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ घुलनशील फाइबर होते हैं, जो पेट में अच्छे बैक्टीरिया मेंटेन करते हैं। साथ ही इनसे गुड फैटी एसिड्स प्रोड्यूस होती हैं, जो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और सेलुलर रिपेयर में मददगार होती हैं।

विटामिंस-मिनरल्स

हमारे शरीर में इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने, एक्टिव रखने, इन्फ्लेमेशन कम करने और एंजाइम्स की प्रक्रिया को दुरुस्त रखने में विटामिंस और मिनरल्स की बड़ी भूमिका होती है। अन्य विटामिंस के साथ-साथ आपको विटामिन-डी युक्त भोजन भी लेना चाहिए। योगर्ट, संतरे का रस और अनाज विशेष रूप से लें।

सप्लीमेंट्स भी हैं जरूरी

अगर आप समुचित मात्रा में बैलेंस्ड और न्यूट्रीशस भोजन नहीं कर पाते हैं तो डॉक्टर की सलाह से मल्टीविटामिन और सप्लीमेंट्स ले सकती हैं। दरअसल, वॉमिटिंग और डायरिया के कारण शरीर से एनर्जी, विटामिन और मिनरल्स नष्ट होते हैं, इसलिए इनकी भरपाई जरूरी है। विटामिन-डी सप्लीमेंट्स लेने से इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होता है, थकान कम होती है, हड्डियां मजबूत बनती हैं। स्टेरॉयड लेने से बोन डेंसिटी कम होती है, इसकी भरपाई भी विटामिन-डी से कर सकते हैं।

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