गुरुग्राम में डॉक्टरों ने महिला के शरीर से निकाला 8 किलो का ट्यूमर, 4.5 घंटे तक चली सर्जरी

गुरुग्राम के आर्टेमिस हॉस्पिटल डॉक्टरों की टीम ने एक मरीज के पेट से 8 किलोग्राम का ट्यूमर निकालने में बड़ी सफलता पाई है। यह ऑपरेशन करीब 4.5 घंटे तक चला। इस फिब्रोइड ट्यूमर के आकार के कारण उन्हें बहुत दर्द और सांस लेने में परेशानी भी हो रही थी।;

Update: 2023-10-13 13:15 GMT

Gurugram News: ट्यूमर एक गंभीर समस्या है, इसे नजरअंदाज करने से कई बार इसका साइज बढ़ता जाता है, जो कुछ समय बाद जानलेवा तक साबित हो सकता है। ऐसा ही एक मामला गुरुग्राम से सामने आया है, जहां एक 29 साल की महिला के पेट में करीब 19.68 इंच के आकार का यह ट्यूमर था। गुरुग्राम स्थित आर्टेमिस हॉस्पिटल डॉक्टरों की टीम ने 8 किलोग्राम का ट्यूमर निकालने में सफलता पाई है।

मरीज का नाम ललिता है, वह भिवाड़ी की रहने वाली हैं। ट्यूमर के कारण ललिता को बहुत असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा था। इस फिब्रोइड ट्यूमर के आकार के कारण उन्हें बहुत दर्द और सांस लेने में परेशानी भी हो रही थी। आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डॉ. स्मिता वत्स, डॉ. दीपा माहेश्वरी, डॉ. आशा शर्मा और सीनियर कंसल्टेंट- सर्जिकल ओंकोलॉजी डॉ. तपन चौहान के नेतृत्व में सफतला पूर्वक सर्जरी की गई।

ऑपरेशन सफल होने का बाद मरीज का पीड़िता का बयान

डॉक्टरों ने बताया कि इस सर्जरी से न केवल मरीज को तकलीफदेह लक्षणों से मुक्ति दी गई, बल्कि उनकी प्रजनन क्षमता को भी बचाए रखने में मदद मिली। ऑपरेशन से ललिता के जीवन की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद ललिता ने बताया कि मेरे पेट में गांठ थी, लेकिन थोड़ी-बहुत परेशानी के अलावा मेरा स्वास्थ्य सही लग रहा था। तकलीफ थोड़ा बढ़ने पर हमने भिवाड़ी में ही एक हॉस्पिटल में दिखाया। वहां से मुझे आर्टेमिस हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। यहां हम डॉ. आशा, डॉ. दीपा और डॉ. स्मिता से मिले। उन्होंने जांच और सर्जरी की।

4.5 घंटे तक चला ऑपरेशन 

ललिता ने आगे कहा कि डॉक्टरों ने मेरे शरीर से आठ किलो का फिब्रोइड निकाला है। ऑपरेशन में गर्भाशय समेत मेरे शरीर के किसी भी अन्य अंग पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है। इस सफल सर्जरी के लिए मैं डॉक्टरों की टीम की आभारी हूं। वहीं डॉक्टरों ने बताया कि ललिता की सर्जरी में करीब 4.5 घंटे का समय लगा। फिब्रोइड के बड़े आकार के कारण सर्जरी में कई चुनौतियां थीं। फिब्रोइड पूरे पेट में फैला था और इस कारण से सर्जरी बहुत मुश्किल थी। टीम ने पूरी सतर्कता के साथ सर्जरी को संभाला। डॉ.स्मिता वत्स कहती हैं कि केस कीजटिलता के कारण सर्जरी की पूरी रणनीति बनानी थी, जिससे गर्भाशय एवं प्रजनन अंगों को सुरक्षित रखा जा सके।

ऑपरेशन के बाद क्या बोले डॉक्टर

वहीं इस ऑपरेशन को लेकर डॉ. आशा कहती हैं कि यह सर्जरी दिखाती है कि यदि विशेषज्ञता एवं संवेदना साथ हों, तो असीम संभावनाएं बनती हैं। सर्जरी में थोड़ी भी देरी हुई होती, तो मुश्किल आ सकती थी। डॉ. दीपा माहेश्वरी ने कहा, 'ललिता की शादी को अभी नौ महीने ही हुए थे। इस फिब्रोइड के कारण उनकी प्रजनन क्षमता को खतरा हो सकता था। फिब्रोइड जिस तरह से बढ़ रहा था, उससे उनका गर्भाशय भी निकालना पड़ सकता था। आगे चलकर किडनी की समस्या और एनीमिया का भी खतरा था। सर्जरी की सफलता ने इन सभी खतरों को दूर कर दिया है। आर्टेमिस हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. देवलीना चक्रवर्ती ने इस सफलता को लेकर कहा यह सफल सर्जरी हमारी मेडिकल टीम की क्षमता का उदाहरण है। यह मरीजों को सर्वश्रेष्ठ इलाज देने की हमारी प्रतिबद्धता को भी मजबूती देता है। हमें अपनी टीम पर गर्व है, जिन्होंने इस सर्जरी को सफल बनाया है।

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