Health: क्या है ल्यूकोरिया, जानें इसके लक्षण और बरतें सावधानी
Health Tips: महिलाओं में सामान्य से अधिक मात्रा और बदबूदार व्हाइट डिस्चार्ज होने को ल्यूकोरिया डिजीज कहा जाता है। वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र की लड़की या महिला को हो सकती है। लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इससे बचा जा सकता है। इसके कारण, लक्षणों और उपचार के बारे में जानिए।;
Health News: महिलाओं में वैजाइना (Vagina) से व्हाइट डिस्चार्ज (White Discharge) होना, पीरियड साइकिल (Period Cycle) से जुड़ा एक नेचुरल प्रोसेस (Natural Process) है। यह योनी से (पीरियड्स शुरू होने के 4-5 दिन पहले और पीरियड्स खत्म होने के 3-4 दिन बाद के दिनों को छोड़कर) स्रावित होता है। यह वैजाइना के आस-पास नमी और टेंप्रेचर मेंटेन रखता है, जिससे वैजाइनल इंफेक्शन होने का खतरा कम होता है। अपनी इस स्टोरी में हम आपके लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. भारती कालरा (Dr. Bharti Kalra Gynecologists) से बातचीत कर इस बीमारी की पूरी डिटेल्स लेकर आएं हैं।
क्या होता है ल्यूकोरिया (Leukorrhea)
महिलाओं में होने वाला व्हाइट डिस्चार्ज जब ज्यादा मात्रा में और बदबूदार होने लगे तो इसे ल्यूकोरिया कहा जाता है। जब किसी कारण से वैजाइना एरिया में इंफेक्शन या सर्विक्स पर जख्म हो जाते हैं, तब ऐसा होने लगता है। इससे महिला को कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ध्यान ना दिए जाने और समुचित उपचार ना होने पर यह इंफेक्शन बढ़ सकता है और सर्वाइकल इरोजन कैंसर में भी बदल सकता है।
रोग के कारण
ल्यूकोरिया होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे डेली रूटीन में पर्सनल हाइजीन का ध्यान ना रखने पर, वैजाइना-इंफेक्शन होना, हार्मोन असंतुलन, मल्टीपल पार्टनर के साथ संबंध बनाने पर गनोरिया, क्लेमाडिया, ट्राइकोमोनास, सिफिलिस जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बैक्टीरियल इंफेक्शन होना, इंटरकोर्स के दौरान हाइजीन का ध्यान ना रखने पर यूटेरस के मुंह या सर्विक्स पर जख्म होना, डायबिटीज के कारण यूरीन में शुगर का स्राव होने से ट्राइकोमोनास या कैंडिडा जैसे फंगल इंफेक्शन होना, लंबे समय से एंटीबॉयोटिक मेडिसिन लेने से इम्यूनिटी कमजोर होना, तनावग्रस्त रहना, पोषक और संतुलित भोजन ना करना, ऑयली और मसालेदार भोजन ज्यादा करना, जंक फूड का सेवन अधिक करना जैसी वजहों से ल्यूकोरिया हो सकता है।
प्रमुख लक्षण
व्हाइट डिस्चार्ज सामान्य से बहुत ज्यादा बदबूदार होना, ग्रे-ग्रीन या यलो कलर्ड झागदार या फटे दही जैसा गाढ़ा होना, डिस्चार्ज के साथ खून की लाइनिंग होना, पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना, वैजाइना में इचिंग होना, कमजोरी महसूस होना, हल्का बुखार आना और चिड़चिड़ापन इसके लक्षणों में शमिल हैं।
डायग्नोसिस
इंफेक्शन का पता लगाने के लिए कल्चर टेस्ट किया जाता है। सेक्सुअली एक्टिव महिला को अगर डिस्चार्ज गाढ़ा, बदबूदार है तो उनका हाई वैजाइनल स्वैब लिया जाता है, पीसीआर टेस्ट, यूरीन कल्चर टेस्ट किया जाता है। व्हाइट डिस्चार्ज के साथ खून की लाइनिंग होने या सर्वाइकल कैंसर की आशंका के लिए पैपस्मीयर टेस्ट किया जाता है। गोनोरिया और क्लेमाइडा की जांच के लिए पीसीआर टेस्टिंग या नाट (एनएटीटी) टेस्ट किया जाता है। सिफिलिस इंफेक्शन का पता वीडीआरएल ब्लड टेस्ट से लगाया जाता है।
ट्रीटमेंट का तरीका
ल्यूकोरिया डिजीज का एसिंप्टोमैटिक (कोई लक्षण ना दिखना) उपचार किया जाता है, जिससे ज्यादातर इंफेक्शन ठीक हो जाते हैं। जैसे-ट्राइकोमोनास बैक्टीरिया इंफेक्शन के लिए ओरल मेडिसिन का 5-7 दिन का कोर्स कराया जाता है। इचिंग ज्यादा हो तो क्रीम लगाने के लिए दी जाती है। पीआईडी (पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज) इंफेक्शन में 2 सप्ताह तक ओरल मेडिसिन दी जाती है। कैंडिडा इंफेक्शन के लिए एंटी-फंगल मेडिसिन दी जाती है।
बचाव के उपाय
बचाव के लिए सबसे जरूरी है हाइजीन का ध्यान रखें। इसके लिए साफ-सुथरी और कॉटन फैब्रिक के अंडरगारमेंट्स पहनें। पसीने या पानी की वजह से गीलापन महसूस हो, तो तुरंत इसे बदल लें। रात को पैंटीज पहनना अवॉयड करें ताकि वैजाइना एरिया में मॉयश्चर ना पनपे। मॉयश्चर की वजह से बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जिससे जलन या खुजली जैसी प्रॉब्लम हो सकती है। जितनी बार यूरीन पास करें, उतनी बार पानी से धुलें। इसके बाद टिश्यू पेपर से वैजाइना एरिया को साफ करें। इसी तरह स्टूल पास करने के बाद सफाई करते वक्त हाथ वैजाइना के आगे से ना ले जाकर पीछे की तरफ से लेकर जाएं। हाथ का मूवमेंट भी आगे से पीछे की ओर रखें ताकि बैक्टीरिया वैजाइना की तरफ ना आएं और इंफेक्शन का खतरा ना हो। मेनोपॉज के बाद व्हाइट डिस्चार्ज हो, तो बिना देर किए डॉक्टर को कंसल्ट करें। प्राइवेट पार्ट्स में किसी तरह की खुश्बूदार क्रीम, सेंट या पाउडर ना लगाएं।
अगर व्हाइट डिस्चार्ज बहुत ज्यादा हो रहा है, जिससे रूटीन लाइफ भी इफेक्टेड हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। अपने प्रति लापरवाही ना बरतें। किसी भी तरह की परेशानी हो, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। कोई मेडिसिन नुकसान पहुंचा रही हो तो डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि उसे बदला जा सके।
किस उम्र में हो सकता है व्हाइट डिस्चार्ज
व्हाइट डिस्चार्ज किसी भी एज में हो सकता है। देर तक यूरीन रोकने, पेट में कीड़े होने, हाइजीन की कमी से वैजाइनल इंफेक्शन के कारण 4-5 साल की छोटी बच्चियों में भी यह प्रॉब्लम हो सकती है। प्री-प्यूबर्टी स्टेज में एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ने और वैजाइना सेल्स में बदलाव आने से 8-10 साल की कई बच्चियों में शुरू हो सकता है। हार्मोनल बदलाव होने और सेक्सुअल बदलाव आने से किशोरावस्था में पहुंची लड़कियों में और मैरिज के बाद व्हाइट डिस्चार्ज होना नॉर्मल होता है।
प्रस्तुति-रजनी अरोड़ा (Rajni Arora)