फेफड़ों को एक दम सही रखती है इलायची, यह है खाने का तरीका
अस्थमा के रोगियों के लिए यह फायदेमंद है। ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया आदि में भी यह फायदेमंद होती है। अधिक प्रदूषण के माहौल में एक्सपोजर से रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की लाइनिंग में इंफ्लेमेशन हो सकता है। इलायची के सेवन से इंफ्लेमेशन कंट्रोल हो सकता है।;
छोटी इलायची या हरी इलायची प्राय: हर घर में मिल जाएगी, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि इलायची हमारे फेफड़ों के लिए बहुत लाभकारी है। जाने-माने न्यूट्रीशनिस्ट ल्यूक कोटिन्हो कहते हैं कि वर्तमान समय में जबकि पॉल्यूशन और संक्रमण की समस्या बढ़ रही है, ऐसे में हमें रोजाना इलायची का सेवन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। इलायची में सीनेओल नामक तत्व होता है, जो एंटीमाइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक होता है। यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया की रोकथाम में सक्षम है।
विशेष रूप से अस्थमा के रोगियों के लिए यह (Elaichi Benefits) फायदेमंद है। ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया आदि में भी यह फायदेमंद होती है। अधिक प्रदूषण के माहौल में एक्सपोजर से रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की लाइनिंग में इंफ्लेमेशन हो सकता है। इलायची के सेवन से इंफ्लेमेशन कंट्रोल हो सकता है। यह एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है। यह रेस्पिरेटरी सिस्टम की एजिंग को कंट्रोल करने के साथ पॉल्यूशन के कारण होने वाले फ्री रेडिकल डैमेज से भी लड़ सकती है। इलायची का सेवन कई तरीके से कर सकते हैं।
जैसे-चाय में एक या दो इलायची कूटकर डालें, करी पावडर में इलायची भी पीसकर मिलाएं, इलायची का इसेंशियल ऑयल स्टीम या वेपोराइजर से सूंघें, खीर, लड्डू, कलाकंद, रबड़ी, दूध में इलायची पीसकर डालें, कॉफी में इलायची पावडर डालकर उबालें। इससे कॉफी का एसिडिक इफेक्ट भी कम होगा, टॉफी की तरह रोज आधी इलायची चूसें। लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। इसकी परख के लिए शुरू में कम मात्रा में इलायची का सेवन करके देखें। जिन लोगों को गाल ब्लैडर स्टोन की प्रॉब्लम हो उन्हें इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए या चिकित्सक की सलाह से लेना चाहिए। इसका इस्तेमाल अधिक न करें, रोजाना 1 या 2 इलायची का सेवन पर्याप्त है।