पीरियड रिलेटेड प्रॉब्लम्स बिल्कुल न करें इग्नोर
पीरियड्स के दौरान कई ऐसी समस्याएं होती हैं, जिन्हें महिलाएं अकसर इग्नोर करती हैं। लेकिन ऐसा करने पर आगे चलकर ये प्रॉब्लम्स कई तरह के गंभीर रोगों की वजह बन सकती हैं। ऐसे में शुरुआत से ही अलर्ट रहना चाहिए और पीरियड्स के दौरान किसी भी तरह के असामान्य लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेने में देर नहीं करनी चाहिए।;
जब टीनएज में आने पर लड़कियों को पीरियड्स शुरू होते हैं तो इससे जुड़ी मेडिकल प्रॉब्लम्स के बारे में उन्हें कम ही पता होता है। लेकिन कई लड़कियां तो आगे चलकर भी इसे लेकर लापरवाह रहती हैं। इसी अनदेखी की वजह से कई बार छोटी परेशानियां गंभीर बीमारी का रूप ले लेती हैं। ऐसे में जरूरी है कि शुरुआत से पीरियड्स रिलेटेड प्रॉब्लम को लेकर कॉन्शस रहें ताकि कोई प्रॉब्लम होने पर समय पर इलाज कराया जाए।
तेज दर्द होना
समस्या : पीरियड्स के दौरान पेट या पेल्विक एरिया में कम या ज्यादा दर्द की समस्या लगभग सभी लड़कियों, महिलाओं को होती है। लेकिन जब पीरियड्स के दौरान यूटेरस के सिकुड़ने और ब्लड बाहर आने से पेल्विक एरिया या पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द हो तो उसे इग्नोर न करें। यह डिस्मोनेरिया हो सकता है।
लक्षण : टीन एज में ध्यान न देने पर यंग एज में यह दर्द और बढ़ जाता है। कई महिलाएं तकरीबन 10-12 दिन तक लगातार असहनीय दर्द झेलती हैं। उन्हें पीरियड्स से 3-4 दिन पहले ही तेज दर्द शुरू हो जाता है और बाद में 3-4 दिन तक रहता है। पेल्विक हिस्से में सूजन, भारीपन महसूस होता है। शारीरिक संबंध बनाने के दौरान काफी दर्द रहता है। यह गंभीर एंडोमेट्रिओसिस बीमारी का संकेत हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसमें पीरियड्स में निकलने वाले रक्त का कुछ हिस्सा यूटेरस के आस-पास जमा होता रहता है और चॉकलेट सिस्ट (गांठों) का रूप ले लेते हैं। धीरे-धीरे ये गांठें पेल्विक एरिया और ओवरी के आस-पास भी बनने लगती हैं।
समाधान : अगर दर्द डेली रूटीन के काम में बाधा डाल रहा है, बर्दाश्त से बाहर हो तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। डॉक्टर को कंसल्ट करके मेडिसिन जरूर लेनी चाहिए। पेल्विक एरिया में दर्द होने पर महिलाओं को जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। लेप्रोस्कोपी के जरिए चॉकलेट सिस्ट के थक्कों को इंफ्यूजन कोट्टरी से जलाकर साफ कर दिया जाता है या सर्जरी करके हटाया जाता है।
ओवर ब्लीडिंग होना
समस्या : टीनएज में पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होना कॉमन है। लेकिन आगे चलकर भी कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग बहुत ज्यादा यानी 8 दिन तक होती रहती है।
लक्षण : इस प्रॉब्लम में पीरियड्स टाइम पर नहीं होते हैं, बढ़-घट कर आते हैं या फिर कभी-कभी कुछ समय के लिए बंद भी हो जाते हैं। मासिक चक्र 25-28 दिन में आने के बजाय 21 दिन या 3 सप्ताह से पहले आने लगता है। युवावस्था में यह फ्राइब्रॉयड रसौलियों, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, पीसीओएस, यूटेरस में सूजन जैसी समस्या होने का संकेत देते हैं। तनावग्रस्त होने पर ब्रेन में हार्मोंस का डिस्चार्ज करने वाली हाइपोथैलेमस ग्रंथि में समस्या आ जाती है, जिससे महिलाओं को पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है। जिसे डीयूबी (डिस्फंक्शनल यूटराइन ब्लीडिंग) या एयूबी (एब्नॉर्मल यूटराइन ब्लीडिंग) कहा जाता है। यह समस्या होने पर महिलाओं में खून की कमी होने लगती है, वो एनीमिया की शिकार भी हो सकती हैं। आगे चलकर शादी के बाद ऐसी महिलाओं में एनोव्यूलेशन के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या भी आ सकती है।
समाधान : डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के द्वारा रोग के कारण का पता लगाते हैं और उसके अनुसार समुचित उपचार करते हैं।
प्रस्तुति : रजनी अरोड़ा