थायरॉइड के मरीजों को डाइट में शामिल करनी चाहिए ये चीजें, जानें कितने तरह की होती है यह बीमारी
थायरॉइड की समस्या दो तरह की होती है। पहला, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड द्वारा हॉर्मोन का प्रोडक्ट कम होता है। इसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहा जाता है। वहीं दूसरे प्रकार के थायरॉइड को हाइपर थायरॉइजिम कहते हैं। ऐसे में थायरॉइड ग्लैंड मे हॉर्मोन का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है। थायरॉइड पीड़ितों में हाइपोथायरॉइडिजम के रोगी ही ज्यादा देखने को मिलते हैं।;
आजकल ज्यादातर लोगों को थायरॉइड की समस्या रहने लगी है। यह अक हॉर्मोनल जनित बीमारी है। यह बॉडी के मेटाबॉलिजम को कंट्रोल करती है। आपको बता दें कि यह समस्या शरीर में आयोडीन की कमी की वजह से होती है। इसके साथ ही बॉडी में जिंक, सेलेनियम, फॉस्फोरस और विटामिन्स की कमी की वजह से भी यह बीमारी होने का खतरा रहता है। इन जरूरी न्यूट्रिऐंट्स की कमी की वजह से भी यह समस्या होने लगती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह थायरॉइड की समस्या दो तरह की होती है। पहला, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड द्वारा हॉर्मोन का प्रोडक्ट कम होता है। इसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहा जाता है। वहीं दूसरे प्रकार के थायरॉइड को हाइपर थायरॉइजिम कहते हैं। ऐसे में थायरॉइड ग्लैंड मे हॉर्मोन का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है। थायरॉइड पीड़ितों में हाइपोथायरॉइडिजम के रोगी ही ज्यादा देखने को मिलते हैं।
हाइपोथायरॉइडिजम के लक्षण
- वजन बढ़ना
- तेजी से बाल गिरना
- हर समय थकावट रहना
ऐसे करें कंट्रोल
हरी फलियां
भारत में आपको कई तरह की फलियां देखने को मिल जाएंगी। इन्हें मुख्य रूप से सब्जियों में यूज किया जाता है। थायरॉइड के मरीजों को फलियों का रेगुलर सेवन करना चाहिए। इसमें विटमिन, मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।
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नमक
ऐसे में आपको नमक युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए। आयोडीन बॉडी में हॉर्मोनल बैलेंस के साथ साथ ब्लड सर्कूलेशन को भी बढ़ाता है। जिससे शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है।