औषधीय गुणों से भरपूर होती है तुलसी, इन बीमारियों से मिलता है छुटकारा
तुलसी को अगर घर का डॉक्टर कहें तो गलत नहीं होगा। अनेक औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी कई रोगों में कारगर है। इसके औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानिए।तुलसी एक बहुपयोगी पौधा है। इसे आसानी से घर-आंगन में लगा सकते हैं।;
तुलसी को अगर घर का डॉक्टर कहें तो गलत नहीं होगा। अनेक औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी कई रोगों में कारगर है। इसके औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानिए।तुलसी एक बहुपयोगी पौधा है। इसे आसानी से घर-आंगन में लगा सकते हैं। इसके पत्ते, जड़, बीज सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। घरेलू उपचार में तुलसी का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है।
स्मरण शक्ति: स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए तीन-चार पत्ते सवेरे खाली पेट निगल लें। याद रहे दांत से कुचलने नहीं हैं। इसके सेवन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ेगी।
पीनस रोग: इस रोग के कारण व्यक्ति की सूंघने की क्षमता नष्ट हो जाती है। ऐसे में इसके पत्ते या इसकी मंजरी (फूल) हथेली पर मसल कर सूंघने से लाभ होगा।
कान में दर्द : कान में दर्द से परेशान हैं तो तुलसी के पत्तों के रस को गुन-गुना कर के दो-दो बूंद डालना लाभकारी है।
दांत दर्द : दांत दर्द के लिए तुलसी के पत्ते और काली मिर्च पीस कर गोली बनाकर दर्द वाले दांत के नीचे रखें, दर्द से चैन मिलेगा।
सर्दी-जुकाम: सर्दी, जुकाम और गले में खराश आदि परेशानियों में इसके पत्तों को गुनगुने पानी में उबाल कर गरारे करना लाभकारी है। इसमें हल्दी चूर्ण चौथाई चम्मच, सेंधा नमक चौथाई चम्मच मिला कर गरारे करने से लाभ जल्दी होगा। ऐसे में तुलसी के पत्ते, अदरक, कालीमिर्च वाली चाय पीना लाभकारी है।
खांसी होने पर: अगर खांसी से परेशान हैं तो तुलसी की पत्तियों का रस एक चम्मच, अदरक का रस एक चम्मच गुनगुना करके शहद मिलाकर सवेरे-शाम देना हितकर है।
डायरिया: डायरिया यानी पतले दस्त, जो बरसाती मौसम में होना आम बात है, होने पर तुलसी के पत्ते का सेवन बहुत उपयोगी है। दस तुलसी पत्तियां और चार चुटकी जीरा मिला कर पीस कर शहद से देना हित कर है।
अस्थमा अटैक: अस्थमा अटैक होने पर तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ मुंह में दबाकर रस चूसना हितकर है।
दाद-खाज-खुजली: दाद, खाज, खुजली या अन्य चर्म संबंधी परेशानियों में तुलसी के पत्ते निगलने या इनका रस निकाल कर प्रभावित स्थान पर लगाना लाभकारी है।
बुखार : बुखार होने पर तुलसी, अदरक, मुलहठी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इसे सवेरे-शाम शहद के साथ सेवन कराने से लाभ होगा।
इनके अलावा पुराने घाव को भरने के लिए तुलसी के पत्ते उवाल कर ठंडे कर घाव धोएं। पत्तों को पीस कर लेप भी करें।
उक्त सभी उपाय कारगर हैं लेकिन प्रयोग करने से पहले अनुभवी चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।