हेल्दी बॉडी के लिए विटामिन हैं जरूरी
शरीर को स्वस्थ रखने और कई रोगों से बचाव के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ ही विटामिनों की भी जरूरत होती है। ये विटामिन क्या हैं, इनके प्रकार और इनके महत्व के बारे में आप भी जानिए।;
हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में, स्वस्थ रहने के संदर्भ में, जिस एक शब्द को बार-बार सुनते हैं, वह है विटामिन। डॉक्टर को जब भी हम अपनी सेहत संबंधी कोई समस्या बताते हैं, तो वह उसका हल बताने के क्रम में कहीं न कहीं, हमें बेहतर खानपान की सलाह देता है ताकि शरीर को जरूरी विटामिंस मिल सकें। हमारे इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों में जो स्वास्थ्य के बारे में थोड़ा बहुत भी जानते हैं, वे अकसर ही हमें विटामिनों की खूबी बताते रहते हैं। ऐसे में किसी के भी मन में यह स्वाभाविक सवाल उठेगा कि आखिर ये विटामिन हैं क्या?
क्या होते हैं विटामिन
अगर बहुत सरल तरीके से कहें तो तमाम विटामिन हमारे खाए गए विभिन्न खाद्य पदार्थों का सत्व या सार होते हैं। दूसरे शब्दों में ये आहार के वे अंश या अवयव होते हैं, जिनकी यूं तो हमें बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन स्वस्थ रहने के लिए जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। अगर विज्ञान की भाषा में कहें तो विटामिन एक किस्म के कार्बनिक यौगिक हैं। इनसे कोई कैलोरी प्राप्त नहीं होती, फिर भी ये शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि हमारे शरीर का स्वस्थ रहना इन्हीं पर निर्भर है। शरीर को तमाम तरह के रोगों के हमलों से विटामिन ही बचाते हैं। अगर शरीर में जरूरी विटामिनों की कमी हो जाए तो हमारा शरीर रोगग्रस्त हो जाएगा। हमारा शरीर खुद कोई विटामिन नहीं बना सकता, इसलिए हमें इन्हें आहार से प्राप्त करना होता है। यूं तो हमारे द्वारा खाई जाने वाली बहुत-सी चीजों में कोई न कोई विटामिन पाया जाता है, लेकिन अलग-अलग विटामिनों को भरपूर मात्रा में पाने के लिए कुछ निश्चित आहार होते हैं।
ऐसे हुई विटामिनों की खोज
सबसे पहले डच वैज्ञानिक क्रिश्चियन एजिकमेन (1858-1930) ने गौर किया कि पॉलिश किया हुआ चावल खाकर मुर्गियां बीमार पड़ जाती हैं। उन्होंने इसका अर्थ यह निकाला कि चावल को पॉलिश किए जाने पर इसमें उस तत्व की कमी हो जाती है, जिसे विटामिन कहा जाता है। हालांकि एजिकमेन ने इस तत्व को विटामिन नहीं कहा था। विटामिन शब्द की खोज या पहली बार इसका इस्तेमाल पोलैंड के बायोकेमिस्ट काजिमिर फंक ने 1912 में किया, जिन्हें विटामिन की अवधारणा को पहली बार फॉर्मूलाबद्ध किए जाने का श्रेय जाता है। फंक ने इस अवधारणा को दरअसल 'वाइटल अमींस' यानी विटामिन कहा था, जिसका अंतिम मतलब था, 'कार्बनिक यौगिक'। वर्ष 1885 में डच वैज्ञानिक एजिकमेन चूजों पर एक प्रयोग कर रहे थे, इसी प्रयोग के दौरान उन्होंने जाना कि शरीर में महत्वपूर्ण रासायनिक तत्वों की मौजूदगी होती है। मालूम हो कि ये एजिकमेन ही थे, जिन्होंने सन 1886 में इंडोनेशिया में बेरीबेरी नाम की बीमारी से हजारों लोगों को मरते देखा था और वे इसके कारण की खोज में जुटे थे। उन्होंने तमाम तत्वों का अध्ययन करने के बाद यह पाया कि यह बीमारी यानी बेरी बेरी का कारण भोजन में कुछ तत्वों की कमी है। लेकिन ये क्या कमी है, वह यह नहीं बता पाए। इसका पता लगाने का श्रेय ब्रितानी वैज्ञानिक सर फ्रेडरिक गौलैंड हॉपकिंस को जाता है। इन्होंने ही साल 1912 में यह सिद्ध किया कि हर इंसान को स्वस्थ रहने के लिए निश्चित मात्रा में विटामिनों की आवश्यकता होती है। यही नहीं उन्होंने उन कई रोगों को भी चिन्हित किया, जो विटामिनों की कमी के चलते होते हैं, इसी के साथ ही उन्होंने उन भोजनों और फलों की भी पहचान की, जिनमें अलग-अलग विटामिन तत्व पाए जाते हैं। इसके लिए हॉपकिंस को एजिकमेन के साथ साल 1929 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला।
विटामिन के प्रकार
विटामिन मुख्यतः 6 प्रकार के होते हैं- ए, बी, सी, डी, ई और के। इन सभी विटामिनों की खोज हॉपकिंस ने नहीं की। विटामिन ए और विटामिन बी की खोज वैज्ञानिक मेकुलन ने की थी, विटामिन सी की खोज हावकट ने और विटामिन डी की खोज हॉपकिंस ने की। ये विटामिन अलग-अलग खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।