कोरोना ट्रीटमेंट में बहुत ही फायदेमंद होता है जिंक, जाने शरीर को कैसे पहुंचाता है फायदा

शरीर के लिए जरूरी होने के बावजूद तय मात्रा से ज्यादा जिंक लेने के कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसे भूख की कमी, उल्टी आना, पेट में दर्द आदि। इसलिए जिंक सप्लीमेंट कभी भी अपने मन से ना लें हमेशा डॉक्टर की कंसल्टेशन पर ही इसे लेना चाहिए।;

Update: 2021-05-23 09:41 GMT

इन दिनों माइल्ड कोरोना के ट्रीटमेंट में कई पेशेंट्स को अन्य दवाओं के अलावा जिंक सप्लीमेंट्स भी डॉक्टर सजेस्ट कर रहे हैं। इसकी क्या वजहें हैं और शरीर में जिंक मिनरल की क्या इंपॉर्टेंस होती है। इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे। हम आप को बताते है शरीर को फायदा पहुंचाने और कोरोना ट्रीटमेंट में कितना कारगार रहा है जिंक। 

आमतौर पर माइल्ड कोविड-19 इंफेक्शन के इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं, आईवरमेक्टिन, पैरासिटामॉल, एंटी एलर्जी या सर्दी, जुकाम और कंजेशन रोधी दवाओं के साथ-साथ अधिकांश चिकित्सक दो सप्लीमेंट्री टैबलेट भी आवश्यक रूप से प्रिस्क्राइब कर रहे हैं। ये दो हैं-जिंक और विटामिन सी। यही वजह है कि दवाई की दुकानों पर इन दिनों दोनों की डिमांड अचानक बढ़ गई है।

कोविड ट्रीटमेंट में जिंक क्यों

सवाल उठता है कि आखिर जिंक का कोविड-19 के इलाज से क्या लिंक है? यह सवाल हर किसी के मन में है। दरअसल, कोविड इंफेक्शन से पीड़ित रोगी को या इसकी रोकथाम के लिए सामान्य लोगों को जिंक और विटामिन सी का कॉम्बिनेशन देने की वजह है कि इन दोनों कंपाउंड में एंटी वायरल गुण होते हैं और ये इम्यूनिटी भी बढ़ाते हैं। वैसे आप रोज पांच काजू, पांच बादाम, एक गिलास संतरे का रस या नीबू पानी पीकर भी इन दोनों की जरूरी मात्रा हासिल कर सकते हैं।

यह है जिंक का महत्व

जिंक एक आवश्यक मिनरल है। किसी वयस्क के शरीर में 2 ग्राम जिंक की मात्रा होती है, इसमें से 60 फीसदी हड्डियों और मसल्स में होता है और बाकी पूरे शरीर में। जिंक हमारे शरीर में न तो बन सकता है ना स्टोर किया जा सकता है, इसलिए इसे खान-पान के माध्यम से या सप्लीमेंट्स के माध्यम से ग्रहण करते रहना जरूरी होता है। जीन डीएनए की सही फंक्शनिंग, एंजाइम रिएक्शन, घाव भरने और इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाने में जिंक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों के सही विकास के लिए भी जिंक बहुत जरूरी है।

शाकाहारियों में जिंक की कमी

पुरुषों को प्रतिदिन 11 मिलीग्राम और महिलाओं को 8 मिलीग्राम जिंक की जरूरत होती है। ज्यादा से ज्यादा 40 मिलीग्राम जिंक ही 1 दिन में जज्ब भी किया जा सकता है। यह अंडे, मछली, चिकन, मटन, शेलफिश आदि के साथ-साथ काबुली छोले, मटर, मशरूम और मेवों में पाया जाता है। सब्जियों, चावल और गेहूं में फाइटेड होते हैं, जो जिंक को डाइट में बाइंड करते हैं। इससे जिंक फाइटेड बनता है, जो जिंक को शरीर में एब्जॉर्ब नहीं होने देता। इसलिए शाकाहारी लोगों में जिंक की प्राय: कमी पाई जाती है।

जिंक की कमी के लक्षण

किसी के शरीर में जिंक की कमी हो तो उसे बार-बार वायरल इंफेक्शन, डायरिया, भुरभुरे बाल, ड्राई स्किन, घाव भरने में ज्यादा समय लगना, भूख कम लगना, मूड डिस्टर्ब रहना और इनफर्टिलिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार जिंक की कमी से वायरल रेस्पिरेट्री इंफेक्शन और लगातार नाक बहने की समस्या भी हो सकती है। बच्चों में भी वायरल डायरिया की शिकायत जिंक सप्लीमेंट से ठीक हो जाती है। असल में जिंक आंतों में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के संचरण और एब्जॉर्ब होने के लिए भी जरूरी है। साथ ही इसकी कमी से आयरन और कॉपर जैसे जरूरी तत्व भी शरीर में जज्ब नहीं हो पाते।

ज्यादा मात्रा में न लें

शरीर के लिए जरूरी होने के बावजूद तय मात्रा से ज्यादा जिंक लेने के कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसे भूख की कमी, उल्टी आना, पेट में दर्द आदि। इसलिए जिंक सप्लीमेंट कभी भी अपने मन से ना लें हमेशा डॉक्टर की कंसल्टेशन पर ही इसे लेना चाहिए।

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