Independence Day 2022: कैसे हुई लाल किले पर झंडा फहराने की शुरुआत? जानिए स्वतंत्रता दिवस का इतिहास और महत्व
भारत आजादी के 75 (Independence Day 2022) साल पूरे होने का जश्न मानाने जा रहा है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों के अथक प्रयासों के बाद मिला यह स्वतंत्र राष्ट्र हम सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व की बात है।;
Happy Independence Day 2022: भारत आजादी के 75 साल (Happy Independence Day 2022) पूरे होने का जश्न मानाने जा रहा है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों (freedom fighters and revolutionaries) के अथक प्रयासों के बाद मिला यह स्वतंत्र राष्ट्र हम सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व की बात है, हम सभी इस आजादी की कीमत को बहुत अच्छे से जानते हैं। स्वतंत्रता दिवस का उत्सव हमारे साहसी नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का सम्मान करता है, जिन्होंने देश और देशवासियों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। यह समय धरती के महान सपूतों को श्रद्धांजलि देने और उनकी वीर गाथाओं से प्रेरित होने का है। 15 अगस्त (15 August 1947) को स्वतंत्रता दिवस का प्रतिष्ठित वार्षिक उत्सव एक बार फिर लाल किले से देखा जाएगा। यह दिन हमें समय में वापस यात्रा करने और इस तिथि के इतिहास और महत्व को प्रतिबिंबित करने का सही मौका देता है।
स्वतंत्रता दिवस 2022: इतिहास और महत्व
ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत का स्वतंत्रता संग्राम 200 वर्षों से अधिक समय तक चला था। महान स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं जैसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। इन स्वतंत्रता सेनानियों के विद्रोहों के अलावा, द्वितीय विश्व युद्ध ने ब्रिटिश सेना को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाकर हमारी आजादी में अहम योगदान दिया, जिससे अंग्रेज भारत पर शासन करने में असमर्थ हो गए। जिसके बाद ब्रिटिश संसद द्वारा लॉर्ड माउंटबेटन (Louis Mountbatten) को 30 जून 1948 तक सत्ता हस्तांतरित करने की शक्ति दी गई थी। हालांकि, लोगों की अधीरता को देखते हुए, माउंटबेटन ने महसूस किया कि यदि वे जून 1948 तक प्रतीक्षा करते हैं, तो तबाही मच जाएगी, यही वजह थी कि उन्होंने इस प्रक्रिया को अगस्त 1947 में ही पूरा कर दिया।
ऐसे शुरू हुई लाल किला पर झंडा फहराने की परंपरा
अंग्रेजों के लिए सत्ता छोड़ना और हार स्वीकार करना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने रक्तपात को रोकने के नाम पर अपनी हार से पल्ला झाड़ना चाहा। माउंटबेटन ने दावा किया कि तारीख को आगे बढ़ाकर वह यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई दंगा न हो। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन का पूरी तरह अंत हो गया। इस ऐतिहासिक दिन पर, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) ने पहली बार दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा (Flag Hoist on Red Fort) फहराया। उसके बाद, यह एक परंपरा बन गई और अब हर साल स्वतंत्रता दिवस पर मौजूदा प्रधानमंत्री विरासत स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। आज हम उन सभी को याद करते हैं और श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी जान दी कि हम एक स्वतंत्र राष्ट्र में रह सकें।