श्रद्धा-विधान से करेंगे Diwali Puja तो बनेंगे माता-लक्ष्मी की असीम कृपा के भागी, यहां पढ़िए विधि और शुभ-मुहूर्त

Diwali पर लक्ष्मी पूजन का क्या है महत्व, साथ ही जानिए श्रद्धा-विधान से माता को किस तरह करना है प्रसन्न।;

Update: 2022-10-21 12:45 GMT

Diwali Puja Vidhi and Shubh Muhurat: इस बार दीपावली (Diwali) 24 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी। कार्तिक अमावस्या की इस तिथि को मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) और गणेशजी (Lord Ganesh) की पूजा शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। जानिए दीपावली पूजन की महत्ता (Significance Of Diwali Puja) और इसके विधान के बारे में। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली (Deepawali) का त्यौहार मनाया जाता है। पुराणों में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया गया है, इसको दामोदर मास भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करना सबसे कल्याणकारी माना जाता है। पूरे कार्तिक मास में स्नान, दान और भगवत्पूजन से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

दीपावली पूजन की महत्ता (Significance Of Diwali Pujan)

कार्तिक मास में बुद्धि के दाता विघ्नहर्ता श्री गणेश और धन-ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए दीपावली का दिन बहुत फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान राम असुरों का संहार करके अयोध्या लौटे थे, जिनके स्वागत और उल्लास में दीपोत्सव मनाया गया था, तभी से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। यह मां लक्ष्मी के स्वागत का दिन माना जाता है। इसीलिए हम सब चारों ओर प्रकाश फैलाकर सकारात्मकता के साथ महालक्ष्मी से समृद्धि और संपन्नता का वर मांगते हैं। शक्ति आराधना यानी काली पूजा के लिए भी कार्तिक अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है।

दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त (Diwali Pujan Shubh Muhurat)

कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही है लेकिन चूंकि 25 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन प्रदोष बेला से लेकर पिशाच वेला आरंभ होने से पहले तक ही महालक्ष्मी पूजा का विधान है। पिशाच बेला रात्रि 2 बजे से आरंभ होगी। 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर अमावस्या शुरू होगी, जो मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। 24 अक्टूबर को दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक है।

दिवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)

सर्वप्रथम पूजन से पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्राभूषण धारण करके घर के पूजास्थल पर पूजन सामग्री लेकर बैठें। साथ में गणेश सहित महालक्ष्मी, वरुण, कुबेर, श्रीयंत्र, कुबेरयंत्र और नवग्रह यंत्र भी प्रतिष्ठित करें। ध्यान रहे दीपावली पूजन में लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्तियां अथवा चित्र बिल्कुल नया होना चाहिए, यानी पहले उन मूर्तियों का प्रयोग पूजा में ना किया गया हो। साथ ही श्रंगार का सामान हल्दी, रोली, मौली, लाल चंदन, अक्षत, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, शहद, फल, मिष्ठान, गंगाजल, नारियल, कलश और जो भी पूजन सामग्री उपलब्ध हो, उसे साथ लेकर बैठें। पूजन में कमल पुष्प और आंवले का प्रयोग भी किया जाए तो और उत्तम रहेगा। इसके अतिरिक्त गुड़हल, लाल कनेर, गेंदा के फूलों से भी मां लक्ष्मी की आराधना कर सकते हैं।

अब भगवान पुंडरीकाक्ष का स्मरण करते हुए अपने ऊपर गंगाजल छिड़कें। सभी पूजन सामग्रियों पर भी गंगाजल छिड़कें। अब पृथ्वी को स्पर्श करते हुए 'ॐ भूम्यै नमः' कहें। पूजास्थल के दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीप जलाते हुए 'ॐ दीपोज्योतिः परब्रह्म दीपोज्योतिः जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीपं नमोस्तुते।' को जपते हुए स्वयं संकल्प करें। अब 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।' मंत्र को पढ़ते हुए सभी पूजन सामग्री प्रतिष्ठित देवी-देवताओं को अर्पण करें। देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग में खीर, बूंदी के लड्डू, सूखे मेवे या फिर मावे से बनी हुई मिठाई अर्पित करें फिर उनकी आरती करें। पूजन के पश्चात चारमुखी दीपक रात भर के लिए प्रज्ज्वलित करें। इस बात का ध्यान रखें कि समस्त पूजन सामग्री और नैवेद्य अर्पित करने के साथ पूरी श्रद्धा और पवित्र भक्तिभाव से पूजन करेंगे तो लक्ष्मीजी आप पर अवश्य प्रसन्न होंगी।

अनीता जैन, वास्तुविद

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