सेहत के लिए जरूरी है अच्छी नींद, सोने का तरीका खोलता है आपके पर्सनालिटी के छिपे राज
अच्छे स्वास्थ्य (Good Health) के लिए रोगों से बचाव और पौष्टिक भोजन के साथ ही रोज अच्छी नींद (Sleep) आना भी जरूरी है। ऐसा न होने पर कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए सजग होना जरूरी है। हमें नींद आना, हमारी शारीरिक और मानसिक सक्रियता पर निर्भर करता है।;
अच्छे स्वास्थ्य (Good Health) के लिए रोगों से बचाव और पौष्टिक भोजन के साथ ही रोज अच्छी नींद (Sleep) आना भी जरूरी है। ऐसा न होने पर कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए सजग होना जरूरी है। हमें नींद आना, हमारी शारीरिक और मानसिक सक्रियता पर निर्भर करता है। यह जैविक घड़ी से निर्धारित होता है। दरअसल, हमारे शरीर में आंतरिक जैविक प्रक्रिया वाली एक घड़ी होती है। यह जैविक घड़ी हजारों तंत्रिका कोशिकाओं से बनी होती है और यह दिमाग के हाइपोथैलेमस हिस्से में मौजूद होती है।
हाइपोथैलेमस अनेक तरह के शारीरिक कार्यों मसलन, हार्मोन स्रावण के साथ ही शरीर के तापमान और पानी की मात्रा को नियमित करता है। यह आंतरिक घड़ी हर रोज रोशनी के आधार पर खुद को सेट करती है। आपको यह लग सकता है एक दिन में अगर 24 घंटे ही होते हैं तो सभी के शरीर की घड़ियां एक जैसी ही चलनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता, इसी वजह से किसी को जल्दी नींद आती है तो कोई देर तक जगा रहता है। हमारी जैविक घड़ी जीवन भर निर्धारित नहीं रहती है। उम्र के अनुसार बदलती रहती है इसीलिए छोटे बच्चे और बुजुर्ग व्यक्ति आमतौर पर सुबह जल्दी उठ जाते हैं।
असामान्य नींद के दुष्प्रभाव: नींद रोग विशेषज्ञों का मानना है कि उम्र के अनुसार समुचित नींद लेने से शरीर को पोषण मिलता है और बल, बुद्धि, पौरुष में वृद्धि होती है। इससे ज्ञानेंद्रियों की भी क्षमता बढ़ती है। सामान्य से अधिक निद्रा या कम निद्रा से तन और मन में रोग पैदा होते हैं। नींद पूरी न लेने से शरीर और मन बीमार हो जाता है। जिन लोगों को ठीक से नींद नहीं आती, उनमें कब्ज, गैस, भूख न लगना, अपच, एसिडिटी आदि रोग हो जाते हैं, शरीर का वजन घटने या बढ़ने लगता है, हार्मोनल इंबैलेंस होने लगता है। कुछ लोग रात को काम करते हैं और दिन में सोते हैं। ऐसा करना प्रकृति के नियम के विरुद्ध होता है। इससे भी आप कम उम्र में ही वृद्ध और रोगी हो जाते हैं।
तब आएगी अच्छी नींद: विशेषज्ञों के अनुसार गहरी नींद के लिए रात को सोने से लगभग दो घंटे पहले भोजन कर लें। सोने का समय और स्थान निश्चित करें। रात को यथासंभव जल्दी सो जाएं। सोते समय उत्तर दिशा में सिर न रखें। रात के भोजन के बाद मन को शांत रखें। बिस्तर पर लेटने के बाद किसी गंभीर मुद्दे के बारे में सोचें नहीं। सोने से पहले गहरा श्वांस-प्रश्वांस करें। भ्रामरी प्राणायाम और ॐ का जाप करना काफी फायदेमंद है, क्योंकि ऐसा करने से मन ठहर जाता है और ठहरा मन गहरी नींद देगा। हमारे द्वारा दिनभर किए गए कार्यों का असर रात को नींद पर पड़ता है, अतः दिनभर प्रसन्न और उत्साही रहें। दिन में शारीरिक श्रम या व्यायाम जरूर करें और मन को तनाव मुक्त रखें। गहरी नींद के लिए शरीर का थकना और मन का तनाव मुक्त रहना जरूरी है।
सोने का तरीका है महत्वपूर्ण
ब्रिटेन के कुछ बॉडी लैंग्वेज विशेषज्ञों के मुताबिक सोने के तरीके से व्यक्तित्व की पहचान की जा सकती है। ब्रिटेन में हुए इस शोध में लोगों के सोने के तरीकों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में पांव सिकोड़कर सोने वालों को शामिल किया गया है, जिन्हें परेशान कहा गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक ब्रिटेन में 58 फीसद लोग पांव सिकोड़कर सोते हैं। शोध विशेषज्ञ रॉबर्ट फिप्स के मुताबिक घुटने मोड़कर और सिर नीचे करके सोने वाले लोगों की इच्छा आरामदायक स्थिति में पहुंचने की होती है। दूसरी श्रेणी, सीधे सोने वालों की है। ब्रिटेन में तकरीबन 28 फीसद लोग लगभग बिल्कुल सीधे सोते हैं। ऐसे लोगों को दृढ़ इच्छाशक्ति का मालिक बताया गया है। ये लोग अक्खड़ होते हैं और अपने ऊपर आदेश पसंद नहीं करते हैं। हाथ सामने रखकर सोने वाले लोगों को पलायनवादी की संज्ञा दी गई है। लेकिन इनके बारे में दो तरह की टिप्पणियां की गई हैं। पहली, वे लोग अपने ख्वाबों और सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। दूसरी, ऐसे लोगों को लगता है कि उनका कोई पीछा कर रहा है। चौथी श्रेणी, पेट के बल सोने वाले लोगों की है। ऐसे लोगों को लगता है कि उनका अपने पर नियंत्रण कम है।
सुभाष बी.