Home Remedies For Infection: स्किन से लेकर पैरों के फंगल इंफेक्शन तक यहां देखें बचाव के आसान उपाय, जानें एक्सपर्ट्स की राय

बारिश (Rain) के दिनों में भीगने, गंदे पानी के संपर्क में आने या नम वातावरण के कारण स्किन इंफेक्शन (Skin Infection) होने का रिस्क बढ़ जाता है।;

Update: 2022-08-15 10:37 GMT

बारिश (Rainy Day) के दिनों में भीगने, गंदे पानी के संपर्क में आने या नम वातावरण के कारण स्किन इंफेक्शन (Skin Infection) होने का रिस्क बढ़ जाता है। ये स्किन इंफेक्शन फंगल (Fungal Infection)  या बैक्टीरियल (Bacterial Infection) भी हो सकता है। इनके कारण और लक्षणों के साथ ही एससीआई इंटरनेशनल अस्पताल नई दिल्ली के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सीरिशा सिंह ने हमे इनसे बचाव के तरीकों के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि बारिश का मौसम अपने साथ लाता है, नमी से भरी हवाओं वाली उमस, जो कई बार हमारे स्वास्थ्य खासकर त्वचा के लिए हानिकारक हो जाती है। वातावरण की नमी हमारी त्वचा के पोर्स को बंद कर देती है, जिससे हमारी अंदरूनी त्वचा सांस नहीं ले पाती। उचित मात्रा में ऑक्सीजन (Oxygen) नहीं पहुंच पाने की वजह से कई तरह के त्वचा रोग (Skin Problems) होने की संभावना रहती है। इस मौसम में बीमारियां फैलाने वाले फंगस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिनसे फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है।

  • स्किन फंगल इंफेक्शन (skin fungal infection)

उमस के कारण बहुत ज्यादा पसीना आता है, जिससे स्किन में ड्राईनेस आ जाती है। ऑयली स्किन वाले लोगों को पसीने की वजह से स्किन में ज्यादा मॉयश्चर रहने, गीले कपड़े पहनने या कपड़ों में साबुन रहने से कीटाणु (माइक्रोब्स) पनपने लगते हैं। जिनसे घमौरियां, लाल रंग के छोटे-बड़े रैशेज और रिंगवार्म यानी दाद-खाज, एग्जीमा जैसे फंगल इंफेक्शन हो सकते हैं। ये ज्यादातर उन जगह पर होते हैं, जहां स्किन फोल्ड होती है। जैसे-गर्दन, जांघ, बगल, पेट, कमर और ब्रेस्ट के निचले हिस्से में। रिंगवार्म लाल रैशेज की तरह होते हैं, जो अंदर से साफ होते हैं और बाहर की तरफ फैलते जाते हैं। यह एक इंसान से दूसरे में फैल सकते हैं। इनमें काफी खुजली और जलन रहती है। इसके अलावा चेहरे पर मवाद से भरे मुंहासे उभर आते हैं, जिनसे कई बार चेहरे पर निशान भी पड़ जाते हैं। महिलाओं में वैजाइनल फंगल इंफेक्शन भी बरसात के मौसम में बहुत ज्यादा होते हैं। इससे इचिंग होती है।

  • हेयर फंगल इंफेक्शन (hair fungal infection)

तापमान में नमी का असर बालों पर भी पड़ता है। बारिश में भीगने, गीले होने, पसीने से या मॉयश्चर अधिक होने के कारण इस मौसम में बाल भी बच नहीं पाते। नियमित सफाई के अभाव में फंगल इंफेक्शन हो जाता है। फंगल इंफक्शन में स्कैल्प पर डेंड्रफ, दाने हो जाते हैं, जिससे जड़ें कमजोर पड़ जाती हैं और बाल झड़ने लगते हैं।

  • एथलीट्स फुट (athlete's foot)

बंद जूते या बैली पहनने वालों के पैरों में यह इंफेक्शन होता है। जल-भराव में जाने पर अकसर जूतों में पानी चला जाता है। ज्यादा देर तक गीले जूते पहने रहने से पैरों में खुजली, सूजन और फंगल इंफेक्शन हो सकता है। परिणामस्वरूप पैरों की अंगुलियों के बीच की स्किन सफेद पड़ जाती हैं और नाखून खराब हो सकते हैं।

  • डायबिटीज फुट (diabetic foot)

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपने पैरों का विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। बारिश के मौसम में जगह-जगह बैक्टीरियायुक्त जल-भराव से पैर अकसर गीले रह जाते हैं, जिससे फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। ध्यान न देने पर इंफेक्शन बढ़ भी सकता है, जो धीरे-धीरे पैर के टिशूज डैमेज करने लगता है। इसके अलावा पैरों में दुर्गंध, एडिमा या सूजन, अल्सर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

  • कैसे करें बचाव

पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखें : एंटीबैक्टीरियल या ग्लिसरीन युक्त साबुन से दिन में दो बार स्नान करें। रोज धुले नए कपड़े पहनें। अपने बाल भी एक दिन छोड़ कर जरूर धोएं। जहां तक हो सके बालों में तेल न लगाएं या फिर नहाने से एक घंटा पहले गुनगुने तेल में नीबू मिलाकर लगाएं। माइल्ड एंटी डेंड्रफ शैंपू इस्तेमाल करें। बालों का मॉयश्चर कम रखने के लिए बाल धोने के बाद पानी में नीबू रस मिलाकर रिंस करें। इसके अलावा स्किन इंफेक्शन से बचने के लिए यथासंभव प्रभावित क्षेत्र को सूखा रखें। एंटीबैक्टीरियल पावडर लगाएं। रोजाना एकाध बार बर्फ से सिंकाई करें। खुजली और जलन ज्यादा होने पर मेडीकेटेड क्रीम या कैलेमाइन लोशन लगाएं।

सूती और हल्के कपड़े पहनें : सिंथेटिक, मोटे और टाइट फिटिंग के कपड़ों के बजाय ढीले, हल्के रंग, पतले और सूती वस्त्र पहनें। सूती कपड़े में पसीने से बचाव होता है। इसके अलावा एंब्रायडी किए और डिजाइनर कपड़े पहनने से बचें।

आस-पास का वातावरण सही रखें: घर में नमी कम करने के लिए कूलर की बजाय पंखे, एसी और ह्यूमिडीफायर इस्तेमाल करें। ये अंदर की हवा और नमी को बाहर निकाल देते हैं।

पैरों का ध्यान रखें : बारिश में पैरों को नमी से जरूर बचाएं। तैलीय ग्रंथियां कम होने की वजह से पैर ड्राई होने की वजह से क्रैक्स पड़ सकते हैं। इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। पैर रोज स्क्रबर से साफ करें और तौलिए से सुखाकर मॉयश्चराइंजिंग क्रीम लगाएं। नाखूनों में गंदगी रहने से इंफेक्शन होने का खतरा होता है। इंफेक्शन से बचने के लिए समय-समय पर नाखूनों को ट्रिम करते रहें। बारिश में भीगे पैरों को साफ पानी में कुछ बूंदें डिसइंफेक्टेंट की डाल कर अच्छी तरह धोएं। पैर सुखाकर अंगुलियों के बीच एंटीबैक्टीरियल टेलकम पावडर लगाएं। बंद जूतों के बजाय क्रोक्स, फ्लोटर्स, फ्लिप फ्लॉप या सैंडलनुमा वॉटरप्रूफ या रबर के जूते पहनें। अंगुलियों के बीच जगह बनाए रखने के लिए आगे से चौड़े जूते पहनें। जूतों की रोजाना अंदर-बाहर से सफाई जरूर करें, ताकि जूतों में नमी या मिट्टी न रह जाए। इससे जूतों में बैक्टीरिया पनपने और फंगल इंफेक्शन का खतरा नहीं रहता है।

प्रस्तुति: रजनी अरोड़ा

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