Contraception Day: कॉपर-टी या पिल्स से नहीं एक तीली से मिलेगा अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा, जानें बर्थ कंट्रोल का ये आसान उपाय
एक तीली से अनचाही प्रेगनेंसी से पाएं छुटकारा, जानें 'कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट' का (World Contraception Day 2022) प्रोसेस क्या है?;
World Contraception Day 2022: गर्भनिरोधक ज्ञान (Birth Control) और परिवार नियोजन (Family Planning) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। यह प्रजनन स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देकर पॉपुलेशन कंट्रोल के तरीकों को जनता तक पहुंचाने के लिए हर साल अमान्य जाने वाला वैश्विक अभियान है। यह दिन सुरक्षित और प्रोटेक्टेड सेक्स के बारे में बेहतर ज्ञान और जानकारी पर जोर देता है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए (विश्व में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है) विश्व गर्भनिरोधक दिवस जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता को बहुत ही ज्यादा जरुरी बना देता है। यह दिन बेहतर परिवार नियोजन (Family Planning) की आवश्यकता को दिखाता है, जो इनडाइरेक्ट तरीके से देश में गरीबी को भी कम करेगा, परिवारों को खुदकी आर्थिक स्थिति सुधारने में (Population Control) मदद करेगा।
भारत से कई महिलाएं 'कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट' के लिए जा रही नेपाल
इस मामले में विश्व का 28वां सबसे गरीब देश नेपाल इन दिनों बड़ा ही सराहनीय काम कर रहा है, दरअसल नेपाल अनचाही प्रेगनेंसी रोकने के लिए बहुत अच्छे कदम उठा रहा है। नेपाल में 'कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट्स' की एक छोटी सी डिवाइस का इस्तेमाल अनचाही प्रेगनेंसी (Unwanted Pregnancy) को रोकने के लिए किया जा रहा है। पॉपुलेशन कंट्रोल की इस रेस में नेपाल का तरीका भारत के तरीकों से ज्यादा कारगर साबित हो रहा है, इस बात का पता इस तरह लगाया जाया सकता है कि भारत के कई हिस्सों से बहुत सी महिलाएं 'कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट्स' करवाने के लिए सीमापार जा रही हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि भारत में अब तक यह 'कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट्स' (contraceptive implants) की शुरुआत नहीं हुई है, अगर कई करवाना चाहे भी तो प्राइवेट हॉस्पिटल्स को इसके लिए मोटी रकम चुकानी पड़ेगी और नेपाल में यह सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
इतिहास में इन चीजों से किया जाता था अनचाही प्रेगनेंसी रोकने का प्रयास
कपल्स के लिए अनचाही प्रेगनेंसी कोई अभी की समस्या नहीं है, यह प्रॉब्लम बहुत वक्त पहले से चली आ रही है। इससे बचाव के लिए लोग कई तरह की जद्दोजहद करते हैं, करीब साढ़े 3 हजार साल पहले इजिप्ट में शहद, पेड़ों की छाल और पत्तियों से बने लेप का इस्तेमाल स्पर्म को यूट्रस में जाने से रोकने के लिए किया जाता था।दुनिया के पहले कंडोम के बारे में हमें ग्रीक माइथॉलोजी (Greek Mythology) में पता चलता है। जिसके मुताबिक क्रीट के राजा मीनोस के लिए बकरी के ब्लैडर से कंडोम बनाया गया था। तरह-तरह के गर्भनिरोधकों के बनने के बावजूद ऐसे कॉन्ट्रासेप्टिव की तलाश खत्म नहीं हुई, जो महिला और पुरुष दोनों के लिए सुरक्षित हो और उन्हें संतुष्टि दे। ऐसे कॉन्ट्रासेप्टिव जिसे वे बेहिचक इस्तेमाल कर सकें। ऐसे में कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट का तरिका कपल्स को काफी पसंद आया है।
जानिए आखिर क्या है कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट?
माचिस की तीली जितना बड़ा यह डिवाइस आपके बहुत काम की चीज है, अगर आप अनचाही प्रेगनेंसी से बचना चाहते हैं तो आप इस मेडिकल डिवाइस का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं। इस डिवाइस को महिलाओं की बांह में इम्प्लांट किया जाता है, फ्लेक्सिबल प्लास्टिक से बने कॉन्स्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट्स का साइज छोटा होता है। विज्ञान की भाषा में इस डिवाइस को फ्लेक्सिबल प्लास्टिक रॉड कहा जाता है। इस रॉड से 'प्रोजेस्टोजन' (Progesterone) नाम के एक सिंथेटिक हॉर्मोन (Synthetic Hormone) का रिसाव होता है, जो अनचाही प्रेग्नेंसी से बचता है। अगर एक बार यह छोटा सा डिवाइस लगवा लिया तो आप 3 साल तक प्रेगनेंसी के खौफ से निजाद पा सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप 3 साल के अंदर ही या बाद में प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं तो आप इस डिवाइस को निकलवा सकते हैं और कुछ समय में आपकी फर्टिलिटी वापस आ जायेगी, फिर आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं।
जानिए किस तरह काम करता है कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट?
- दरअसल यह प्रोसेस 3 तरह से काम करता है, पहला यह कि इस डिवाइस से धीरे-धीरे प्रोजेस्टोजन हॉर्मोन का रिसाव होता रहता है और शरीर में प्रोजेस्टोजन का लेवल बढ़ जाता है। यह हॉर्मोन ओवरी (Ovary) से एग (Egg) के रिलीज होने की प्रोसेस को रोक देता है।
- बता दें कि स्पर्म को यूट्रस के अंदर जाने के लिए सर्विक्स से होकर जाना होता है। सर्विक्स में मौजूद लिक्विड स्पर्म को जिन्दा रहने और तैरने में मदद करता है। इस लिक्विड को सर्वाइकल म्यूकस कहते हैं। डिवाइस से निकलने वाल प्रोजेस्टोजन हॉर्मोन इस लिक्विड को गाढ़ा कर देता है। जिससे स्पर्म वहीं रुक कर ख़त्म हो जाता है।
- प्रोजेस्टोजन हॉर्मोन (Progesterone Hormone) यूट्रस की भीतरी लाइनिंग को बहुत पतला कर देता है, अगर दूसरी प्रोसेस से बचने के बाद स्पर्म एग से मिल भी जाता है तो फर्टिलाइज एग (Fertilized Egg) यूट्रस (Uterus) में टिक नहीं पाता और पीरियड्स (Periods) के कारण बॉडी से बाहर निकल जाता है।
जानिए कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट्स के क्या है फायदे और नुकसान?
- फायदे (Advantages)
कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट लगवाने के 3 साल तक नहीं होता अनचाही प्रेगनेंसी का खतरा, इसके साथ ही फिजिकल रिलेशन बनाने में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं कारण पड़ता। जो महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल नहीं खा सकती या फिर जिन्हें पिल लेने का सही समय याद नहीं रहता है, उनके लिए यह बहुत अच्छा तरीका है। ब्रेअस्फीडिंग के दौरान कोई प्रॉब्लम नहीं होती और यह सेफ भी होती है। इसका सबसे अहम फायदा यह है कि इस कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट को आसानी से लगवाया और निकलवाया जा सकता है, जिसके कुछ समय बाद फर्टिलिटी लौट आती है और महिलाओं को पीरियड्स के वक्त दर्द कम महसूस होता है।
- नुकसान (Disadvantages)
कॉन्ट्रासेप्टिव इम्प्लांट लगवाने के बाद बांह में दर्द और सूजन महसूस हो सकती है, साथ ही पीरियड्स में अनियमितता कभी बहुत ज्यादा और कभी बंद भी हो सकते हैं। इसके इस्तेमाल से एसटीडी (Sexually Transmitted Diseases) जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव नहीं हो सकता है। काफी समय तक सिर दर्द, चक्कर आना, मूड स्विंग और मुंहासों की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।