जानें स्पाइनल स्ट्रोक क्या हैं, इसके लक्षण, कारण और उपचार

ब्रेन स्ट्रोक की तरह ही स्पाइनल स्ट्रोक भी किसी को हो सकता है। यह कंडीशन भी कई तरह की प्रॉब्लम्स को जन्म दे सकता है। इसके लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान कर इसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है।;

Update: 2018-09-02 12:54 GMT

ब्रेन स्ट्रोक के बारें में ज्यादातर लोगों को जानकारी है। ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क की ओर रक्त को बाधित करता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक होता है। जब स्ट्रोक स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करता है तो उसे स्पाइनल स्ट्रोक कहते हैं। स्पाइनल स्ट्रोक केवल 2 प्रतिशत लोगों को होता है।

स्पाइनल स्ट्रोक के कारण नर्व इम्पल्स को संदेश भेजने में समस्या होती है। यही नर्व इम्पल्स हाथ, पैरों और शरीर के अंगों को ठीक प्रकार से कार्य करने को नियंत्रित करती है।

क्या है स्पाइनल स्ट्रोक

जब रक्त का प्रवाह स्पाइनल कॉर्ड की ओर बाधित होता है तो स्पाइनल स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है। स्पाइनल कॉर्ड के सामान्य रूप से काम करने के लिए यह जरूरी है कि रक्त सामान्य रूप से प्रवाहित होता रहे।

जब रक्त का प्रवाह बाधित होता है, स्पाइनल कॉर्ड को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते है तो ऊतकों को क्षति पहुंचती है और वो क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस वजह से स्पाइनल कॉर्ड से गुजरने वाले नर्व इम्पल्स ब्लॉक हो जाते हैं। ज्यादातर स्पाइनल स्ट्रोक रक्त के प्रवाह में ब्लॉकेज के द्वारा होते है।

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प्रमुख लक्षण

स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि स्पाइनल कॉर्ड के कौन से भाग को कितनी अधिक क्षति पहुंची है? स्पाइनल स्ट्रोक के मुख्य लक्षण हैं- अचानक गर्दन और कमर में गंभीर दर्द होना, पैरों की मांसपेशियों का कमजोर पड़ना, आंत्र और मूत्राशय को नियंत्रित करने में दिक्कत होना, सुन्नपन, मांसपेशियों में ऐंठन और हाथ-पैरों में झुनझुनाहट होना।

कारण

स्पाइन को रक्त की पूर्ति न होने पर स्पाइनल स्ट्रोक होता है। धमनियां निम्न कारणों से कमजोर हो जाती हैं- ब्लड प्रेशर का अधिक होना, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, हृदय रोग, डायबिटीज। ध्रूमपान और शराब का अधिक सेवन करने वाले और नियमित एक्सरसाइज ना करने वालों में इसका खतरा ज्यादा होता है।

स्पाइनल स्ट्रोक होने के पीछे स्पाइन में ट्यूमर होना, स्पाइन में गंभीर चोट लगना, किसी हादसे से स्पाइन का दब जाना, पेट या हृदय की सर्जरी भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

प्रमुख समस्याएं

स्पाइनल स्ट्रोक के कारण होने वाली परेशानियां इस बात पर निर्भर करती हैं कि स्पाइन का कौन सा भाग स्ट्रोक की वजह से प्रभावित हुआ है। स्पाइनल स्ट्रोक की वजह से रोगी को निम्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

सांस लेने में कठनाई होना, शरीर का स्थायी रूप से लकवाग्रस्त हो जाना, आंत्र और मूत्राशय पर नियंत्रण न रहना,शारीरिक संबंध बनाने में दिक्कत होना और मांसपेशियों में कमजोरी आना।

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उपचार

अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो आपको इसे छोड़ना पड़ेगा। अपने रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बेहतर बनाने के लिए, आपको फल, सब्जियां और साबुत अनाज में समृद्ध संतुलित और स्वस्थ आहार भी खाने चाहिए। स्पाइनल स्ट्रोक की स्थिति में मरीज को दवाइयां दी जाती हैं।

जिससे उनका ब्लड पतला हो सके और रक्त का प्रवाह बढ़ सके। फिजियोथेरपी के द्वारा भी स्पाइनल स्ट्रोक के रोगियों का इलाज किया जाता है। इन सब उपचार विधियों से आराम न मिलने पर सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचता है।

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