महिलाओं में क्यों होती हैबात-बात पर पश्चाताप की आदत

महिलाएं ज्यादा इमोशनल होती हैं। इसलिए पुरुषों के मुकाबले उनमें किसी बात को लेकर पश्चाताप करने की आदत ज्यादा होती है। यह आदत अगर बहुत ज्यादा आगे बढ़ जाए तो महिलाओं की जिंदगी में मुश्किल का सबब बनती है। ऐसी स्थिति में इस आदत की वजहों को जानकर, उससे बाहर आना जरूरी है।;

Update: 2021-02-20 20:45 GMT

हर समय अपने आपको छोटी-छोटी गलतियों के लिए कोसना, काम करने के बाद खुद को कठघरे में रखकर दोषी ठहराना, एक खराब आदत है। यह आदत स्वभावगत होती है, जो कई लोगों में होती है। एक अध्ययन के अनुसार यह बात सामने आई है कि स्त्री और पुरुष दोनों बराबर मात्रा में इस तरह की आदत का शिकार पाए जाते हैं। लेकिन इस आदत से महिलाओं की जिंदगी पर ज्यादा बुरा असर पड़ता है। मनोविद इसे एक हद तक गलत नहीं मानते, उनका मानना है कि इससे महिलाओं को अपने संबंधों को सुधारने में काफी मदद मिलती है। लेकिन अगर उनके भीतर का अपराधबोध, उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने लगे तो संभल जाना चाहिए। इस आदत और समस्या के कारणों को जानकर, उनमें सुधार करके खुद को बदलना चाहिए।

ज्यादा संवेदनशील होना

मनोविदों के अनुसार महिलाएं चूंकि ज्यादा संवेदनशील होती हैं, इसलिए वह किसी भी बात के बारे में बार-बार सोचती हैं। बातों, स्थितियों पर बार-बार विचार करती हैं, जबकि पुरुष किसी स्थिति से दो-चार होने पर उसके बारे में व्यावहारिक होकर सोचते हैं, उस पर विचार करते हैं और कुछ समय बाद उसे भूल जाते हैं। जबकि महिलाएं अपने द्वारा की गई किसी भी गलती को लेकर लंबे समय तक अपराधबोध से ग्रसित रहती हैं। इससे उबरने के लिए उन्हें चाहिए कि वे अपने द्वारा की गई गलती को सुधारें, चीजों को सही करने की कोशिश करें और जो हो गया है, उसके बारे में ज्यादा न सोचें।

रिश्तों को समय न दे पाना

व्यस्त जीवनशैली में आज रिश्तों को निबाहना काफी कठिन हो गया है। कई लोगों की यह आम कहानी है। अपने माता-पिता, रिश्तेदारों को समय न दे पाने का उन्हें निरंतर अपराधबोध सताता है। महिलाएं इस मामले में ज्यादा परेशान होती हैं। उनका अपने बेस्ट फ्रेंड की बर्थ-डे पार्टी में न जा पाना, लोगों को समय देकर भूल जाना और इसके बाद उसका अपराधबोध पालना आम समस्या है। कुछ महिलाएं तो हर समय अपने द्वारा किए गए हर काम को लेकर स्ट्रेस में रहती हैं। वे सोचती हैं कि उन्हें यह नहीं, वह करना चाहिए था। महिलाओं की यह सोच उनके लिए हमेशा नकारात्मक साबित होती है। जबकि सच तो यह है कि हममें से हर कोई हर काम में परफेक्ट नहीं हो सकता। जीवन का मतलब यह भी नहीं कि हम हर जगह, हर समय व्यवस्थित हों। ऐसे में महिलाओं को समझना चाहिए कि हमसे जो गलती हो गई, सो हो गई, आगे ध्यान रखेंगे कि इस प्रकार कोई गलती न हो।

समस्या पर ज्यादा सोचना

कई महिलाओं के भीतर अपने द्वारा किए गए कामों को लेकर अपराधबोध की भावना इतनी ज्यादा हो जाती है कि इससे उनकी एकाग्रता भंग हो जाती है। वे दिन-रात अपराधबोध में जीती हैं, समस्या पर ज्यादा सोचती हैं। मनोविदों का मानना है कि पुरुष अपने भीतर अपराधबोध को कम पालते हैं, वे हमेशा अपने निजी और प्रोफेशनल लाइफ के बीच एक स्पष्ट विभाजन रेखा खींचकर रखते हैं, जबकि महिलाएं छोटी-छोटी बातों का अपराधबोध अपने भीतर पालकर डिप्रेस होती हैं। अनिद्रा, कामों में बेतरतीबी उनकी हर गतिविधि में दिखती है। पुरुष अपना ध्यान बंटाने के लिए किसी खेल में, ऑफिस के कामों में व्यस्त कर लेते हैं। अपराधबोध की भावना से बाहर आने के लिए टीवी देखना एक बेहतरीन थेरेपी होती है। पुरुषों का ध्यान टीवी का स्विच ऑन करते ही दूसरी चीजों से हटकर टीवी प्रोग्राम में लग जाता है। इस तरह महिलाओं को भी अपना ध्यान बंटाने की दिशा में सोचना चाहिए। वे शॉपिंग पर जा सकती हैं। फिल्म देख सकती हैं। अपने किसी पुराने दोस्त से मिल सकती हैं, उसके साथ गप्पें मार सकती हैं। इससे वे अपनी अपराधबोध की भावना से बाहर आ सकती हैं।

समाधान है मुमकिन

मनोविदों का मानना है कि महिलाएं जब अपराधबोध की भावना से घिर जाती हैं तो वे अपने आपको दंडित करने के साथ-साथ बिगड़ी हुई चीजों को सुधारने की कोशिश कम ही करती हैं। वे अपने आपसे बार-बार भीतर ही भीतर विचार-विमर्श के कई दौर चलाती हैं। छोटी-छोटी बातों पर वे भावुक हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में अपनों के साथ बातचीत करने, अपना ध्यान बंटाने से वे बार-बार सोचने की इस आदत से बच सकती हैं। इससे उनकी अपरोधबोध की भावना कम होगी और एक समय बाद समाप्त हो जाएगी।

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