Health Tips: सर्दियों में इन 3 कारणों से आता है हार्ट अटैक, जान बचाने के लिए अपनाएं ये टिप्स

सर्दियों का मौसम (Winter Season ) वैसे तो खान-पान और सेहत के लिए अच्छा होता है, मगर यह दिल के मरीजों के लिए यह कई मुश्किलें अपने साथ लेकर आता है, इसलिए हार्ट पेशेंट्स को अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है।;

Update: 2021-12-16 11:32 GMT

Winter Health Tips for Heart Patients: सर्दियों का मौसम (Winter Season ) वैसे तो खान-पान और सेहत के लिए अच्छा होता है, मगर यह दिल के मरीजों के लिए यह कई मुश्किलें अपने साथ लेकर आता है, इसलिए हार्ट पेशेंट्स को अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है। यहां सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर हेमंत मदान की ओर से आपको कुछ टिप्स बताएं जा रहे हैं, जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं। 

रिस्क बढ़ने की वजह

गुरुग्राम के नारायणा सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल के डायरेक्टर, सीनियर कंसल्टेंट एंड रीजनल क्लिनिकल लीड नार्थ कार्डियोलॉजी एंड पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डॉक्टर हेमंत मदान बताते हैं कि  सर्दियों में हार्ट पेशेंट के लिए ज्यादा जोखिम बना रहता है। इसलिए बचाव के तरीके भी रोगी की कंडीशन के अनुसार तय करने होते हैं। उन्होंने बताया कि सर्दियों में हार्ट पेशेंट्स के लिए ज्यादा रिस्क की मुख्य तीन वजहें होती हैं।

1-बीपी बढ़ने की संभावना।

2-ब्लड शुगर बढ़ने की संभावना।

3-खून गाढ़ा होने की संभावना।

ये भी हो सकता है कारण 

सर्दियों के शुष्क वातावरण की वजह से व्यायाम की कमी और निष्क्रिय जीवनशैली देखने को मिलती है। पानी का सेवन भी बहुत से लोग उचित मात्रा में नहीं करते हैं, जिसके कारण रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। ये सभी स्थितियां एक हार्ट पेशेंट के लिए निश्चित रूप से जोखिम भरी हैं। सर्दियों में जरूरी है कि सभी हार्ट पेशेंट आम दिनों की तुलना में अपना अधिक ख्याल रखें।

इन बातों का रखें ध्यान

-बीपी नियंत्रण में रखें। नियमित बीपी चेक करें। बीपी असामान्य होने पर बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क करें।

-डॉक्टर की सलाह पर नियमित व्यायाम करें। ताकि रक्त वाहिकाएं सक्रिय रहें और दिल की धड़कन सामान्य बनाए रखने में मदद मिले।

-ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें। ब्लड शुगर की भी जांच करते रहें। मीठे का सेवन सीमित करें।

-प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करें। शरीर में तरलता बनाए रखें।

-सबसे जरूरी बात, किसी भी मामूली लक्षण या तकलीफ को नजरअंदाज न करें। ईसीजी जैसी जांच के जरिए रोग की सही स्थिति का पता लगाकर सही इलाज करवाएं।

-वायु प्रदूषण से बचें। 

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