World Autism Awareness Day 2022 : ऐसे बच्चों में होता है ऑटिज्म का खतरा, जानिए क्या हैं इसके लक्षण और उपचार

दुनियाभर में 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस-डे (World Autism Awareness Day) मनाया जाता है। यह दिन ऑटिज्म (Autism) बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। एक्सपर्ट्स की माने तो इस रोग के शुरूआती लक्षण 1-3 साल के बच्चों में ही नजर आते हैं। ये बच्चे देखने में तो नॉर्मल लगते हैं, लेकिन इनका व्यवहार असामान्य होता है।;

Update: 2022-04-01 09:49 GMT

दुनियाभर में 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस-डे (World Autism Awareness Day) मनाया जाता है। यह दिन ऑटिज्म (Autism) बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। एक्सपर्ट्स की माने तो इस रोग के शुरूआती लक्षण 1-3 साल के बच्चों में ही नजर आते हैं। ये बच्चे देखने में तो नॉर्मल लगते हैं, लेकिन इनका व्यवहार असामान्य होता है। दिमाग और शरीर में असंतुलन से वे दूसरों से सामंजस्य नहीं बिठा पाते। ऐसे बच्चों का ट्रीटमेंट (Autism treatment) और केयर बहुत सावधानी से करने की जरूरत होती है।

आंकड़ों के हिसाब से दुनिया भर में हर 68वां व्यक्ति ऑटिज्म का शिकार है। हमारे देश में करीब एक करोड़ बच्चों में यह डिसऑर्डर मौजूद है। वास्तव में ऑटिज्म न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट डिसऑर्डर है, जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे में मस्तिष्क के विकास में विकार होने की वजह से होता है।

प्रमुख लक्षण

आमतौर पर 2-3 साल की उम्र के बच्चों में ऑटिज्म डिजीज का पता चलता है, जब वे दूसरो के साथ इंटरैक्शन शुरू करते हैं और ना समझ पाने पर वे अजीब व्यवहार करते हैं, जिससे उनके ऑटिस्टिक होने का अंदेशा होता है। ऐसे बच्चेां को दूसरों के साथ बातचीत करने और सामाजिक व्यवहार करने में दिक्क्त आती है। कुछ बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते, जिससे पढ़ने-लिखने, कुछ नया सीखने-समझने में मुश्किल होती है। भाषा नहीं सीख पाते। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी वे संकेत भाषा का प्रयोग करते हैं। ब्रेन और शरीर में तारतम्य ना बिठा पाने के कारण अपनी उम्र के बच्चों से पिछड़ जाते हैं। इनमें भावनाओं की भी कमी होती है। अकसर अकेले रहना, अकेले खेलना पसंद करते हैं। कई ऑटिस्टिक बच्चे हाइपरएक्टिव होते हैं। खाना खाते वक्त उन्हें पेट भरने का अहसास ही नहीं होता। इससे डाइजेशन संबंधी समस्याएं, मोटापा, शूगर जैसी बीमारियां होने का डर रहता है।

क्या है कारण

दुनिया भर में रिसर्च होने के बावजूद ऑटिज्म होने के मूल कारणो का अभी तक पता नहीं चल पाया है। आनुवांशिक विकार के कारण ऑटिज्म हो सकता है। प्रसव के दौरान ऑक्सीजन की कमी होने, बच्चे के मस्तिष्क में किसी प्रकार का दबाव पड़ने या चोट लगने से मस्तिष्क की कोशिकाओं का क्षतिग्रस्त होने,जन्म के उपरांत बच्चे का समुचित टीकाकरण ना होने, मोटापा, डायबिटीज या थाइरॉयड जैसी बीमारियों से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के बच्चे, गर्भवती मां का संतुलित-पौष्टिक आहार का सेवन ना करने, गर्भवती मां का सिगरेट-शराब जैसी चीजों का सेवन करने से यह रोग हो सकता है।

क्या है उपचार

इसके लिए सबसे जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चे के विशिष्ट व्यवहार को पहचान कर ठीक समय पर डॉक्टर के पास ले जाएं। उनके इलाज के लिए सिर्फ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को ही नहीं, मनोचिकित्सक को भी दिखाना पड़ता है। इसमें कुछ थेरेपीज अपनाई जाती हैं- जैसे, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, बिहेवियरल थेरेपी, एजुकेशनल थेरेपी।

पैरेंट्स रखें ध्यान

हालांकि ऑटिस्टिक बच्चों का पालन-पोषण करना मां-बाप के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। उन्हें पैरेंट्स के सकारात्मक रवैये, विशेष देखभाल और भरपूर प्यार-दुलार की जरूरत होती है। इन बच्चों के साथ समय व्यतीत करें, उनसे बातें करें, उन्हें पार्क में खेलने या बाहर घुमाने जरूर लेकर जाएं ताकि वे दूसरों के साथ सहज हो सकें। डॉक्टर की मदद से अगर पैरेंट्स सही देखरेख करें तो निश्चय ही इनमें सुधार आ सकता है।

बचाव के तरीके

गर्भवती महिलाओं का समुचित ध्यान ना रखना आत्मकेंद्रित बच्चे होने का प्रमुख कारण है। ऐसी महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ से अपना टीकाकरण कराना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली और खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। सिगरेट, शराब या नशीले पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

प्रस्तुति-रजनी अरोड़ा

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