Malaria: भारत में बनेगी मलेरिया की वैक्सीन, जानें कितनी प्रभावी

Malaria: गर्मियों के मौसम में मच्छरों का आतंक बढ़ने से मलेरिया को लेकर लोग चिंतित होने लगते हैं। मलेरिया से बचाव के लिए भारत में नई वैक्सीन तैयार की जा रही है। यहां देखें कितनी असरदार है यह वैक्सीन।;

Update: 2023-04-25 06:46 GMT

Malaria R21/Matrix-M Vaccine: मलेरिया (Malaria) की एक नई वैक्सीन आने वाली है, जिसे वर्ल्ड चेंजर (World Changer) बताया जा रहा है। इस वैक्सीन का नाम R21/Matrix-M है। कहा जा रहा है कि यह दुनियाभर में पहला ऐसा टीका होगा, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) के प्रभावी मापदंडों पर 75 प्रतिशत तक खरा उतरेगा। बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित यह टीका भारत में बनाया जाएगा। खास बात है कि इस टीके को लेकर ऑक्सफोर्ड और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में डील भी हो चुकी है। एक तरफ वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन इस वैक्सीन को मंजूरी देने पर विचार कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ घाना ने इस वैक्सीन को मंजूरी भी दे दी है। घाना के फूड एंड ड्रग्स अथॉर्टी ने इस वैक्सीन को 5-36 महीनों के बच्चों के इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। बात दें कि अफ्रीकी क्षेत्रों में इसी ऐज ग्रुप वाले बच्चों को मलेरिया का जोखिम ज्यादा है।

मलेरिया की नई R21/Matrix-M वैक्सीन

मलेरिया की इस वैक्सीन को लेकर ऑक्सफोर्ड की ओर से प्रोफेसर एड्रियन हिल ने बताया कि इस वैक्सीन को 30 साल की रिसर्च के बाद विकसित किया गया है। उन्होंने कहा, भारत में निर्माण के बाद वैक्सीन को सभी जरूरतमंद देशों तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि कोविड-19 वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ हमारी साझेदारी काफी सफल हुई थी। यही कारण है कि मलेरिया की वैक्सीन के लिए भी डील की गई है। बता दें कि मलेरिया की R21/Matrix-M एक डोज वाली वैक्सीन है, जिसे बड़े पैमाने पर मामूली लागत से बनाया जाएगा। इस तरह मलेरिया से जूझ रहे अफ्रीकी देशों को करोड़ों डोज वैक्सीन की आपूर्ति की जा सकती है।

जानिए कितना प्रभावी है मलेरिया का टीका

प्रोफेसर एड्रियन हिल ने एक मैगजीन में वैक्सीन के फेज IIबी परीक्षण से अपने निष्कर्ष को पब्लिश किया है, जिसके मुताबिक उनकी वैक्सीन ने 12 महीनों के फॉलो-अप में 77 प्रतिशत की उच्च-स्तरीय प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया है। उन्होंने उच्च-खुराक सहायक समूह (high-dose support group) में 77 प्रतिशत और कम-खुराक सहायक समूह (low-dose support group) में 71 प्रतिशत की टीका प्रभावकारिता रिपोर्ट की है। इसके मुताबिक 12 महीनों के फॉलो अप वैक्सीन से संबंधित कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स अभी नहीं दिखें हैं। बता दें कि पिछले कुछ दशकों में 100 से ज्यादा मलेरिया वैक्सीन पर प्रशिक्षण किए गए। इनमें से कोई भी वैक्सीन WHO के मलेरिया रोधी वैक्सीन के लक्षित लक्ष्य से पीछे रहीं। अब इस नई वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ के प्रभावी मापदंडों पर 75 प्रतिशत तक खरा बताया गया है।  

अदार पूनावाला ने वैक्सीन को लेकर कही ये बात

बता दें कि R21/Matrix-M वैक्सीन का शुरुआत में यूके, थाईलैंड और कई अफ्रीकी देशों में क्लिनिकल टेस्ट किया गया है। इसमें बुर्किना फासो, केन्या, माली और तंजानिया में तीसरे फेज का टेस्ट भी शामिल है। इसके अलावा 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' ने मलेरिया की नयी R21 वैक्सीन को लेकर कहा कि इसमें सालाना 200 मिलियन से ज्यादा खुराक बनाने की क्षमता है। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि घाना के अधिकारियों द्वारा वैक्सीन का लाइसेंस मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

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