Article 370: SC अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर 2 अगस्त से रोजाना करेगा सुनवाई, दो लोगों ने वापस लिया नाम
Article 370: सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 2 अगस्त से सुनवाई करेगा। याचिकाओं की सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर रोजाना की जाएगी। इसमें दो याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका वापस ले ली है।;
Article 370: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संबंधित कई याचिकाओं पर 2 अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्देश दिया। इन याचिकाओं की सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर रोजाना के आधार पर होगी। कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी कागजातों को एकत्रित करने के लिए दो वकीलों को नियुक्त भी किया है।
सुप्रीम कोर्ट 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर को अनुच्छेद 370 (Article 370) के तहत दी गई विशेष स्थिति को रद्द करने, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर व लद्दाख में विभाजित करने के केंद्र सरकार (Central Government) के फैसले को चुनौती देने वाली 23 रिट याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। हालांकि, आईएएस अधिकारी शाह फैसल और कार्यकर्ता शेहला रशीद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ अपनी याचिकाओं को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं और कोर्ट के रिकॉर्ड से अपना नाम हटाना चाहते हैं। कोर्ट ने उनका नाम हटाने के आग्रह को मान लिया है और अनुमति दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कर दिया कि वह जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर केंद्र की ओर से दाखिल ताजा हलफनामे पर सुनवाई नहीं करेगा। सुनवाई से पहले, केंद्र सरकार ने सोमवार को हलफनामा दायर किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इससे क्षेत्र में शांति आई है। पीठ ने कहा कि वह सिर्फ संवैधानिक मुद्दों पर ही सुनवाई करेगी।
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वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने कोर्ट को बताया कि आईएएस अधिकारी शाह फैसल और पूर्व छात्र कार्यकर्ता शेहला रशीद ने इस मामले से जुड़ी अपनी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लीं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने रजिस्ट्री को याचिकाकर्ताओं की सूची से दोनों के नाम हटाने का निर्देश दिया। अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू-कश्मीर के लोगों को 1954 से 2019 तक विलय पत्र के अनुसार विशेष अधिकार और विशेषाधिकार दिए गए थे। इसके बाद, 2019 का जम्मू और कश्मीर (पुनर्गठन) अधिनियम लागू हुआ, जिसने पूर्ववर्ती राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।