AIMPLB ने समान नागरिक संहिता को बताया असंवैधानिक, महंगाई अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी से ध्यान हटने की कोशिश
एआईएमपीएलबी (AIMPLB) के महासचिव हजरत मौलाना सैफुल्लाह रहमानी (Hazrat Maulana Saifullah Rahmani) ने कहा है कि संविधान में भारत (India) के हर नागरिक को अपने मजहब के आधार पर जीने की आजादी दी गई है।;
केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) देश में समान नागरिक संहिता लागू (Uniform Civil Code) करने की तैयारी में है। इन तैयारियों के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने समान नागरिक संहिता लागू करने का विरोध किया है। एआईएमपीएलबी (AIMPLB- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) ने कहा है कि मोदी सरकार महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी (Unemployment) से जनता का ध्यान हटाने के यह राग अलाप रही है।
एआईएमपीएलबी (AIMPLB) के महासचिव हजरत मौलाना सैफुल्लाह रहमानी (Hazrat Maulana Saifullah Rahmani) ने कहा है कि संविधान में भारत (India) के हर नागरिक को अपने मजहब के आधार पर जीने की आजादी दी गई है। संविधान (constitution) में अल्पसंख्यकों और आदिवासी जातियों (tribal castes) को अपनी इच्छा व परंपरा के मुताबिक, विभिन्न पर्सनल लॉ की अनुमति दी गई है। इससे बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के बीच परस्पर एकता और परस्पर भरोसा कायम रखने में सहायता मिलती है।
इसके अलावा बोर्ड ने अपने बयान में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र सरकार के द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने का राग कुछ नहीं बल्कि लोगों का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था की तरफ से हटने और नफरत फैलाने की कोशिश है। बोर्ड ने केंद्र सरकार से अनुरोध करते हुए कहा है कि वह ऐसे कार्यों से बचे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक उच्चाधिकार समिति बनाई जाएगी। हिमाचल के सीएम ने भी बीते सोमवार को कहा था कि प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का परीक्षण हो रहा है। बताते चलें कि केंद्र सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने की मंशा जाहिर की है।