AIMPLB ने कहा- 'सूर्य नमस्कार' सूर्य पूजा का एक रूप, इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता- सरकार से की ये अपील

आंध्र प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से निर्देशित किया गया है निश्चित रूप से यह एक असंवैधानिक कृत्य है और देशप्रेम का झूठा प्रचार है।;

Update: 2022-01-04 07:10 GMT

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में 'सूर्य नमस्कार' कार्यक्रम आयोजित करने के केंद्र सरकार के आदेश का विरोध किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि 'सूर्य नमस्कार' सूर्य पूजा का एक रूप है। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। 

समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बयान जारी किया गया है। बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा, भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है, इन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है, स्कूल की पाठ्यचर्या और अपाठ्यचर्याओं में भी इसका ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है।

संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाएं या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किये जाएं, लेकिन यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक सम्प्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है।

जैसा कि तथ्य से स्पष्ट है कि भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का निर्णय किया है। जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा। 1 जनवरी 2022 से 7 जनवरी 2022 तक के लिए यह कार्यक्रम प्रस्तावित है। और 26 जनवरी 2022 को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है।

आंध्र प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से निर्देशित किया गया है निश्चित रूप से यह एक असंवैधानिक कृत्य है और देशप्रेम का झूठा प्रचार है। सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है, इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं। इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे।

हां, यदि सरकार चाहे तो देश-प्रेम की भावना को उभारने हेतु राष्ट्रगान पढ़वाए, यदि सरकार देश से प्रेम का हक़ अदा करना चाहती है तो उसे चाहिए कि देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे, देश में बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई पर ध्यान दे, मुद्रा का अवमूल्यन, आपसी नफ़रत का औपचारिक प्रचार, देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफलता, सरकार की ओर से सार्वजनिक संपत्ति की निरंतर बिक्री, ये वास्तविक मुद्दे हैं जिन पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है, मौलाना रहमानी ने कहा कि मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों में सम्मिलित होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना आवश्यक है।

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