#APJAbdulKalam: जानें भारत के 11वें राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम कैसे बने मिसाइल मैन

APJAbdulKalam: आज भारत के 11वें राष्ट्रपति और सबसे लोकप्रति वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) की 88वीं जयंती मनाई जा रही है। उनकी याद में विश्व छात्र दिवस (World Students Day) भी मनाया जाता है। जानें कैसे उनका नाम मिसाइल मैन (Missile Man) रखा गया।;

Update: 2019-10-15 03:38 GMT

APJAbdulKalam: भारत के सबसे लोकप्रितय राष्ट्रपति और वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) की 88वीं जयंती आज देश मना रहा है। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति ने ट्वीट कर उन्हें याद किया है। 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु में उनका जन्म हुआ था।

27 जुलाई 2015 को शिलांग में अपने भाषण के दौरान उनको हार्ट अटैक हुआ और उसके बाद उनका निधन हो गया। एपीजे अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसिडेंट के रूप में जाना जाता था और वो 2002 से 2007 के बीच भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे। लेकिन आखिर उनका मिसाइल मैन (Missile Man) का खिताब कैसे मिला, इसके पीछे की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है।

इस संस्थान ने कहा था भारत का मिसाइल मैन

15 अक्टूबर तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। जिसके बाद वो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में शामिल हो गए। उन्होंने भारत के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। जिसकी वजह से उन्हें भारत के मिसाइल मैन का खिताब दिलाया।

कलाम साहब ने 20 साल के अंदर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) और SLV-III प्रोजेक्ट को बनाया था। साल 1970 में उन्होंने एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक से बैलिस्टिक मिसाइलों को बनाया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें गुप्त धन दिया था क्योंकि केंद्रीय मंत्रिमंडल इन परियोजनाओं के खिलाफ था।

जिसके बाद कलाम को इन परियोजनाओं के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री आर वेंकटरमन के मुख्य कार्यकारी के रूप में नियुक्त किया गया। जिन्होंने मिसाइलों के लिए काम किया। इस लिस्ट में अग्नि और पृथ्वी सहित कई मिसाइलें विकसित की थी।

अब्दुल कलाम को क्यों कहा गया मिसाइल मैन

कहत हैं कि बैलिस्टिक मिसाइल और लॉन्च वाहन प्रौद्योगिकी के विकास में अपने अहम योगदान देने के लिए उन्हें भारत का मिसाइल मैन कहा गया। उन्होंने 1998 में भारत के पोखरण-2 परमाणु परीक्षणों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 1974 में पोखरण में भारत ने पहला परीक्षण भी उनके अंतर्गत किया था। 

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