Arun Jaitley Death Anniversary: अरुण जेटली ने जीएसटी को लागू कराने का लिया था सबसे बड़ा फैसला

भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली की आज पहली पुण्यतिथि है। ठीक एक वर्ष पहले आज ही के दिन उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली थी। जेटली को पहली पुण्यतिथि पर पूरा देश याद कर रहा है। जेटली ने वित्त मंत्री रहते हुये देश की अर्थव्यवस्था के तेज विकास व कर सुधारों की दिशा में कई फैसले लिये थे। इनमें जीएसटी को लागू कराना सबसे बड़ा फैसला था।;

Update: 2020-08-24 04:48 GMT

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की आज पहली पुण्यतिथि है। ठीक एक वर्ष पहले आज ही के दिन उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली थी। जेटली को उनकी पहली पुण्यतिथि पर पूरा देश याद कर रहा है। अरुण जेटली ने केंद्रीय वित्त मंत्री रहते हुये अपने कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था में तेज विकास व कर सुधारों की दिशा में कई अहम फैसले किए थे। इनमें अरुण जेटली का वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू कराना सबसे बड़ा फैसला माना जाता है। अरुण जेटली को 9 अगस्त 2019 को 'सांस फूलने' की शिकायत के बाद गंभीर हालत में नई दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। बताते हैं कि अरुण जेटली को 17 अगस्त 2019 से वेंटिलेटर पर रखा गया था। इसके बाद 23 अगस्त 2019 तक इनकी तबीयत बुरी तरह से खराब हो गई थी और 24 अगस्त 2019 को इनका निधन हो गया।

एक ही वस्तु पर अलग-अलग राजयों में अलग-अलग कर की दरें लगती थी। जिसकी वजह से काफी समय से एक देश-एक कर किये जाने की मांग उठाई जाती रही थी। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद पहली बार वित्त मंत्री बने अरुण जेटली ने लंबे समये से चली आ रही इस मांग को पूरा करने का बीड़ा उठाया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लंबी खींचतान के बाद जीएसटी से संबंधित चार बिल सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरी जीएसटी व कॉम्पेंसेशन जीएसटी बिल तैयार किए। फिर इन्होंने अपनी सही रणनीति के बल पर पहले तो इन बिलों को राज्यसभा में पास करवाया और इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन चारों बिलों को लोकसभा में पास कराया गया। इसके बाद वस्तुओं पर करों की दरें तय करने का जिम्मा जीएसटी काउंसिल को दे दिया गया। अंत में 30 जून 2017 की आधी रात को संसद भवन में भव्य समारोह का आयोजन कर देश को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का तोहफा दिया गया। जानकारी है कि देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधार में शामिल वस्तु एवं सेवाकर एक जुलाई 2017 को जम्मू कश्मीर को छोड़कर बाकी पूरे देश में लागू हो गया। इसके साथ ही जीएसटी के माध्यम से रखा गया एक देश-एक टैक्स का स्वप्न पूर्ण हो गया।

अरूण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर सन 1952 को दिल्ली में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ। इनके पिता पेशे से एक वकील थे। जेटली की माता जी रतन प्रभा एक समाज सेविका थी। जेटली का परिवार दिल्ली के नारायण विहार इलाके में रहा करता था। उन्होंने अपनी प्ररांभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से 1957-69 के बीच पूर्ण की थी। अरुण जेटली ने 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक किया। बताते हैं कि आरंभ से ही अरुण जेटली का रूझान पढ़ाई की ओर था व जेटली अपने स्कूल के प्रतिभाशाली छात्रों में शुमार थे। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से ही पूरी की थी। इनके पिता पेशे से वकील होने की वजह से इनकी रूचि बचपन से ही वकालत, कानून व राजनीति की ओर चली गई व अरुण जेटली दिग्गज वकीलों में शुमार थे।

विभिन्न पदों पर आसिन रहे अरुण जेटली

अरुण जेटली सन 1999 में पहली बार एनडीए की सरकार बनने पर 13 अक्टूबर 1999 को सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री बने। इस दौरान जेटली को विनिवेश मंत्री का स्वतंत्र प्रभार भी सौंपा गया। अरुण जेटली को 23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय व कंपनी मामलों के कैबिनेट मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। इन्हें नवंबर 2000 में कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया व एक साथ कानून, न्याय व कंपनी मामलों और जहाजरानी मंत्री भी बनाया गया था। मोदी के नेतृत्व की सरकार में अरुण जेटली 26 मई 2014 से 14 मई 2018 तक केंद्र सरकार में वित्त मंत्री एवं कॉरपोरेट मंत्रालयों के मंत्री भी बनाये गये। इसके बाद अरुण जेटली 23 अगस्त 2018 से 30 मई 2019 तक वित्त व कॉरपोरेट मंत्रालयों के मंत्री पद आसिन रहे। वे नरेंद्र मोदी सरकार में 16 मई 2014 से 9 नवंबर 2014 तक रक्षा मंत्री के पद पर भी रहे। इसके बाद इन पर 13 मार्च 2017 से 3 सितंबर 2017 तक रक्षा मंत्रालय का पद भार भी रहा। अरुण जेटली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में 9 नवंबर 2014 से 5 जुलाई 2016 के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी रहे। मनमाहन सिंह सरकार के दौरान अरुण जेटली ने 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद भी संभाला। 

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