Best Bakery Case में कोर्ट का फैसला, दोनों आरोपी सबूतों के अभाव में बरी

Best Bakery Case: मुंबई की सत्र अदालत (Mumbai Session Court) ने मंगलवार को गुजरात के 2002 के बेस्ट बेकरी मामले (Best Bkaery Case) में दो आरोपियों को बरी कर दिया। 2002 के गोधरा दंगों (Godhra Riots 2002) के दौरान वडोदरा की एक बेकरी में 14 लोग मारे गए थे। पढ़िये रिपोर्ट...;

Update: 2023-06-13 09:12 GMT

Best Bakery Case: मुंबई की सत्र अदालत (Mumbai Session Court) ने मंगलवार को गुजरात के 2002 के बेस्ट बेकरी मामले (Best Bkaery Case) में दो आरोपियों को बरी कर दिया। 2002 के गोधरा दंगों (Godhra Riots 2002) के दौरान वडोदरा की एक बेकरी में 14 लोग मारे गए थे। इस मामले में कुल 21 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया था। इस मामले में गुजरात की स्थानीय अदालत ने सभी को बरी कर दिया था। निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले को महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था। हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को इस नरसंहार मामले में 2013 में अरेस्ट किया गया था। ये दोनों लोग पहले से फरार चल रहे थे, जिस कारण इन दोनों पर अलग से मुकद्मा चलाया गया था।

गोधरा के बाद हुआ था बेस्ट बेकरी मामला

गुजरात के वडोदरा स्थित बेस्ट बेकरी (Best Bkaery Case) पर हमला गोधरा कांड का ही परिणाम था। यह हमला गोधरा कांड के कुछ दिनों बाद ही होता है। 27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड हुआ था और 1 मार्च को बेस्ट बेकरी का मामला सामने आया था। गोधरा कांड के तहत मुस्लिम भीड़ के द्वारा साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) की एक बोगी को आग के हवाले कर दिया गया था। इस एक्सप्रेस से कारसेवक अयोध्या (Ayodhya) से लौट रहे थे। इसमें तकरीबन 56 लोगों की जान चली गई थी और 46 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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क्या था मामला

गोधरा दंगों (Godhra Riots 2002) के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की भीड़ द्वारा 1 मार्च, 2002 को फेमस बेस्ट बेकरी में आग लगा दी गई थी। इसमें तकरीबन 14 लोगों की जान चली गई थी। घटना के बाद बेकरी मालिक की बेटी जहीरा शेख ने 21 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जून 2003 में फास्ट-ट्रैक कोर्ट (Fast-Track Court) के द्वारा सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था, क्योंकि उस समय कई गवाह अपनी गवाही से मुकर गए थे। इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी कि इसमें पुनर्विचार का आदेश दिया जाए। 

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