Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई मामले में सुनवाई पूरी, SC ने फैसला रखा सुरक्षित
Bilkis Bano Gang Rape Case: बिलकिस बानो के आरोपियों के खिलाफ दायर की गई याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। इस मामले पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। पढ़िए पूरी खबर...;
Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफी से संबंधित मूल रिकॉर्ड 16 अक्टूबर तक जमा करने का निर्देश दिया है।
बिलकिस बानो के आरोपियों के खिलाफ दायर की गई याचिका पर न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की। उन्होंने बिलकिस बानो के वकील और गुजरात सरकार समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी। इसके बाद दोषियों को दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
बिलकिस बानो समेत इन लोगों ने दी याचिका
बता दें कि गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो के आरोपियों को दी गई छूट को चुनौती देने के लिए 6 लोगों ने याचिका दायर की है। इसमें बिलकिस बानो के अलावा, सीपीआई (एम) के नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।
गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को किया रिहा
बता दें कि गुजरात सरकार ने 15 अगस्त, 2022 को उन 11 दोषियों को रिहा कर दिया। बानो के सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बिलकिस बानो मामले में सभी 11 आजीवन कारावास के दोषियों को 2008 में उनकी सजा के समय गुजरात में प्रचलित छूट नीति के अनुसार रिहा किया गया था।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि मार्च 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान, बानो के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था। जब दंगाइयों ने वडोदरा में उनके परिवार पर हमला किया तब वह पांच महीने की गर्भवती थीं। इस दौरान उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे। इसी मामले में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बिलकिस बानो और अन्य लोगों ने 11 दोषियों की समय से पूर्व रिहाई को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर कर 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
गुजरात सरकार ने क्या कहा था
आपको बता दें कि इससे पहले, गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में दोषियों को दी गई छूट का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने जेल में 14 साल की सजा पूरी कर ली है और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया। राज्य सरकार ने आगे ने कहा था कि उसने 1992 की नीति के अनुसार सभी 11 दोषियों के मामलों पर विचार किया है और 10 अगस्त, 2022 को सजा में छूट दी गई और केंद्र सरकार ने भी दोषियों की रिहाई को मंजूरी दे दी।
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