मराठा राजघराने के वंशज रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानें अबतक का राजनीतिक सफरनामा
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद जेपी नड्डा की मौजूदगी में बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गए।;
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से अपना इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजदूगी में बीजेपी में शामिल हो गए। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक बड़े राजनीतिक चेहरे के रूप में माना जाता है।
हालांकि राजनीती में अपने परिवार से ज्योतिरादित्य पहला व्यक्ति नहीं है। इनके पीढ़ी की शुरुआत राजनीती से ही हुई थी, जो अबतक अपनी राजनीतिक पीढ़ी को चलाते आ रहे हैं। ज्योतिरादित्य, सिंधिया राजघराने के तीसरी पीढ़ी के नेता हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था। उन्होनें 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की । इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रुजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया। पढाई खत्म होने के बाद उनकी शादी 1984 बड़ौदा के गायकवाड़ घराने की प्रियदर्शिनी से हुई।
ज्योतिरादित्य सिंधिया स्वतंत्रता से पहले ग्वालियर के शाही मराठा सिंधिया राजघराने के वंशज रह चुके हैं और उनकी स्वर्गीय दादी राजमाता सिंधिया जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं। माधवराव सिंधिया भी अपनी मां के बाद 1971 में जनसंघ में शामिल हो गए और 1971 के लोकसभा चुनावों में मां और बेटे दोनों ने अपनी-अपनी सीटें पर जीत हासिल की।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक सफरनामा
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक सफर की शुरुआत अपने स्वर्गीय पिता माधवराव सिंधिया के जाने के बाद हुई। शुरुआत में जनसंघ के टिकट से चुनाव लड़ने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए। इसके पहले भी उनके परिवार से दादी विजयाराजे सिंधिया, फिर पिता माधवराव सिंधिया जनसंघ की मोर्चा संभाल चुके हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार 2002 में गुना सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 2004 में भी उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। यूपीए सरकार के दौरान पहली बार 2007 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केंद्रीय राज्य मंत्री का पदभार संभाला। फिर 2012 में भी उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का पदभार मिला था। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस की ओर से गुना में जीत हासिल की थी।