Budget 2020 : एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने पर उठ रहे सवाल, यूजर्स ने कहा 5.5 करोड़ लोगों से पूछे बिना कैसे लिया फैसला

Budget 2020: बजट में एलआईसी में हिस्सेदारी बेचे जाने की घोषणा की गई है। जिसके बाद से इसके ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर कह रहे हैं कि साढ़े पांच करोड़ भारतीय परिवारों ने ये सोचकर LIC में पैसा लगाया था कि सब खत्म हो जाएगा तब भी LIC बचेगा। सरकार ने इस बजट में LIC को बेचने की शुरुआत कर दी है।;

Update: 2020-02-01 10:52 GMT

Budget 2020: सरकार की तरफ से एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। बजट भाषण के खत्म होते ही #LICBachao के नाम से ट्विटर पर ट्रैंड भी शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि 5.5 करोड़ लोगों से पूछे बिना सरकार एलआईसी बेचने का फैसला कैसे ले सकती है?

बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए आज कई बड़े ऐलान किए हैं जिसमें से भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपने हिस्से को बेचने का भी निर्णय लिया गया है। वित्त मंत्री के इस ऐलान के साथ ही विपक्ष की ओर से हंगामा किया गया था। उनका कहना था कि आम आदमी को पैसा निवेश करना हो तो वो LIC के जीवन बीमा को एक सुरक्षित ऑप्शन मानता है। लेकिन एलआईसी के बाद देश की जनता किस पर भरोसा करेगी।

एलआईसी में लगा है 25 करोड़ लोगों का पैसा

#LICBachao हैशटैग से अब देश के अन्य लोगों की भी प्रतिक्रिया आने लगी है। 'मीडिया का अन्डरवर्ल्ड' पुस्तक के लेखक दिलीप मंडल ने कहा कि LIC में 5.5 करोड़ भारतीय परिवारों का यानी लगभग 25 करोड़ लोगों का पैसा है। उनसे पूछे बिना LIC को कैसे बेचा जा सकता है? उन्होंने आगे कहा कि साढ़े पाँच करोड़ भारतीय परिवारों ने ये सोचकर LIC में पैसा लगाया था कि सब ख़त्म हो जाएगा तब भी LIC बचेगा। सरकार ने इस बजट में LIC को बेचने की शुरुआत कर दी है। 

मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि देश के भविष्य को सुरक्षित करने वाली LIC का भविष्य असुरक्षित लग रहा है, अब कौन खतरे में है - हिन्दू, मुस्लिम या देश की जमा पूँजी?

इसके साथ ही कुछ और लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी। एक यूजर ने लिखा- सब बेचना ही है तो अंबानी को ही प्रधानमंत्री बना देते, गद्दी पे पुतले को क्यों बैठा रखा है। मैंने इतनी बिकी हुई सरकार अभी तक नही देखी।


कुछ लोगों ने फनी मीम भी शेयर किए


क्या है एलआईसी बेचने का कारण

बता दें कि ऐसी खबरें पिछले वर्ष ही आ रही थी कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपनी हिस्सेदारी से हाथ खींच सकती है। क्योंकि LIC ने जिन बड़ी कंपनियों में निवेश किया है, वो बड़ा घाटा झेल रही हैं। LIC देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। लेकिन 2019-20 में LIC के कुल एसेट यानी कुल परिसंपत्तियों में 57 हज़ार करोड़ की कमी आई है। जब भी सरकार किसी डूबती या कर्जे से जूझती सरकारी क्षेत्र की कंपनी में पैसा लगाती है तो उनके पोर्टफोलियो पर असर पड़ता है।

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